व्यापारी और दैव्य की कहानी-2
हमने बताया था कि एक व्यापारी जो बहुत यात्रा पर रहता था
हमने बताया था कि एक व्यापारी जो बहुत यात्रा पर रहता था, कार्यक्रम के अनुसार एक बार यात्रा पर निकला, रास्ते में थकावट दूर करने के लिए एक वृक्ष के नीचे साए में बैठ गया और पोटली से रोटी और खजूर निकाल कर खाने लगा और उसकी बीज ज़मीन पर फेंकता रहा। तभी एक दैत्य प्रकट हुआ और उससे कहने लगा कि खजूर के इस बीज से तुमने मेरे बेटे को मार डाला, मैं तुम्हें मार डालूंगा। व्यापारी ने उससे एक वर्ष का अवसर लिया ताकि अपने शहर वापस जा सके, अपने धन संपत्ति को अपने बेटो में बांट सके और फिर लौट के आ सके। दैत्य ने उसे अवसर दे दिया और व्यापारी भी ठीक एक साल बाद उसी वृक्ष के नीचे आ गया और अपनी आपबीत पर रो रहा था। तीन बूढ़े व्यक्तियों का वहां से गुज़र हुआ, उन्होंने उसका हाल चाल पूछा, उसने अपनी विपदा उनसे बयान की।
उनमें से एक व्यक्ति के पास ज़ंजीर में बंधी हिरन थी जबकि दूसरे के पास दो काले कुत्ते थे और तीसरे के पास एक घोड़ा था। जब दैत्य प्रकट हुआ उस बूढ़े व्यक्ति ने जिसके पास ज़ंजीर में बधी हिरन थी, दैत्य से कहा कि वह उसे एक ऐसी कहानी सुनाएगा जिससे उसे बहुत आश्चर्य होगा और वह उस कहानी के बदले व्यापारी का एक तिहाई ख़ून उसे दे दे, दैत्य ने भी स्वीकार कर लिया। बूढ़े व्यक्ति ने कहानी सुनाना शुरु किया कि किस प्रकार उसकी पत्नी ने उसकी अनुपस्थिति में उसकी दासी और उसके बेटे को गाय और बछड़ा बना दिया और एक चरवाहे को दे दिया। उससे बताया कि वह दोनों भाग गये। उसने ईदुल अज़हा के अवसर पर चरवाहे से कहा कि उसके लिए गाय की क़ुरबानी करे जो वास्तव में वही दासी थी और उसे नहीं पता था। गाय को काट दिया किन्तु उसकी हड्डी पर को मांस नहीं था। जब बछड़े को काटना चाहा तो वह बहुत अधिक रोया। हिरन जो व्यापारी के चाचा की लड़की थी और उस दिन उसके साथ थी। उसने ज़िद की कि वही बछड़ा काटें किन्तु व्यापारी ने उसे चरवाहे को दे दिया था।
चरवाहे ने बछड़ा पकड़ा और लेकर चला गया। दूसरे दिन चरवाहा मेरे पास आया और कहने लगाः मेरे यहां एक लड़की है जिसने बचपन से ही बुढ़िया से जादू सीखा है । जब मैं बछड़े को घर ले गया। तो लड़की ने उससे स्वयं को ढांप लिया और रोने लगी और फिर थोड़ी देर के बाद हंसने लगी और कहने लगी कि हे पिता जी एक अजनबी पुरुष को क्यों घर लेकर आए? मैंने कहाः कौन सा पुरुष? तुम पहले क्यों रोई और फिर हंसी? मेरी बेटी ने कहा यह बछड़ा, व्यापारी का बेटा है, उसके पिता की पत्नी ने उसको उसकी माता के साथ जादू से गाय और बछड़ा बना दिया। मेरे हंसने का कारण यह था किन्तु मेरे रोने का कारण यह था कि उसकी मां का सिर उसके पिता ने काटा है। हे दैत्यों के सरदार, जब यह रहस्य मैंने चरवाहे से सुना तो घर से बाहर आई और चूंकि मेरा बेटा जीवित था बहुत प्रसन्न थी और मैं उसको पहचान नहीं सकी इसीलिए चरवाहे के घर गयी। चरवाहे की लड़की ने मुझे सलाम किया और मेरा हाथ चूमा और मेरे पास खड़ी हो गयी। उसके बाद वही बछड़ा मेरे पास आया और स्वयं को ज़मीन पर मलने लगा।
मैंने चरवाहे की लड़की से कहाः बछड़े के बारे में जो तुमने कहा था क्या वह सही है? उसने कहाः हां, यह तुम्हारा बेटा है। मैंने कहाः यदि तुमने इसे जादू से आज़ाद कर दिया तो मैं तुम्हें ढेर सारा धन दूंगी। लड़की मुस्कुराई और कहने लगीः मुझे धन दौलत की ज़रूरत नहीं है। तुम मुझे वचन दो कि यदि मैंने उसे जादू से आज़ाद कर दिया तो मेरा विवाह उसे कराओगी। अब मुझे उस व्यक्ति पर जादू करने दो जिसने उसपर जादू किया था। क्यों कि यदि यह काम मैं न करूं तो तुम्हारा बेटा कभी भी जादू से सुरक्षित नहीं रह सकेगा। मैंने कहाः मेरी पत्नी का ख़ून तुम पर माफ़ है, तुम्हें जो करना हो करो। चरवाहे की लड़की ने बर्तन में पानी भरा और एक मंत्र पढ़ा और बछड़े पर पानी फेंका। बछड़ा तुरंत मनुष्य की शक्ल में परिवर्तित हो गया, मैंने उसको अपने सीने से लगा लिया, उसकी आंखों को चूमा और चरवाहे की लड़की से उसका विवाह कर दिया। उसके बाद चरवाहे की लड़की ने हमारी पत्नी को हिरन में परिवर्तित कर दिया जो यह है। मैं जहां भी जाता हूं इसको अपने साथ रखता हूं। जब मैं यहां पहुचा तो व्यापारी को देखा और उसकी कहानी सुनी। मैं उसका परिणाम देंखने के लिए खड़ा रखा। हे दैत्यों के सरदार यह मेरी और हिरन की कहानी थी। दैत्य ने कहा कहानी बहुत रोचक और आश्चर्यजनक थी, मैंने इस व्यापारी का एक तिहाई ख़ून तुझे दे दिया।