हालीवूड में भेदभाव- 6
हालीवुड में नस्लवाद के बारे में बहुत सी फ़िल्में बनी हैं जिनमें से एक का नाम “पिंकी” है।
इस फ़िल्म को बीसवीं शताब्दी के मध्य के मश्हूर अमरीकी डाएरेक्टर “एलिन काज़ान” ने बनाया है। पिंकी फ़िल्म का निर्माण सन 1949 में किया गया। यह लगभग 100 मिनट की लंबी फिल्म है। इस फ़िल्म में केन्द्रीय भूमिका अश्वेत मूल की लड़की “पेट्रीशिया जॉनसन” ने निभाई है। पेट्रीशिया जॉनसन को लोग पिंकी के नाम से पुकारते थे। पिंकी, श्वेत और अश्वेत मां-बात की संतान है जो देखने में सफेद रंग की है मगर मूल रूप से वह अश्वेत मूल की है। अमरीकी समाज में फैले नस्लवाद और काले मूल के लोगों को गिरी नज़र से देखने के कारण पिंकी हर स्थान पर स्वयं को श्वेत दर्शाती है। पिंकी, श्वेत मूल की अपनी दादी की सहायता से उत्तरी अमरीका के गोरे लोगों के स्कूल जाती है। पिंकी फ़िल्म का आरंभ यहां से होता है कि वह गोरे मूल के लोगों के स्कूल में अपनी पढ़ाई पूरी करके नर्स बनती है और अपनी दादी “डीसी” से मिलने के लिए दक्षिणी अमरीका जाती है। पिंकी की दादी डीसी अपने शहर में लोगों के कपड़े धोने और उनपर प्रेस करके अपना जीवन गुज़ारती है।

पिंकी जब अपनी दादी के पास पहुंचती है तो वह अपनी दादी के बहुत कहने पर श्वेत मूल की एक बूढ़ी महिला “एम” की देखभाल करती है। एम बहुत बूढ़ी है और उसकी स्थिति अच्छी नहीं है। विशेष बात यह है कि एम, काले लोगों से बहुत नफ़रत करती है। जिस समय पिंकी बहुत छोटी थी अपनी दादी के साथ वहां रहा करती थी उस दौर में एम, पिंकी को कभी भी अपने फार्म हाउस में घुसने नहीं देती थी। इसी बीच पिंकी के व्यवहार से एम बहुत प्रभावित होती है। यहांतक कि अपनी वसीयत में वह अपनी सारी संपत्ति पिंकी के नाम कर देती है। जब एम की मृत्यु हो जाती है तो एम के फैमिली वकील उसकी वसीयत को पढ़कर सुनाते हैं कि एम की संपत्ति की मालिक पिंकी होगी। एम के परिवार वाले इसका कड़ा विरोध करते हैं विशेषकर पिंकी की मामी, वूली। वूली इस मामले को न्यायालय में ले जाती है। वह चाहती है कि किसी तरह से वसीयतनामें को बदल दिया जाए लेकिन ऐसा हो नहीं पाता।
इसी बीच गोरी चमड़ी वाले एक डाक्टर थामस एडम्स से पिंकी की मंगनी हो जाती है। डाक्टर थामस, पिंकी को उत्तरी अमरीका ले जाना चाहता है। आरंभ में तो पिंकी उत्तरी अमरीका जाने में रुचि रखती है विशेषकर इसलिए कि वह स्वयं को गोरी चमड़ी की नस्ल वाला दिखाने के प्रयास में रहती है लेकिन एम नामक बूढ़ी महिला के उपचार के दौरान उसके भीतर कुछ ऐसे परिवर्तन आते हैं कि अब वह स्वयं को काले मूल की महिला दर्शाना चाहती है सफेद मूल की नहीं। पिंकी यह चाहती है कि वह दक्षिणी अमरीका में ही रहे और “एम” ने जो फार्म हाउस उसके नाम किया है उसमें काले मूल के लोगों के लिए नर्सिंग सिखाने का स्कूल खोले। डा. थामस एडम्स बहुत कोशिश करते हैं कि पिंकी उनके साथ उत्तरी अमरीका जाए और वहां पर गोरे लोगों की तरह सम्मानीय ढंग से जीवन व्यतीत करे किंतु पिंकी इसके लिए तैयार नहीं होती है।
हालीवुड में बनी पिंकी नामक फिल्म के बारे में कहा जा सकता है कि इसके डाएरेक्टर “एलिन काज़ान” ने इस फिल्म के माध्यम से नस्लवाद के बारे में हालीवुड को एक नई सोच दी। पिंकी वास्तव में एक लड़की की पहचान के संकट पर आधारित फिल्म है। पिंकी का रंग इतना साफ है कि कोई भी उसे अश्वेत वंश का कह ही नहीं सकता। वह बहुत ही सरलता से स्वयं को सफेद मूल का दर्शा सकती थी। पिंकी के मन में कई बार यह बात आई कि अच्छे और सफल भविष्य के लिए वह स्वयं को गोरी चमड़ी वाला दिखाकर समाज में बहुत अच्छा जीवन व्यतीत कर सकती है। इस फ़िल्म में बहुत ही स्पष्ट रूप में अमरीकी समाज में गोरे और काले लोगों के जीवन का चित्रण किया गया है। इसमें दिखाया गया है कि अमरीकी समाज में काले रंग के लोगों के साथ किस प्रकार का व्यवहार किया जाता है। फ़िल्म में दिखाया गया है कि पिंकी के मन में बार-बार स्वयं को श्वेत दर्शाकर समाज में विशिष्टताएं प्राप्त करने की भावना जाग्रत होती है। फ़िल्म में पिंकी के बारे में गोरे मूल के लोगों के विचार और उसके साथ उनका व्यवहार ध्यान योग्य है।

हालांकि फ़िल्म में अमरीकी समाज में फैले जातिवाद को किसी सीमा तक कम दर्शाने के प्रयास किये गए हैं किंतु फिल्म देखने से पता चलता है कि अमरीकी समाज में अभी भी काले लोगों को उचित ढंग से उनके अधिकार नहीं दिये गए हैं। यह वह समाज है जहां पर शिक्षा जैसे पवित्र पेशे में भी पक्षपात स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। फिल्म में दिखाया गया है कि पिंकी अच्छी पढ़ाई पढ़ने और भविष्य में उच्च पद पर पहुंचने के लिए गोरों के स्कूल में एडमिशन लेती है। वह समाज में अच्छा जीवन गुज़ारने के लिए मजबूर है कि अपनी वास्तविकता को छिपाए अर्थात स्वंय को अश्वेत मूल का न बताकर श्वेत बताए ताकि विशिष्टताएं हासिल कर सके और समाज में सम्मानीय ढंग से जीवन गुज़ार सके। काफ़ी उतार-चढ़ाव के बाद पिंकी को यह समझ में आता है कि वह अपनी वास्तविकता को न छिपाए। यही कारण है कि वह श्वेत मूल के एक डाक्टर के साथ शादी को मना कर देती है। फ़िल्म में ग़ौर करने से पता चलता है कि पिंकी के भीतर परिवर्तन का मूल कारण एम नामकी वह बूढ़ी महिला है जो श्वेत मूल की है। इससे पता चलता है कि 1940 के दशक में अमरीका में रहने वाले अश्वेत मूल के लोग, स्वतंत्र रूप में सोचने के लिए आज़ाद नहीं थे।
पिंकी फ़िल्म का यह सीन फ़िल्म आरंभ होने के 16 मिनट के बाद शुरू होता है। इस दृश्य में एक फार्म दिखाया जाता है जिसका मालिक “जैक” है। जैक, पिंकी की दादी का पड़ोसी है। जिस समय पिंकी उत्तरी अमरीका में पढ़ रही थी उस काल में पिंकी की दादी ने कई बार जैक को पैसे दिये कि वह इन पैसों को पिंकी तक पहुंचा दे। जैक ने पिंकी की दादी से तो पैसे ले लिए लेकिन उनको पिंकी को नहीं दिया। पिंकी जब अपनी पढ़ाई पूरी करके घर आती है तो उसको यह बात पता चलती है। वह अश्वेत मूल के जैक के फार्म पर जाती है और उससे ज़बरदस्ती पैसे छीन लेती है। जब अपने पैसे लेकर पिंकी जैक के फार्म से वापस आ रही होती है इसी बीच जैक की बीवी “रूसेलिया” वहां आ जाती है। वह पिंकी से झगड़ती है और उससे पैसे छीनना चाहती है। इसी बीच दो पुलिसवाले वहां पहुंच जाते हैं।
पहला पुलिसवाला जैक और उसकी बीवी रूसेलिया पर हमला करते हैं और उनकी तलाशी लेते हैं। इसी बीच दूसरा पुलिस वाला पिंकी की ओर बढ़ता है और उसे श्वेतमूल की महिला समझकर उसका सम्मान करता और बहुत ही आदर के साथ पूछता है कि क्या कोई बात हो गई? इसी बीच पहला पुलिस वाला जैक को घूरते हुए कहता है कि क्या हुआ? जैक घबराए हुए अंदाज़ में कहता है कि नहीं कोई बात नहीं। फिर वह जैक की बीवी को शक की निगाह से देखते हुए उसकी तलाशी लेता है। तलाशी के दौरान उसे एक चाक़ू, रूसेलिया के पास से मिलता है। इसी बीच दूसरा पुलिस वाला बहुत ही आदर के साथ पिंकी से पूछता है कि क्या आपके साथ इन काले लोगों ने कोई बुरा व्यवहार किया है। इसपर पिंकी कहती है कि मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है। पिंकी चाहती है कि वह बहुत जल्दी वहां से भाग जाए। इसी दौरान दूसरा पुलिसवाला पिंकी से पूछता है कि क्या आप यहां अजनबी हैं? क्या जैक तुमको परेशान करना चाहता था? पिंकी कहती है कि नहीं। ऐसा नहीं है। फिर पुलिसवाला रूसेलिया की ओर संकेत करते हुए कहता है कि क्या वह आपको परेशान करना चाहती थी?

इसी बीच जैक की बीवी रूसेलिया हंसते हुए पुलिसवालों से कहती है कि आपलोग पिंकी को बार-बार मैडम क्यों कह रहे हैं? वह भी तो हमारी ही तरह अश्वेत मूल ही महिला है। पुलिसवालों को जैसे ही यह पता चलता है कि पिंकी भी काले मूल की महिला है तो वे ग़ुस्से में उसको धक्का देते हैं। जैसे ही पिंकी वहां से जाना चाहती है पुलिसवाले तीनों को गाड़ी में बिठाकर पुलिस स्टेशन ले जाते हैं। जब इन लोगों को जज के सामने पेश किया जाता है तो जज तीनों से कहता है कि वे मामले को आपस में सुलझा कर रफादफा करें। वास्तव में जज जातिवाद का विरोधी होता है इसीलिए वह उनसे यह कहता है।
आइए अब इसी दृश्य की समीक्षा करते हैं। आपने देखा कि पुलिस घटना स्थल पर पहुंचते ही काले लोगों के साथ किस प्रकार का व्यवहार करती है। पुलिस के व्यवहार से यह पता चलता है कि उनके निकट अपराधी, काले लोग हैं। पुलिस का काम समाज में सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखना और लोगों को अत्याचार से बचाना है अमरीकी समाज में नस्लवाद के चश्में से सबकुछ देखती है। पिंकी, घटनास्थल से इसलिए जल्दी से भागने के चक्कर में है कि वह वास्तव में तो अश्वेत मूल है जबकि लगती है कि वह श्वेत मूल की है इसीलिए आरंभ में पुलिसवाले उसके साथ नर्मी का व्यवहार करते हैं लेकिन जैसे ही उनको पता चलता है कि वह भी अश्वेत है तो उसके साथ भी फिर वैसा ही व्यवहार किया गया जैसा कालों के साथ किया जाता है।