हालीवूड में भेदभाव- 5
हमने द बर्थ आफ़ अ नेशन और अंकल टॉम्स केबिन नामक फ़िल्मों में अमरीकी समाज में अश्वेतों की स्थिति पर हॉलीवुड के नज़रिए के बारे में बात की थी।
हमने बताया गया कि अंकल टॉम का मालिक मास्टर शेलबी अपने क़र्ज़ के कारण उसे एक अन्य व्यक्ति के हाथ बेच देता है जो उसे बड़ी निद्यता से उसके परिवार से अलग करके एक नौका पर बिठा देता है और अपने खेत की ओर चल पड़ता है। नौका में अंकल टॉम की मुलाक़ात ईवा क्लेर नामक एक बच्ची से होती है। बच्ची का बाप अंकल टॉम को उसके नए मालिक से ख़रीद लेता है। ईवा और उसके पिता के निधन के बाद ईवा की मां उसे दासों की मंडी में ले जाती है और लेगरी नामक एक दुष्ट व्यक्ति के हाथ बेच देती है।

मास्टर लेगरी, अंकल टॉम को एक सुदूर क्षेत्र में अपने खेत में ले जाता है। वह एक डरावना खेत होता है जहां सामबू और कीमबू नाम के दो अश्वेत दास होते हैं जो मास्टर लेगरी के आदेशों का पालन करते हैं। वहां कासी नाम की एक अश्वेत महिला भी रहती है। लेगरी ने अंकल टॉम के साथ ही एलिज़ा नामक दोग़ली नस्ल की एक युवती को भी ख़रीदता है। आपको याद होगा कि हमने पिछले कार्यक्रम में बताया था कि एलिज़ा भी अंकल टॉम की तरह मास्टर शेलबी की खेती में काम करती थी और एक दिन यह दासी अपने बच्चे हेनरी के साथ खेत से निकल भागती है लेकिन दासों के कुछ दलाल उसके बच्चे को चुरा लेते हैं और एलिज़ा को दासों की मंडी में ले जा कर मास्टर लेगरी और उसके बेटे को मास्टर प्रॉक्टर के हाथों बेच देते हैं। एलिज़ा का पति जॉर्ज हेरिस अपने बेटे हेनरी को मास्टर प्रॉक्टर के खेत से भगा देता है लेकिन एलिज़ा मास्टर लेगरी के चंगुल में फंस जाती है। अब इस फ़िलम के दो अन्य दृश्यों पर ध्यान दें।
अगर आपने फ़िल्म अंकल टॉम्स केबिन देखी होगी तो आपको याद होगा कि फ़िल्म के 86वें मिनट से जो दृश्य शुरू होता है उसमें हम देखते हैं कि मास्टर लेगरी खेत वाले घर के ड्राइंग रूम में कासी को यातनाएं दे रहा है क्योंकि उसने उसे डिस्टर्ब कर दिया है। इसके बाद लेगरी के दो अश्वेत रक्षक सामबू और कीमबू अंकल टॉम को ज़बरदस्ती ड्राइंग रूम के दरवाज़े पर लाते हैं और फिर उसे अंदर ढकेल देते हैं। फिर वे लेगरी को बताते हैं कि यह अपने हाथों से दुआ मांगता है। फिर वे लेगरी के आदेश पर उसे उसके क़दमों में डाल देते हैं। लेगरी, टॉम का कॉलर पकड़ता है और कहता है कि मैं अपने लिए काम करने वालों का पूरा अस्तित्व चाहता हूं। इसके बाद लेगरी का अत्यंत क्रोधित चेहरा दिखाया जाता है।
इसके बाद टॉम का पवित्र और अत्याचारग्रस्त चेहरे को निकट से दिखाया जाता है। इसी दृश्य में अश्वेत रक्षक का निर्दयी चेहरा व मूर्खता बरसाती आंखें भी हम देखते हैं। मास्टर लेगरी की आंखों में दुष्टता लहरें मार रही है। वह एक उचटती सी नज़र कासी पर डालता है, एक कोड़ा लेकर आता है और टॉम से कहता है कि वह कासी को मारे। कासी नफ़रत से लेगरी को देखती है। अंकल टॉम कहता हैः नहीं मालिक! मैं यह नहीं कर सकता। लेगरी उसके मुंह पर एक मुक्का मारता है और टॉम ज़मीन पर गिर पड़ता है। लेगरी कहता हैः मैंने 12 हज़ार डॉलर दिए हैं ताकि तुम मेरे हो जाओ, तुम्हारी आत्मा भी और तुम्हारा शरीर भी। टॉम अपनी उंगली से आसमान की तरफ़ इशारा करते हुए कहता हैः नहीं मालिक, शायद मेरे शरीर पर आपका अधिकार हो लेकिन मेरी आत्मा पर ईश्वर का अधिकार है। लेगरी उसे हाथों और पैरों से मारते हुए कमरे से बाहर ले जाता है और अपने अश्वेत रक्षकों से कहता है कि उसे बहुत बुरी तरह से कोड़े मारें।
फ़िल्म का यह दृश्य बताता है कि अमरीका में दास प्रथा की अन्यायपूर्ण व्यवस्था ने मालिकों को अश्वेत दासों का एकछत्र स्वामी बना रखा था। वे दास-दासियों को ख़रीदने के लिए जो पैसे देते थे उसके मुक़ाबले में उनकी ओर से से छोटी सी भी ग़लती सहन नहीं करते थे और उन्हें अपनी भौतिक संपत्ति का एक भाग समझते थे। यहां तक कि दो अश्वेत रक्षक भी मास्टर लेगरी की मदद करते हैं कि वह अंकल टॉम को यातनाएं दे। इससे पता चलता है कि अधिकतर अश्वेत, गोरों की वर्चस्ववादी सोच से प्रभावित हो कर अपनी प्रतिष्ठा और मानवता खो देते थे और अपने ही जैसे लोगो की मदद नहीं करते थे। अंकल टॉम जैसे बहुत कम अश्वेत थे जो अपने मालिकों की ओर से भयंकर यातनाएं दिए जाने के बावजूद अपनी इज़्ज़त, प्रतिष्ठा और मानवता को नहीं बेचते थे।

फ़िल्म के एक अन्य दृश्य में जो 97वें मिनट से शुरू होता है, हम देखते हैं कि एलिज़ा और कासी, मास्टर लेगरी के पास से फ़रार हो कर अंकल टॉम की शरण में आ जाती हैं। वे उसकी मदद से तहख़ाने के कमरे में छिप जाती हैं। यह वह कमरा है जिसमें मास्टर लेगरी नहीं जाता क्योंकि उसका विचार है कि जिन लोगों की उसने हत्या की है उनकी आत्माएं वहां पर क़ैद हैं। अंकल टॉम भी लेगरी को नहीं बताता कि एलिज़ा और कासी कहां छिपी हुई हैं। इसके परिणाम स्वरूप लेगरी और उसके अन्य दास अंकल टॉम को इतना पीटते हैं कि उसकी जान निकल जाती है। फिर लेगरी को उन दोनों दासियों के छिपने के स्थान का पता चल जाता है लेकिन जब वह उन दोनों को बंदी बनाना चाहता है तो अंकल टॉम की आत्मा उस पर हमला कर देती है। दोनों में लड़ाई होती है जिसके परिणाम स्वरूप लेगरी खिड़की से नीचे गिर कर मर जाता है।
फ़िल्म के अंत में अंकल टॉम के पहले मालिक का बेटा जार्ज शेलबी, जार्ज हेरिस और हेनरी के साथ टॉम को ख़रीदने और उसे वापस लौटाने के लिए लेगरी के पास पहुंचता है लेकिन उसे थोड़ी देर हो जाती है क्योंकि अंकल टॉम की दुख भरी ज़िंदगी ख़त्म हो चुकी है लेकिन एलिज़ा अपने पति जार्ज हेरिस और बेटे हेनरी से मिल जाती है।
अंकल टॉम्स केबिन फ़िल्म की समीक्षा से पता चलता है कि इस फ़िल्म में अश्वेतों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय है और वे अपने श्वेत मालिकों पर पूरी तरह से निर्भर हैं। फ़िल्म के अनुसार अश्वेतों का नसीब अत्यंत दर्दनाक, दुखद और कटु है। अधिकांश अश्वेतों को नकारात्मक दृष्टि से देखा जाता है लेकिन अंकल टॉम नामक एक प्रतिष्ठित, वफ़ादार, बुद्धिमान और दयालु अश्वेत भी उनके बीच मौजूद है।
अगर हम अंकल टॉम्स केबिन फ़िल्म की तुलना द बर्थ आफ़ अ नेशन फ़िल्म से करना चाहें तो यह कहना पड़ेगा कि इस फ़िल्म में श्वेतों के संबंध में पक्षपातपूर्ण नज़रिया, ग़ैर पक्षपातपूर्ण नज़रिये की ओर बढ़ता है। अंकल टॉम्स केबिन फ़िल्म में अश्वेतों के साथ श्वेतों का टकराव अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं है। फ़िल्म में अश्वेतों को असभ्य दर्शाने की कोशिश की गई है लेकिन इसी के साथ श्वेतों को भी दोषी दिखाया गया है जबकि द बर्थ आफ़ अ नेशन में अश्वेतों को पूरी तरह से दोषी और श्वेतों को सही ठहराया गया है। इस फ़िल्म में श्वेतों और अश्वेतों के आपसी संबंध, वास्तविकता से कोसों दूर हैं लेकिन अंकल टॉम्स केबिन ने इन संबंधों को जिस प्रकार से दर्शाया गया है वह ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टि से बड़ी हद तक वास्तविकता से निकट है।