Jun ०९, २०१८ १६:२५ Asia/Kolkata

वर्तमान समय में विभिन्न चीज़ों के बारे में जो अनुसंधान किये जा रहे हैं उनसे ईश्वर की महनता का पता चलता है।

जैसे-जैसे अनुसंधानों के रिज़ल्ट सामने आर रहे हैं उनसे पता चल रहा है कि सृष्टि को कितनी सूक्ष्मता के साथ बनाया गया है।  सूरज, चांद, पेड़-पौधे, पहाड़ और नदियां, सभी इसका प्रमाण हैं। 

 

सूर्य और चंद्रमा, खगोलीय पिण्ड में से हैं।  पृथ्वी से इन दोनों की निकटता के कारण यह मानव जीवन को अधिक प्रभावित करते हैं।  पवित्र क़ुरआन में सूर्य और चन्द्रमा दोनो को ईश्वर की निशानी के रूप में प्रस्तुत किया गया है।  ईश्वर ने जो अपनी निशानियां बनाई हैं, वे सर्वशक्तिमान ईश्वर की शक्ति और उसके प्रभुत्व की परिचायक हैं।  ईश्वर की यही निशानियां, उन लोगों के लिए बहुत अच्छा पाठ हैं जो ईश्वर की गहरी पहचान प्राप्त करना चाहते हैं।  यही कारण है कि पवित्र क़ुरआन में ईश्वर की निशानियों या उसकी रचनाओं में चिंतन-मनन करने का आह्वान किया गया है।

 

चंद्रमा के बारे में इमाम ज़ैनुल आबेदीन कहते हैं कि गतिशील रहने वाली हे आज्ञाकरी रचना।  मैं उस रचयिता पर ईमान रखता हूं जिसने तेरे माध्यम से अंधेरे को दूर किया और अस्पष्ट को स्पष्ट किया।  उसी ने तुझे उगने और डूबने का आदेश दिया।  तू इस संबन्ध में ईश्वरीय आदेश का पालन कर रहा है।

तुल्नात्मक रूप से चांद एक उपगृह है।  सूरज के बाद आसमान में सबसे अधिक चमकने वाला उप गृह चंद्रमा है।  वैज्ञानकों के अनुसार यह धरती से बहुत छोटा है।  यही कारण है कि धरती की तुलना में चांद की गुरूत्वाकर्णषण शक्ति 61/6 है।  धरती से चांद की दूरी लगभग 3/84/403 किलोमीटर है।  धरती के चारों ओर चक्कर लगाने की इसकी गति एक किलोमीटर प्रति सेकेन्ड है।  लगभग 28 दिनों में यह धरती का एक चक्कर पूरा करता है।

पवित्र क़ुरआन की कई आयतों में चांद और उससे होने वाले लाभ के बारे में बताया गया है।  कुछ स्थानों पर ईश्वर ने चांद की क़सम खाई है।  क़ुरआन की 27 आयतों में चांद के बारे में बात कही गई है।  सूरे अंबिया की 33वीं आयत में ईश्वर कहता है कि वही है जिसने दिनरात और सूरज तथा चांद को बनाया।  दोनों अपने-अपने (कक्षा) में गतिशील हैं।

 

इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम, मोफ़ज़्ज़ल को संबोधित करते हुए कहते हैं कि चादं के माध्यम से ईश्वर को पहचानो क्योंकि लोग, चांद से समय की गणना करते हैं।  वे साल का हिसाब इससे लगाते हैं।  महीनों का हिसाब चांद से ही लगाया जाता है।