Apr ०९, २०१८ १६:२८ Asia/Kolkata

हमने इस्लाम धर्म में उत्पादन और मज़दूरों के महत्व के बारे में बताया था।

आज हम इससे भी महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे। काम, श्रमिक और आंतरिक उत्पाद को यदि बेहतर ढंग से बढ़ाना हो तो उसके लिए प्रबंधक की बहुत अधिक आवश्यकता है। यह प्रक्रिया एक समाज को आर्थिक दृष्टि से आगे बढ़ा सकती है और उसको बहुत सी वस्तुओं के आयात से आवश्यकता मुक्त कर देती है। यदि उत्पादन गुणवत्ता और मज़बूती के अनुसार हो तो न केवल वस्तुओं के आयात पर आवश्यकता मुक्त जाएंगे जबकि देश में बनने वाली गुणवत्तापूर्ण वस्तुओं का निर्यात कर सकते हैं। यही वह आकांक्षा और उमंग है जो इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने देश की अर्थव्यवस्था की दीर्घावधि योजना के लिए पेश किया है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता इस प्रकार की अर्थव्यवस्था को ही प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था का नाम देते हैं। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था की परिभाषा बयान करते हुए कहते हैं कि देश की भीतरी पहचान और राष्ट्र का स्वयं के संचालन और उसके विकास में सक्षम होना ही प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था का अर्थ है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता उच्च लक्ष्यों और उमंगों की ओर से देश की हरकत को मज़बूत अर्थव्यवस्था बताते हैं और प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था  की एक अन्य परिभाषा बयान करते हुए कहते हैं कि प्रतिरोधक अर्थव्यस्था अर्थात वह अर्थव्यवस्था जो मज़बूत और प्रतिरोधक हो, वैश्विक उकसावे से, वैश्विक हरकतों से, अमरीका और ग़ैर अमरीका की नीतियों से प्रभावित न हो, ऐसी अर्थव्यवस्था जो जनता पर भरोसा किए हो।

कुछ वर्ष पहले से इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था के विषय को पूरी गंभीरता के साथ उठाया। उन्होंने वर्ष 1396 हिजरी शम्सी को प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था पैदावार और रोज़गार का नाम दिया ताकि देश की अर्थव्यवस्था की रेल तेज़ी से दूड़ी और इस मार्ग में रूकावटों को प्रतिरोध व दृढ़ता के ज़रिए पार करे।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की सरकार और प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था के बारे में जांच करने वाले केन्द्रों से मुख्य मांग यही थी। उन्होंने जनता के विभिन्न वर्गों के बीच भाषण में बहुत ही अच्छे ढंग से प्रतिरोधक अर्थव्यव्यवस्था को बयान किया और उसे एक देश की आवश्यकता के अनुसार उचित वैश्विक मापदंड क़रार दिया।

वरिष्ठ नेता ने अपने भाषण में उल्लेख किया कि आज ईरानी राष्ट्र की प्राथमिकता, अर्थव्यवस्था है, आप ध्यान दें कि दुश्मन की प्राथमिकता भी अर्थव्यवस्था ही है। अर्थात आज ईरान के दुश्मन, ईरान के बारे में अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आर्थिक मार्ग अपनाना या दूसरे शब्दों में ईरानी अर्थव्यवस्था को नुक़सान पहुंचाना चाहते हैं। दुश्मन का लक्ष्य यह है कि ईरान की इस्लामी व्यवस्था को निराश करे ईरानी राष्ट्र और इस्लामी व्यवस्था के बीच दूरी उत्पन्न करे और इस मार्ग से अपना लक्ष्य साधे । मैं आप लोगों से कहना चाहता हूं कि हमारा नादान और बेईमान दुश्मन वर्षों से राष्ट्र को व्यवस्था से अलग करना चाहता है, लेकिन वह सफल नहीं हो सका है, ईश्वर की कृपया से वह भविष्य में भी सफल नहीं होगा।

आज नई तकनीक के आधार पर आर्थिक विकास हो रहा है और अर्थव्यवस्था के आधारभूत ढांचे में तेज़ी से परिवर्तन हो रहा है। वास्तव में ज्ञान से लाभ उठाने और उसके विस्तार से आर्थिक शक्ति में वृद्धि होती है। यही कारण है कि शोध और तकनीक में जिन देशों की भागीदारी अधिक है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वे आर्थिक एवं राजनीतिक रूप में शक्तिशाली भी हैं। दूसरे शब्दों में आज की दुनिया में शोध कार्यों में निवेश और आर्थिक एवं राजनीतिक योग्यता के बीच सीधा संबंध है।

मोटे तौर पर प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था, दबावों और आर्थिक झटकों के मुक़ाबले के लिए आर्थिक विकास और मज़बूत स्थिति की प्राप्ति है। यह दोनों चीज़ें आर्थिक दबावों के मुक़ाबले के लिए ज़रूरी हैं। इस संदर्भ में प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था के विभिन्न उद्देश्य हैं, उनमें से एक आधुनिक तकनीक के आधार पर उत्पादन को मज़बूत बनाना है।

 

इस विषय के महत्व के दृष्टिगत, प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था की रणनीति में जिस बिंदु पर बल दिया गया है वह यह है कि नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था पर भरोसा किया जाए। शिक्षा की व्यवस्था में सुधार किया जाए और उत्पादन तथा निर्यात में वृद्धि करके क्षेत्र में पहला स्थान प्राप्त किया जाए।

आज की दुनिया में आर्थिक विकास के लिए शोध और तकनीक केन्द्रों का होना ज़रूरी है। यही कारण है कि पिछले तीन दशकों के दौरान, विकसित देशों ने नॉलेज बेस्ड रोज़गार पर काफ़ी ध्यान दिया है। आज तकनीक आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण आधार माना जाता है। विभिन्न समाजों में होने वाले शोधों से पता चलता है कि स्थिर आर्थिक विकास ज्ञान और तकनीक पर आधारित है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था में शोध कार्यों को अतीत की तुलना में अधिक महत्व दिया जाने लगा है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के अनुसार, घरेलू उत्पादन और अर्थव्यवस्था को स्थायी एवं प्रगतिशील बनाने के मार्ग में हमारे सामने कोई रुकावट नहीं है और हम प्रगति कर सकते हैं, इस शर्त के साथ कि हम अधिक प्रयास करें। वरिष्ठ नेता कहते हैं, हमें एक ऐसी स्थायी और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था कि ज़रूरत है, जिससे हमें दूसरों के सामने हाथ न फैलाना पड़े। हम चयन कर सकें, प्रगति कर सकें, आगे बढ़ सकें, तेल की क़ीमतों पर प्रभाव डाल सकें, राष्ट्रीय मुद्रा को मूल्यवान बना सकें, लोगों के ख़रीदने की क्षमता को बढ़ा सकें, यह सब एक मज़बूत अर्थव्यवस्था के बिना संभव नहीं है, इसके बिना न हम गौरव प्राप्त कर सकते हैं और न ही स्थायी सुरक्षा। हमें यह चीज़ें उपलब्ध कराना होंगी। अर्थव्यवस्था का महत्व यही है। हालांकि यह राष्ट्रीय एकता के बिना प्राप्त नहीं हो सकती। जनता और सरकार के आपसी सहयोग के बिना प्राप्त नहीं हो सकती, क्रांतिकारी संस्कृति के बिना प्राप्त नहीं हो सकती। इन लक्ष्यों को साहसी, सक्रिय और प्रयास करने वाले अधिकारियों के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह सभी ज़रूरी हैं और हमें इन्हें हासिल करना चाहिए।

वरिष्ठ नेता ने अपने भाषण में उल्लेख किया कि आज ईरानी राष्ट्र की प्राथमिकता, अर्थव्यवस्था है, आप ध्यान दें कि दुश्मन की प्राथमिकता भी अर्थव्यवस्था ही है। अर्थात आज ईरान के दुश्मन, ईरान के बारे में अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आर्थिक मार्ग या दूसरे शब्दों में ईरानी अर्थव्यवस्था को नुक़सान पहुंचाना चाहते हैं। दुश्मन का लक्ष्य यह है कि ईरान की इस्लामी व्यवस्था को निराश करे ईरानी राष्ट्र और इस्लामी व्यवस्था के बीच दूरी उत्पन्न करे और इस मार्ग से अपना लक्ष्य प्राप्त करे। मैं आप लोगों से कहना चाहता हूं कि हमारा नादान और बेईमान दुश्मन वर्षों से राष्ट्र को व्यवस्था से अलग करना चाहता है, लेकिन वह सफल नहीं हो सका है, ईश्वर की कृपया से वह भविष्य में भी सफल नहीं होगा।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का मानना है कि इस अर्थव्यवस्था तक पहुंचना कभी भी असंभव नहीं है बल्कि देश की जनता के सभी वर्गों, सरकारी संस्थाओं और औद्योगिक व वैज्ञानिक केन्द्रों और विश्वविद्यालयों के प्रयासों से  इसको प्राप्त किया जा सकता है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई इस बारे में कहते हैं कि पूर्ण रूप से, व्यवहारिक रूप से और निश्चित रूप से संभव है कि प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था प्राप्त कर लें, क्षमताओं के कारण, चूंकि इस देश में अपार क्षमताएं पायी जाती हैं।

उन्होंने देश की कुछ महत्वपूर्ण क्षमताओं की ओर संकेत करते हुए कहा कि अपार युवा मानव बल, प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने के लिए देश की सबसे बड़ी क्षमताओं में से एक है। वरिष्ठ नेता का मानना है कि देश में यह सुविधाएं उपलब्ध हैं, और इनमें से कुछ वर्तमान समय में मौजूद हैं और कुछ अन्य को प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण स्वरूप, देश में काफ़ी उचित श्रमशक्ति मौजूद है। आंकड़े बताते हैं कि देश की जनसंख्या में से 3 करोड़ 30 लाख लोगों की उम्र काम करने की है अर्थात उनकी उम्र 15 से 40 साल के बीच है। इस तरह ईरान एक युवा देश है और यह उत्पादन के लिए बेहतरीन पूंजी है।

वरिष्ठ नेता का कहना है कि व्यक्तिगत सुविधाओं के अलावा, सरकार ने राष्ट्रीय विकास कोष की स्थापना की है, इसका अर्थ यह है कि देश की तेल से होने वाली आमदनी से प्रतिवर्ष एक प्रतिशत आमदनी की सेविंग होती है, ताकि देश की अर्थव्यवस्था की तेल पर निर्भरता कम हो। वरिष्ठ नेता इस संदर्भ में कहते हैं, अगर कोई देश अपनी अर्थव्यवस्था को तेल से अलग कर ले, तो निश्चित रूप उस देश के विकास की रफ़्तार कई गुना बढ़ जाएगी।

राष्ट्रीय विकास कोष की ज़िम्मेदारी है कि प्राइवेट सक्टर में पूंजी निवेश करे ताकि घरेलू उत्पादन में वृद्धि की जा सके। घरेलू उत्पादक इस कोष से सही योजना के अनुसार लाभ उठा सकते हैं। पिछले साल इस कोष की सहायता से देश में कई कारख़ाने शुरू किए गए।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने देश की भौगोलिक स्थिति की ओर संकेत करते हुए प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था तक पहुंचने के लिए इन क्षमताओ को बहुत महत्वपूर्ण बताया और कहा कि हमारे पड़ोस में पंद्रह देश हैं जिनके साथ हमारा आना जाना है, यातायात और ट्राज़ेट देशों के लिए बहुत बेहतरीन अवसर होता है, हमारे देश के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि दक्षिण में हमारे स्वतंत्र जलक्षेत्र है जबकि उत्तर में सीमित जल क्षेत्र है, हमारे पड़ोसियों की जनसंख्या लगभग 37 करोड़ है  और संपर्क की यह संख्या एक देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था को संक्षेप में बयान करते हुए कहते हैं कि प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था का अर्थ है आर्धिक आधारों को मज़बूत करना, हमारी आज की ज़िम्मेदारी है और सभी लोग इसमें अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं, तीनों पालिकाओं के अधिकारी भी और जनता के सभी वर्ग भी, वह लोग भी जो दक्षता रखते हैं, जो पूंजी रखते हैं और जो आर्थिक दृष्टिकोण रखते हैं, सभी लोग अपनी अपनी ज़िम्मेदारी अदा कर सकते हैं।

 

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