अमेरिका और इज़राइल को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा: सुप्रीम लीडर
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर स्कूलों और यूनिवर्सिटियों के स्टूडेंट्स से 2 नवम्बर 2024 को सुबह तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुलाक़ात की।
इस मुलाक़ात में उन्होंने अमरीका के ज़ुल्म और लोभ के ख़िलाफ़ ईरानी क़ौम के 70 साल से ज़्यादा समय से जारी संघर्ष के मूल कारण बयान करते हुए कहा कि ईरानी क़ौम का अमरीकी साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष इस्लामी, राष्ट्रीय, तार्किक, और मानवीय तथा अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के मुताबिक़ है जो सही रोडमैप के साथ बिना किसी रुकावट के जारी रहेगा और इस विजयी मार्ग में ईरानी क़ौम के ख़िलाफ़ अमरीका और ज़ायोनी शासन की किसी भी करतूत का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
उन्होंने साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ ईरानी अधिकारियों और राष्ट्र के बिना किसी रुकावट के जारी संघर्ष की ओर इशारा करते हुए कहाः विश्व साम्राज्यवाद और विश्व व्यवस्था पर छाए हुए उसके तंत्र से मुक़ाबले में राष्ट्र और अधिकारियों की मूल शैली, तार्किक और धर्म, शरीअत, अख़लाक़ और अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के मुताबिक़ है।
उन्होंने साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ ईरानी क़ौम के संघर्ष को हमेशा जारी रहने वाला बताया और कहाः विश्व साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष के लिए एक दिन को राष्ट्रीय दिवस क़रार देना, हक़ीक़त में इस ऐतिहासिक संघर्ष को हमेशा याद रखने के लिए है, ख़ास तौर पर ऐसे तत्वों की सक्रियता के मद्देनज़र है जो क्षेत्र में अमरीका और उसके तत्वों के ख़िलाफ़ क़ौम की बहादुरी और उसके संघर्ष व दृढ़ता के संबंध में संदेह पैदा करके इस संघर्ष को नकारने का इरादा रखते हैं।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने अमरीकी (दूतावास) जासूसी के अड्डे को कंट्रोल करने के वाक़ए के संबंध में संदेह पैदा करने की कुछ तत्वों की कोशिशों की ओर इशारा करते हुए कहा कि तेहरान में अमरीकी दूतावास जैसा कि दस्तावेज़ से भी पुष्टि होती है, इंक़ेलाब विरोधी तत्वों को उकसाने और संगठित करने के लिए प्लानिंग करने वाला गढ़ बन गया था और इसी तरह शाह की गुप्तचर संस्था सावाक के बचे खुचे तत्व ईरान में मतभेद पैदा करने, क़ौमों को उकसाने, विद्रोह कराने और इमाम ख़ुमैनी को जान से मारने और इंक़ेलाब को ख़त्म करने के लिए सक्रिय थे और यह ऐसी सच्चाई है जो बदल नहीं सकती चाहे उस वाक़ए को वजूद देने वाले कुछ तत्वों के मन में संदेह पैदा हो गया हो।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने जासूसी के अड्डे से मिलने वाले दस्तावेज़ों को सच्चाई से पर्दा उठाने वाला बताया और जवान नस्ल से एक बार फिर इस घटना के दस्तावेज़ पढ़ने पर ताकीद की।
उन्होंने जासूसी के अड्डे पर कंट्रोल की वजह अमरीकी दूतावास के अस्ली रूप को बेनक़ाब करना क़रार दिया और इस वाक़ए को निर्णायक, ऐतिहासिक और हमेशा याद रहने वाला बताया। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि इमाम ख़ुमैनी ने अपनी उस दूरदर्शी नज़र से स्टूडेंट्स के इस क़दम का सपोर्ट किया।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अपने बयान के दूसरे भाग में ग़ज़ा में ज़ायोनी शासन के बर्बर अपराधों और लेबनान की मौजूदा बर्बर घटनाओं की ओर इशारा करते हुए कि यह सब घटनाएं अमरीका के सपोर्ट और उसकी ओर से हथियारों तथा राजनैतिक प्रभाव के रूप में जारी घिनौनी भागीदारी से घट रही हैं, अमरीका के मानवाधिकार के दावे की क़लई खुल जाने का सबब बताया। उन्होंने कहा कि साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष तार्किक, बुद्धिमत्तापूर्ण और अंतर्राष्ट्रीय तर्क के मुताबिक़ है।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ ईरानी क़ौम की कोशिशों को अतार्किक दर्शाने के कुछ लोगों के प्रयास की आलोचना करते हुए कहा कि इन लोगों को ग़द्दार तो नहीं ठहराउंगा लेकिन जब वे इस सही, तार्किक और अंतर्राष्ट्रीय तर्क के मुताबिक़ हरकत को अतार्किक दर्शाते हैं तो इतना ज़रूर कहा जाएगा कि वे संकीर्ण मानसिकता के लोग हैं।
उन्होंने वर्चस्ववादी व्यवस्था के मीडिया तंत्रों की बड़े पैमाने पर गतिविधियों के बावजूद, दुनिया के अवाम की नज़रों में ईरानी क़ौम के लोकप्रिय होने को इस्लामी गणराज्य के सफल व तार्किक संघर्ष के गहरे प्रभाव की निशानी बताया और कहा कि 'सच्चा वादा' कार्यवाही के बाद मुख़्तलिफ़ मुल्कों में सड़कों पर अवाम का ख़ुशी का इज़हार करना यानी ईरानी क़ौम की कोशिश अंतर्राष्ट्रीय तर्क, ख़ास तौर पर इस्लामी और क़ुरआनी तर्क के मुताबिक़ स्वीकार्य हो गयी है।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अपने बयान में आगे कहा कि दुश्मन की किसी भी हरकत का वे लोग जबाव दिए बिना नहीं रहेंगे जो इस वक़्त ईरानी राष्ट्र के प्रतिनिधि के तौर पर उससे निपटने की कोशिश में हैं और दुश्मनों को चाहे वह ज़ायोनी शासन हो चाहे अमरीका हो, ईरानी क़ौम और रेज़िस्टेंस मोर्चे के संबंध में जो भी हरकत वे करेंगे उसका उन्हें मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।
उन्होंने विश्व साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ ईरानी क़ौम के संघर्ष के बारे में कहा कि निश्चित तौर पर यह जद्दोजेहद, ईरान की अज़ीज़ क़ौम और हमारे वतन ईरान पर अमरीकी सरकार के ज़ुल्म और बेशर्मी से भरे वर्चस्व के ख़िलाफ़ रही है। उन्होंने कुछ भटके हुए इतिहासकारों की ओर इशारा करते हुए, जो अमरीका के जासूसी के अड्डे को ईरानी क़ौम और अमरीका के बीच टकराव का आरंभिक बिंदु समझते हैं, कहा कि यह एक झूठ है और इस टकराव की तारीख़ कम से कम 19 अगस्त 1953 तक तो पलटती ही है क्योंकि उस दिन अमरीकियों ने मुसद्दिक़ की 'भोली' सरकार से विश्वासघात करते हुए, अवाम द्वारा चुनी गयी उस राष्ट्रीय सरकार को एक रक्तरंजित बग़ावत से गिराकर उसकी जगह शाह की ज़ालिम सरकार को बहाल किया था।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने दुष्ट पहलवी सरकार की ओर से ज़ायोनी शासन की मदद की ओर इशारा करते हुए कहा कि पहलवी हमेशा याद रखी जाने वाली ग़द्दारी के ज़रिए, अमरीका के हुक्म पर ज़ायोनी शासन को तेल और दूसरी तरह की मदद देकर क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार को मज़बूत बना रहा था वह भी ऐसी स्थिति में जब क्षेत्र की ज़्यादातर सरकारों ने ज़ायोनी शासन से संबंध तोड़ रखे थे।
उन्होंने कहा कि अफ़सोस कि आज भी कुछ सरकारें ग़ज़ा और लेबनान में ज़ायोनी शासन के अत्यंत बर्बर अपराधों को नज़र अंदाज़ करते हुए इस ख़ूंख़ार दुश्मन की न सिर्फ़ आर्थिक बल्कि सैन्य लेहाज़ से भी मदद कर रही हैं।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने अमरीका जैसे आधुनिक, ताक़तवर और वर्चस्ववादी सिस्टम के ख़िलाफ़ संघर्ष की संभावना के बारे में कुछ लोगों की ओर से संदेह पैदा किए जाने को, पिछले 46 साल में ईरानी क़ौम के कामयाब तजुर्बे के मद्देनज़र ग़लत बताया और कहा कि ईरानी क़ौम आज तक इस मुक़ाबले में निश्चित तौर पर कामयाब रही है जिसकी एक निशानी अमरीका को कमज़ोर करने की क्षमता है।
उन्होंने नौजवान नस्ल को नसीहत करते हुए अल्लाह को याद रखने और उसका शुक्र अदा करने की दावत दी और कहा कि आगे का रास्ता छोटा और आसान नहीं है और ज़रूरी है कि आप प्यारे नौजवान प्रार्थना, दुआ, क़ुरआन से लगाव और अंतर्राष्ट्रीय अपराधी गैंगों से मुक़ाबला करने वाले एक सिस्टम के वजूद की नेमत सहित मुख़्तलिफ़ नेमतों पर शुक्र के ज़रिए इस फ़ख़्र के क़ाबिल राह पर चलने की भारी ज़िम्मेदारियो को अदा करने के लिए अपनी कोशिश, पहचान और संकल्प को बढ़ाते रहिए।
कीवर्ड्ज़: सुप्रीम लीडर, इमाम ख़ामेनेई, ईरान के नेता, इस्लामी गणतंत्र ईरान
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