Mar ०७, २०१८ १३:०३ Asia/Kolkata

उत्पादन एक एसी चीज़ है जिसकी एक देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है।

इससे उत्पादन की इकाईयों में जवानों के लिए रोज़गार के अवसर उत्पन्न होते हैं। दूसरी ओर उत्पादित वस्तुओं की बिक्री आर्थिक विकास का कारण बनती है। मानो मज़बूत अर्थ व्यवस्था और उत्पादन एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई उत्पादन के बारे में कहते हैं" उत्पादन देश का आधार है।" वरिष्ठ नेता एक अन्य स्थान पर कहते हैं" एक देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण चीज़ उत्पादन है जो टिकाऊ विकास को अस्तित्व में ला सकता है।"

 

इस्लामी गणतंत्र ईरान ने विशेषकर हालिया कुछ वर्षों में मज़बूत उत्पादन की दिशा में कदम उठाने का फैसला किया है। इस प्रकार से कि अगले कुछ वर्षों में वह तेल और गैस की बिक्री के अलावा भी विदेशी मुद्रा को प्राप्त कर सके। यह चीज़ दीर्घकालिन आर्थिक उद्देश्यों में से है और यह एसी आकांक्षा है जिसका व्यवहारिक होना राष्ट्र और सरकार के अधिक प्रयास पर निर्भर है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई राष्ट्र और सरकार से उत्पादन के लिए बहुत अधिक प्रयास करने की सिफारिश करते और उनका आह्वान करते हैं कि वे "हम कर सकते हैं" के नारे को अपने प्रयास का आधार करार दें। वरिष्ठ नेता ने सन 1391 हिजरी शम्सी का नाम "राष्ट्रीय उत्पादन, कार्य और ईरानी पूंजी का समर्थन" रखा था। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अर्थ व्यवस्था के संबंध में अपने हालिया वक्तव्य में कहा कि पूरा आर्थिक विकास उत्पादन पर है। अत्यधिक घरेलू संभावनाओं का प्रयोग करके उत्पादन को गति प्रदान करना चाहिये ताकि आर्थिक विकास और तेल के अलावा दूसरी वस्तुओं के निर्यात में वृद्धि को व्यवहारिक बनाया जा सके।"

 

अगर उत्पादन में आवश्यक कानून उपलब्ध करा दिये जायें और दूसरी ओर लाभदायक व दक्ष श्रमबल भी मौजूद हो परंतु उत्पादन में पूंजी निवेश न हो तो इस क्षेत्र में कुछ भी नहीं होगा। पूंजी निवेश/ जहां उत्पादन और आर्थिक विकास का कारण बनता है वहीं वह जवानों के लिए रोज़गान सृजन का कारण भी बनता है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की नज़र में बैंकों का असली दायित्व उत्पादन में पूंजी निवेश और उत्पादकों का वित्तीय समर्थन करना है। वरिष्ठ नेता का मानना है कि आर्थिक विकास में बैंकों की बड़ी भूमिका है। बैंक रचनात्मक और विनाशकारी दोनों भूमिका निभा सकते हैं। बैंकों द्वारा उत्पादकों का वित्तीय समर्थन और उन लोगों को ऋण देना बैंकों के रचनात्मक कार्य हैं जो आर्थिक क्षेत्र में कार्य करना चाहते हैं। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता बैंकों की भूमिका के बारे में कहते हैं" बैंकों को उत्पादन की सेवा में होना चाहिये और अगर वे उत्पादन की सेवा में हों तो बहुत सी कठिनाइयों का समाधान हो जायेगा। बैंका की ओर से  पूंजी निवेशकों का वित्तीय समर्थन न करना आर्थिक क्षेत्र के बंद होने और छोटी एवं औसत दर्जे की संस्थाओं के दिवालिये का कारण बनता है। अलबत्ता बैंकों का यह भी दायित्व है कि वे उन लोगों को लोन न दें जो ऋण चुकाने में अच्छे नहीं हैं। क्योंकि यह कार्य न केवल बैंकों के पैसों के रुकने का कारण बनेगा बल्कि पहले वाले लोन को वापस लेने के लिए दोबारा ऋण देना पड़ेगा। ऐसे में यह कार्य न केवल उत्पादन में सहायता नहीं करेगा बल्कि देश पर और बोझ बढ़ जायेगा।

उत्पादन में बैंकों की पहली भूमिका है। अलबत्ता उत्पादन की इकाइयों को बनाने में बैंकों और सरकारी संस्थाओं की भूमिका के अलावा पूंजी निवेशकों की भूमिका की अनदेखी नहीं करनी चाहिये। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पूंजी निवेशक उत्पादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

 

पूंजी निवेशक उत्पादन की इकाईयां बनाकर जो उत्पादन करते हैं उससे वे मज़बूत भुजा की भांति हो जाते हैं और बहुत से लोगों को काम पर लगा देते हैं। समाज के लोगों के लिए रोज़गार उत्पन्न करना खाली दस्तरखान पर रोटी उपलब्ध कराने के समान है। इस कार्य का बहुत अधिक पुण्य है। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता अपने वक्तव्य में समाज के निवेशक वर्ग का आह्वान करते हैं कि वे उत्पादन के काम में देश की सहायता करें। वरिष्ठ नेता कहते हैं “पूंजी निवेशक और जिनके पास निवेश करने की संभावना व क्षमता है उन्हें चाहिये कि निवेश करें। मैं एसे लोगों को पहचानता था जो अपने पैसों को गैर उत्पादन के एसे स्थानों पर लगा सकते थे जहां अधिक मुनाफा होता पर उन्होंने एसा नहीं किया और उन लोगों ने कहा कि हम यह कार्य नहीं करेंगे। हम देश की सेवा करना चाहते हैं। उन्होंने कम लाभ पर अपना पैसा उत्पादन में लगा दिया। इसलिए कि उन्होंने समझा कि देश को ज़रूरत है। यह कार्य उपासना समान है। जो पूंजी निवेशक देश की ज़रुरत को समझता है वह अपना पैसा अधिक मुनाफे वाले कार्य में नहीं लगाता और अपने देश के नुकसान में ख़र्च नहीं करता है। यह अच्छा कार्य है। इस आधार पर पूंजी निवेश की रचनात्मक भूमिका है।

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की दृष्टि में उत्पादन में न केवल पूंजी निवेशकों, बैंकों और सरकारों की भूमिका है बल्कि सभी लोगों की ज़िम्मेदारी है कि वे उत्पादन और देश के आर्थिक विकास में अपनी -2 भूमिका निभायें। वरिष्ठ नेता अपने महत्वपूर्ण वक्तव्य में बल देकर कहते हैं कि सबको चाहिये कि विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन के लिए अपनी भूमिका निभायें। अलबत्ता इसके लिए कुछ चीज़ें ज़रूरी हैं। पूंजी निवेशक, श्रमिक, उपभोगता, सरकारी विभाग व तंत्र सबकी अपनी ज़िम्मेदारी है। यह एक आयामी कार्य नहीं है। सबको चाहिये कि एक दूसरे के साथ सहयोग व सहकारिता करें ताकि इस बड़े पत्थर को यानी बड़ी समस्या को रास्ते से हटा दें और इस बड़ी चट्टान को देश के विकास के मार्ग से हटा दें।“

 

इस संबंध में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की एक महत्वपूर्ण इच्छा यह है कि लोग उत्पादन करने वालों और ईरानी श्रमिकों का समर्थन करें। वरिष्ठ नेता लोगों से सिफारिश करते हुए कहते हैं” वह पूंजी निवेशक और अच्छा श्रमिक उपासना करता है जो काम की कठिनाइयों को सहन करता है, अपनी उम्र को, अपने समय को और अपनी ताक़त को खर्च करता है ताकि कार्य को अच्छे ढंग से  अंजाम दे सके। अच्छा उपभोक्ता भी इसी तरह से उत्पादन में देश की सहायता कर सकता है। नाम और प्रसिद्धि के प्रयास में न रहे, ब्रांड और मार्क के पीछे न जाये। उस कार्य को अंजाम दे जो हित में है। देश का हित आतंरिक उत्पादन में है। हित, ईरानी श्रमिक की सहायता करने में है। यह बात सबको जान लेना चाहिये कि जो चीज़ वे ख़रीद रहे हैं उससे वे एक ईरानी श्रमिक को रोज़गार दे सकते हैं, उसे रोज़गार से वंचित कर सकते हैं, एक विदेशी श्रमिक को रोज़गार से सम्पन्न कर सकते हैं। अलबत्ता हम समस्त मानवता से प्रेम करते हैं किन्तु ईरानी श्रमिक देश के विकास और गौरव के लिए काम कर रहा है, वह ईरानी राष्ट्र का एक अंश है उसका समर्थन करना चाहिये, उसे मज़बूत करना चाहिये।

 

                            

देश के बाहर से आने वाली चीज़ों को नियंत्रित करने और उनके प्रबंधन की आवश्यकता है और यह वह चीज़ है जिसके बारे में वरिष्ठ नेता हमेशा सरकारी अधिकारियों से बात करते हैं। हालिया वर्षों में यह बात कई बार देखने में आई है कि ग़ैर ज़रूरी चीज़ों के विदेशों से आयात करने की वजह से या उस जैसी चीज़ के देश में अंदर मौजूद होने के बावजूद राष्ट्रीय उत्पादन की उपेक्षा की गयी।

वस्तुओं की तस्करी से मुकाबला एक अन्य चीज़ है जिसकी सिफारिश वरिष्ठ नेता गम्भीरता के साथ देश के अधिकारियों से करते रहते हैं। बाहर से देश के अंदर तस्करी होने वाली वस्तुओं से आंतरिक उत्पादन पर कुठारा घात लगता है। क्योंकि जो वस्तुएं तस्करी के माध्यम से देश में आती हैं वे सस्ती होती हैं और कुछ अवसरों पर अच्छी भी होती हैं। इस आधार पर तस्करी के माध्यम से देश के अंदर आने वाली वस्तुएं चीज़ों का उत्पादन करने वालों के लिए प्राण घातक ज़हर होती हैं। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अपने हालिया वक्तव्य में तस्करी के माध्यम से देश में आने वाली वस्तुओं से गम्भीरता से मुकाबला किये जाने पर बल दिया और अधिकारियों व ज़िम्मेदारों का आह्वान किया है कि वे तस्करी के माध्यम से देश में आने वाली वस्तुओं से गम्भीरता से मुकाबला करें और वस्तुओं की तस्करी करने वालों से जो चीज़ें पकड़ें उन्हें शीघ्र नष्ट कर दें। 

 

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता इसी प्रकार उत्पादकों का आह्वान करते हैं कि अपनी उत्पाद की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दें। इसी प्रकार वरिष्ठ नेता अच्छे और विदेशी उत्पादों से प्रतिस्पर्धा को बहुत वांछित कार्य मानते और सरकारी ज़िम्मेदारों का आह्वान करते हैं कि इस प्रतिस्पर्धा के लिए वातावरण उत्पन्न करें। जिस प्रकार घरेलू उत्पादन और उस पर भरोसा करने से वह बहुत से आयामों से देश को समृद्ध व आवश्यकतामुक्त बनाता है उसी तरह लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है कि अपना पैसा एसी चीज़ों के लिए खर्च न करें जो अच्छी न हों। अच्छी गुणवत्ता, मज़बूत चीज और अच्छी कीमत वह बातें हैं जो लोगों को घरेलू उत्पाद को ख़रीदने के लिए प्रेरित कर सकती है।

हालिया वर्षों में कुछ घरेलू उत्पाद बहुत अच्छे रहे हैं और उनकी सराहना की जानी चाहिये। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता घरेलू उत्पादकों का आह्वान करते हुए कहते हैं” अलबत्ता घरेलू उत्पादकों का आह्वान किया जाता है और आग्रह किया जाता है कि वे अच्छा कार्य पेश करें। ये दोनों चीज़ें एसी हैं जिनकी ओर इस्लाम धर्म में संकेत किया गया है। काम में मज़बूती का ईश्वर ने हमारा आह्वान किया है। श्रमिक का सम्मान भी वह चीज़ है जिसका आह्वान ईश्वर ने हमसे किया है। इसी प्रकार श्रमिक के जीवन और उसके कार्य की सुरक्षा का भी ईश्वर ने हमसे आह्वान किया है। पूंजी की सुरक्षा का भी ईश्वर ने हमसे आह्वान किया है। प्रिय श्रोताओ आज के कार्यक्रम का समय यहीं पर समाप्त होता है। अगले कार्यक्रम तक के लिए हमें अनुमति दें।

 

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