आयतें और निशानियां- 2
चमकता सूरज प्रकाश और जीवन का स्रोत है और इस चीज़ को दिन में भली- भांति देखा जा सकता है।
गर्मी और सफाई का यह स्रोत किसी प्रकार के संकोच के बिना हमारी ज़मीन को प्रकाशित किये हुए है और अपने प्रकाश से हमें जीवन प्रदान किये हुए है।
आसमान बहुत सारी सुन्दरताओं से सुसज्जित है उसके बावजूद उसमें कुछ विशेष प्रकार की सुन्दरताएं हैं जिन्हें देखकर लोग हतप्रभ हैं। ब्रह्मांड की हतप्रभ करने वाली चीज़ों और सुन्दरताओं में से एक सूरज है। चमकता सूरज जीवन और प्रकाश का स्रोत है।
ज़मीन पर जो जीवन है उसका सूर्य के प्रकाश से अटूट संबंध है। इस आधार पर सूर्य की रचना और इंसान को लाभ पहुंचाने के लिए उसको एक निर्धारित स्थान पर स्थापित कर देना वास्तव में इंसान की रचना और उसके जीवन के जारी रहने की भूमिका है। जैसाकि पवित्र कुरआन के सूरे नबा की 13वीं आयत में आया हैः हमने सूरज को आसमान में जलते चेराग़ की भांति करार दिया है।
समूचा ब्रह्मांड सूरज के प्रकाश से प्रकाशमान है और जिस दिन यह ईश्वरीय दीप बुझ जायेगा उस दिन समूचा ब्रह्मांड घनघोर अंधेरे और कड़ाके की ठंड में डूब जायेगा। न हवा चलेगी, न आसमान में बादल होगा। न वर्षा होगी। पानी के सोते सूख जायेंगे, नहरें और झरनें रुक जायेंगे। घास और वनस्पतियां नहीं उगेंगी। खाने के लिए कोई चीज़ नहीं होगी। समूची ज़मीन पर बर्फ ही बर्फ होगी। परिणाम स्वरूप जीवन का चेराग़ बुझ जायेगा।
महान ईश्वर पवित्र कुरआन के सूरे यूनुस की पांचवीं आयत में कहता है" वही ईश्वर है जिसने सूरज को रोशनी प्रदान की और चांद को प्रज्वलित किया और उसके लिए स्थान निर्धारित किया ताकि तुम वर्षों के हिसाब- किताब को समझ सको। ईश्वर ने अकारण इन सबकी रचना नहीं की है। वह अपनी निशानियों को जानने वाले गिरोहों के लिए स्पष्ट रूप से बयान करता है।
पवित्र कुरआन की यह आयत सूरज को प्रकाश फैलाने वाला और चांद को प्रकाश प्राप्त करने वाला बताती है। यानी सूरज का प्रकाश स्वयं का प्रकाश है परंतु चांद का प्रकाश स्वयं का प्रकाश नहीं है और वह दर्पण की भांति है जो प्रकाश को प्रतिबिंबित करता है। यद्यपि पवित्र कुरआन विज्ञान की किताब नहीं है परंतु जब वह सृष्टि व रचना की विशेषताओं को बयान करता है तो विद्वान हतप्रभ रह जाते हैं। पवित्र कुरआन सूरे शम्स की एक से चार तक की आयतों में स्पष्ट व सीधे रूप से इस विषय की ओर संकेत करता है कि रातों को सूरज का प्रकाश चांद के माध्यम से प्रतिबिंबिंत होता है। इन आयतों में महान व सर्वसमर्थ ईश्वर कहता है" क़सम है सूरज और उसके प्रकाश की और चांद की क़सम जब वह चमकता है और दिन की क़सम जब वह उजाला फैलाता है और रात की क़सम जब वह दिन को ढ़क लेती है)
इस प्रकार सूरज भी महान, सर्वसमर्थ और तत्वदर्शी ईश्वर व रचयिता के अस्तित्व का स्पष्ट प्रमाण है। पवित्र कुरआन ने विभिन्न शैलियों के माध्यम से मानव समाज का आह्वान ब्रह्मांड की चकित करने वाली वस्तुओं के बारे में चिंतन- मनन करने के लिए किया है। पवित्र कुरआन के सूरे यासिन की 38 वीं आयत में आया है( सूरज अपने नियत कक्ष में घूमता है और यह शक्ति प्रदर्शन महान, सक्षम व शक्तिशाली ईश्वर के आदेश से हो रहा है)