फ़ार्स खाड़ी के ईरानी द्वीप- 4
क़िश्म द्वीप पतला और समुद्र की सतह से ऊंचा है।
वह फार्स की खाड़ी में पूरब से पश्चिम की ओर फैला हुआ है और हुरमुज़ स्ट्रेट को उत्तरी व दक्षिणी दो भागों में बांटता है। उसका उत्तरी भाग पतला और कम गहरा है जबकि दक्षिणी भाग अपेक्षाकृत चौड़ा और गहरा है। बड़े- बड़े जहाज़ हुरमुज़ स्ट्रेट के दक्षिणी और गहरे भाग से आते- जाते हैं।
हमने कहा था कि क़िश्म फार्स की खाड़ी का सबसे बड़ा द्वीप है। उसके अतीत का संबंध इस्लाम के पहले से है। क़िश्म द्वीप के तट बहुत ही सुन्दर, स्टेचू की भांति पहाड़, सैकड़ों हेक्टेयर पानी में जंगल, दसियों प्रकार के वहां रहने वाले व पलायनकर्ता पक्षी, उसके अंदर छोटे- छोटे द्वीप, प्राचीन जल भंडार, एतिहासिक दुर्ग, नमक की गुफाएं, अंजीर के पेड़ और उपासना स्थल आदि वे चीज़ें हैं जिन्हें क़िश्म के सुन्दर द्वीप में देखा जा सकता है।
क़िश्म शहर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर गुंबद की भांति “नमदान” नाम का पहाड़ है। दूर से जब इस गुंबद रूपी पहाड़ को देखते हैं तो उस पर नमक की धारियां दिखाई देती हैं। इस पहाड़ के अंदर सुन्दर गुफायें हैं जिन्हें देखने के लिए लगभग दो किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। इन गुफाओं के अंदर नमक के बहुत ही सुन्दर व पारदर्शी स्टैलैक्टाइट(stalactite) हैं। इसी प्रकार इन गुफाओं की जो छतें हैं वे मरमर पत्थर की सुन्दर कन्दीलों से ढकी हैं जिससे बहुत ही सुन्दर व मनोरम दृश्य उत्पन्न हो गया है। क़िश्म शहर से 10 किलोमीटर की दूरी पर ख़रब्स की गुफाएं हैं। ये गुफाएं उस पहाड़ में हैं जो समुद्र के किनारे और ऊंचाई पर है तथा उसके नीचे “मियानकासेह” मैदान है। ख़रब्स समुद्री गुफाएं हैं। पानी की भंवर और पहाड़ के अंदर जो गड्ढ़े थे उनसे रेत निकलने के कारण ये गुफाएं अस्तित्व में आई हैं। ये गुफाएं बहुत पुरानी हैं। प्रबल संभावना यह है कि इस्लाम से पहले इन गुफाओं के अंदर के भाग को बड़ा करके दुश्मन के हमले के समय बच्चों, महिलाओं और बूढ़े व बड़ी उम्र के लोगों को इन गुफाओं में छिपाया जाता था। मियानकासेह मैदान में पुरानी क़ब्रें भी हैं।
किश्म द्वीप में खूरान स्टेट है जो हुरमुज़गान प्रांत के समुद्री तट का एक संरक्षित क्षेत्र है। खूरान स्ट्रेट में एक लाख हेक्टर हर्रा के समुद्री जंगल हैं।
क़िश्म द्वीप में हर्रा के जो जंगल हैं उसमें गर्म इलाकों के पक्षी रहते हैं। इन जंगलों को देखने के लिए प्रतिवर्ष बहुत अधिक देशी व विदेशी पर्यटक आते हैं। हर्रा खारे पानी में रहने वाला पेड़ है और ज्वार के समय वह पानी में डूब जाता है और वह अपनी छाल के माध्यम से खारे पानी से नमक को निकाल कर शुद्ध बनाता है। हर्रा का पेड़ वास्तव में खारे पानी को मीठे पाने में बदलने का एक प्राकृतिक व ईश्वरीय कारखाना है और उसके वैज्ञानिक नाम को ईरान के महान दर्शनशास्त्री अबू अली सीना के नाम पर अवीसेनिया मेरीना रख दिया गया है। हर्रा तीन से 6 मीटर ऊंचा छोटा पेड़ होता है और हल्के हरे रंग की डालियां व पत्तियां होती हैं। किश्म द्वीप में इस चीज़ के जंगल बहुत अधिक हैं और ये जंगल आधा पानी में और आधे पानी से बाहर से है। हर्रा के पेड़ समुद्र के खारे पानी में उगते हैं और समुद्र में आने वाले ज्वार भाटा के समय उनका दृश्य ही कुछ और होता है और वे हर देखने वाले के ध्यान को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। जो पर्यटक स्टीमर पर सवार होकर हर्रा के जंगल के मनोरम दृश्य को देखते हैं उनके मन में इन जंगलों की अमिट छाप सदा के लिए रह जाती है।
गर्म क्षेत्रों के रहने वाले पक्षी पलायन करके इस जंगल में आते हैं। इस जंगल के समुद्र में विभिन्न प्रकार जीव- जन्तु पाये जाते हैं। ये जीव-जन्तु मछलियों और जंगली पक्षियों के भोजन के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
क़िश्म द्वीप में विभिन्न प्रकार के बहुत अधिक पक्षी रहते हैं। इस दृष्टि से किश्म द्वीप दुनिया में बेजोड़ स्थान रखता है। क़िश्म द्वीप के चट्टानों वाले तटों और पहाड़ों में 150 से अधिक प्रकार के पक्षी रहते हैं। पतझड़ तथा जाड़े के मौसम में उनकी संख्या बढ़कर लाखों में पहुंच जाती है। फ्लेमिंगो के बड़े बड़े झुंडों, समुद्री अबाबील और विश्व के दुर्लभ पक्षियों जैसे नीली चील, सुर्मई पैरों वाली पेलीकन, हरे बगुले, और मछली का शिकार करने वाले बाज़ जैसे विभिन्न प्रकार के पक्षियों को किश्म द्वीप में बहुत आसानी से देखा जा सकता है।
इसके अतिरिक्त इस द्वीप में भारी आकार के उन कछुओं को बहुत अधिक संख्या में देखा जा सकता है जिनकी तादाद पूरे विश्व में कम हो गयी है। किश्म द्वीप में हरे रंग के कछुए इस द्वीप के हेंगाम, लार्क, ख़ूरान स्ट्रेट और लाफ्त क्षेत्र के पूरब में रहते हैं। इन कछुओं को देखने के लिए “शीब दराज़”गांव के रेतीले तट पर जाना होता है जो किश्म द्वीप से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये बड़े व सुन्दर कछुए जाड़े के मौसम के अंतिम दिनों से गर्मी के आरंभ तक यहां पर अंडे देते हैं। अगर आप इस सुन्दर दृश्य को निकट से देखना चाहते हैं तो रात को आपको अवश्य इस स्थान पर जाना होगा और घंटों रात के अंधेरे में बैठना होगा ताकि उनमें से किसी एक को देख सकें।
किश्म द्वीप के दक्षिणी तट से पांच किलोमीटर की दूरी पर “बिर्का ख़लफ” नाम का गांव है। इस गांव के उत्तर में किश्म द्वीप के पुराने व काफी परिवर्तित हो जाने वाले क्षेत्र के सुन्दर दृश्य को देखा जा सकता है। इस क्षेत्र के लोग इस गांव को “अस्तले कफ्तेह” कहते हैं परंतु यह जो द्वितीय दृश्य है उसे भूगोल वेत्ता “सितारा दर्रा” के नाम से पुकारते हैं। इस दर्रे का जो विशेष रूप है और इस दर्रे में जो गड्ढे हैं जब तेज़ हवाएं चलती हैं तो उसमें विशेष प्रकार की आवाज़ पैदा होती है और इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों का मानना है कि जब अंधेरा हो जाता है तो इस स्थान पर जिन्नों और आत्माओं का आना- जाना होता है। इसलिए वे वहां जाने से परहेज़ करते हैं। इस दर्रे में वास्तव में सतही जल, वर्षा और तेज़ हवाओं के कारण बदलाव हुआ है। आरंभिक पठार जो उत्तरी क्षेत्र में मौजूद हैं वे अब भी अछूते हैं और दर्रे की सतह से सात से 15 मीटर की ऊंचाई पर हैं। दर्रे के नर्म व कमज़ोर होने के कारण इस बात की अपेक्षा रखी जा सकती है कि तेज़ वर्षा के बाद दर्रे में ध्यान योग्य परिवर्तन हो सकता है परंतु ध्यान योग्य बात यह है कि तेज़ वर्षा यहां जल्दी होती ही नहीं है।
क़िश्म द्वीप के समुद्र और उसके तट में बहुत विविधता पाई जाती है। क़िश्म द्वीप के इर्द गिर्द मूंगे की जो चट्टानें हैं वे ईरानी और विदेशी गोताख़ोरों के लिए बहुत ही आकर्षक हैं। फार्स की खाड़ी विशेषकर किश्म द्वीप के पानी के नीचे का दृश्य देखने के समय हर मीटर पर नई चीज़ दिखाई देती है। किश्म द्वीप में जो रेंगने वाले जीव जन्तु हैं उनमें बहुत विविधता है। अभी बरक्ले विश्व विद्यालय की सहकारिता से जो अध्ययन किया गया है उससे सिद्ध हो गया है कि रेंगने वाले जीव जन्तुओं की दृष्टि से क़िश्म द्वीप विश्व में अनुदाहरणीय है।
फार्स की खाड़ी के द्वीपों में जो वनस्पतियां हैं उनमें बर्गद का पेड़ भी है जो हर मौसम में हरा रहता है और उसकी विभिन्न जड़ें हवा में भी होती हैं और उसके पके हुए फल नारंजी रंग के होते हैं जिन्हें खाया भी जाता है। इनमें से एक सुन्दर पेड़ तूरयान क्षेत्र के “तिम सिन्यती” गांव में है और उसके निकट प्राचीन वास्तुकला में ज़ियारत पीर नाम की एक मज़ार है।