यमन पर बमबारी रोकी जाए
यमन में कई वर्षों से युद्ध जारी है जो निश्चित रूप से एक असमान युद्ध है जिसमें एक तरफ तो धरती व आकाश से बमों व मिसाइल की बारिश है और दूसरी तरफ़ भूख व प्यास में तड़पते बच्चे और महिलाए हैं जिन्हें इन बमों से निशाना बनाया जा रहा है।
विश्व समुदाय की चुप्पी के बीच यमन के बच्चों को अत्याधिक क्रूरता के साथ निशाना बनाया जा रहा है, उनकी चीख, आह व क्रदंन को सुनने वाला कोई नहीं है, आज यमन के घरों में युवा नहीं नज़र नहीं आते केवल महिलाएं और बच्चे हैं जिन्हें सऊदी अरब निशाना बना रहा है। यमन में आज न खाने के लिए आहार है न महामारी से बचने के लिए कोई दवा है। न गैस है , न बिजली, न पीने का पानी बस हर तरफ सऊदी गठजोड़ के विमानों की गरज और महामारी से सिसकते बच्चे हैं। सवाल यह है कि इस आधुनिक काल में कि जब संपर्क साधन इतने बढ़ गये हैं इतने प्रभावशाली हो गये हैं , इन बच्चों की चीख किसी को सुनायी क्यों नहीं देती? संयुक्त राष्ट्र संघ कहां है ? मानवाधिकार की रक्षा के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होते हैं, बड़े बड़े लोग भाग लेते हैं, सुन्दर शब्दों से सजे भाषण देते हैं लेकिन यमन पर कोई कुछ बोलने पर तैयार नहीं क्या यमन पर भी कोई सम्मेलन होगा?
14 जनवरी सन 2011 में यमन में एक एेसी क्रांति आयी जो पूरी तरह से आंतरिक थी। यमन के तानाशाह अब्दुल्लाह सालेह के खिलाफ यमनी जनता सड़कों पर उतर आयी और अब्दुल्लाह सालेह को जनता के सामने झुकना पड़ा और फिर जनवरी 2012 में वह यमन से भाग खड़े हुए और जनता द्वारा आयोजित चुनाव में फरवरी 2012 को अब्दु रब्बेह मंसूर हादी, यमन के राष्ट्रपति बने। ब्रिटेन, मिस्र, और सोवियत संघ में शिक्षा प्राप्त कर चुके मंसूर हादी, यमन के अपदस्त तानशाह अब्दुल्लाह साहेल के सहयोगी थे। यमनी जनता ने मतदान में भाग लेकर उन्हें यमन के राष्ट्रपति के रूप में चुना था यमनी जनता, प्रजातंत्र की इच्छुक थी और भ्रष्टाचार के खिलाफ सच्ची लड़ाई की मांग कर रही है लेकिन मंसूर हादी के चयन के बाद उनकी समझ में यह आया कि मंसूर हादी की प्रवृत्ति भी तानाशाहों जैसी है। मंसूर हादी की अयोग्यता और देश संचालन में अक्षमता स्पष्ट होने के बाद यमनी जनता एक बार फिर सड़कों पर उतरी क्योंकि उनके सामने यह भी साबित हो गया था कि उनका राष्ट्रपति सऊदी अरब का पिटठू है। जनता ने सड़कों पर उतर कर मंसूर हादी के त्यागपत्र की मांग की।
जन प्रदर्शनों का नेतृत्व अन्साारुल्लाह संगठन कर रहा था इसी लिए उसने जनवरी 2015 में राष्ट्रपति भवन पर क़ब्ज़ा कर लिया जिसके बाद मंसूर हादी ने त्याग पत्र दे दिया और वे अदन भाग गये लेकिन कुछ ही दिनों बाद अचानक उन्होंनें अपना त्यागपत्र वापस लेते हुए ऐलान किया कि यमन के कानूनी राष्ट्रपति वही हैं और अदन यमन की अस्थायी राजधानी है। दूसरी ओर वर्षों से यमन को ललचाई नज़रों से देखने वाले सऊदी अरब ने इस अवसर पर यमन पर हमले के लिए इस्तेमाल किया । दरअस्ल सऊदी अरब बहुत पहले से अदन की खाड़ी तक पहुंचने और बाबुलमंदब स्ट्रेट पर क़ब्ज़े का सपना देख रहा है और इसे आले सऊद वंश की महत्वकांक्षा समझा जाता है। इसके साथ ही सऊदी अरब को यमन में शिया हौसी क़बीले के शक्तिशाली होने की ओर से भी चिंता थी यही सारे कारण थे कि सऊदी अरब ने पश्चिमी देशों से आशीर्वाद लेकर यमन के हज़रमौत और अलमुहरा प्रान्तों को सऊदी अरब से जोड़ने का एलान करते हुए यमन के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। सऊदी अरब के रक्षामंत्री ने यमन पर हमले का एक उद्देश्य यही बताया था।
सऊदी अरब ने 25 मार्च सन 2015 में कुछ अरब देशों के साथ मिल कर यमन पर हमले का आरंभ किया। इस अभियान का नाम संकल्प की आंधी रखा था । इस हमले के लिए बहाना मंसूर हादी का समर्थन था और सऊदी अरब में शरण लेने वाले मंसूर हादी ने भी यमन के नगरों पर सऊदी अरब के हमलों का समर्थन किया। अब सऊदी गठजोड़ के इस गैर कानूनी हमले को कई वर्ष बीत रहे हैं और हमले जारी हैं जिसके दौरान बड़ी संख्या में आम नागरिकों को निशाना बनाया गया, यमन के मूल भूत ढांचे को तबाह कर दिया गया और एेसे हालात बनाए गये जिनमें अलकायदा जैसे आतंकवादी गुटों को शक्ति मिली किंतु इन सबके बावजूद सऊदी अरब को कुछ नहीं मिला जिसकी वजह से सऊदी अरब ने दुष्टता की सारी सीमांए लांघते हुए , यमन में मानवता प्रेमी सहायता की भी अनुमति नहीं दी जिसकी वजह से यमन पर हमले के चौथे साल, रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि यमन की दशा बिगड़ती जा रही है। यमन के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है कि अब तक इस युद्ध में कई हज़ार आम नागिरक मारे जा चुके हैं लेकिन जो बचे हैं उनकी दशा भी ठीक नहीं है। व्यापक स्तर पर भुखमरी के अलावा कॅालरा जैसी महामारी भी यमनी नागरिकों को मौत के मुंह में ढकेल रही है लेकिन कोई यह कहने वाला नहीं है कि यमन पर बमबारी बंद की जाए।
आप के लिए यह जानना भी रोचक होगा कि एमेनेस्टी इन्टरनेशनल ने अपनी हालिया रिपोर्ट में इस त्रासदी को रियाज़ के नेतृत्व में गठजोड़ द्वारा युद्ध अपराध का नाम दिया है । रिपोर्ट में कहा गया है कि सऊदी अरब के नेतृत्व में गठजोड़ की सेना संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से मानवता प्रेमी सहायताओं से भरे पानी के जहाज़ों को रोकती है और तलाशी व जांच के बहाने महीनों समुद्र में रोके रखती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कभी कभी इस प्रकार की जांच , राहत सामाग्री पहुंचाने में गंभीरता के साथ बाधा खड़ी करती है इसी लिए हमारे विचार में यह काम, संभावित रूप से सामूहिक रूप से दंडित करने के लिए किया जाता है जो युद्ध अपराध की सूचि में आता है।
यह ऐसी दशा में है कि इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतु्ल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने अपने भाषणों में इस हमले को अपराध, जातीय सफाया और अंतरराष्ट्रीय अदालत में मुक़द्दमा चलाए जाने वाला कृत्य बताया है । वरिष्ठ नेता ने कहा कि बच्चों की हत्या, घरों को गिराना, जातीय सफाया और एक देश के मूल भूत ढांचे और राष्ट्रीय संपत्ति को तबाह करना बहुत बड़ा अपराध है। वरिष्ठ नेता ने यमन पर सऊदी हमले को विफल बताया और कहा कि यमन में सऊदी अरब को नाक रगड़नी पड़ेगी।
इस समय भुखमरी, आहार व स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव विशेषकर युद्ध ग्रस्त क्षेत्रों में यमनी बच्चों को मौत के मुंह ढकेल रहा है। युनिसेफ के क्षेत्रीय कार्यालय ने बताया है कि इस संगठन के इतिहास में पहली बार उसे विमान द्वारा मानवता प्रेमी सहायता ले जाने की अनुमति नहीं दी गयी। इस समय यमन में बीस लाख से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार हो चुके हैं और हर मिनट में एक बच्चा, एेसे रोग में मर रहा है जिसका उपचार संभव है। महामारी पहले ही हज़ारों बच्चों को निगल चुकी है। मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीक़ा में युनिसेफ के क्षेत्रीय महानिदेशक, ख़ीरत काबालारी ने एक बयान जारी करके बताया है कि केवल एक ही महीने में महामारी के 70 हज़ार मामले सामने आए हैं और लगभग 600 लोग इस बीमारी में मारे गये। उन्होंने कहा कि यदि महामारी जारी रही तो अगे दो हफ्तों के दौरान एक लाख तीस हज़ार लोग इस में ग्रस्त हो जाएंगे।
काबालारी ने यमन में बचे हुए कुछ अस्पतालों में से एक के निरीक्षण के बाद कहा कि उन्होंने दिल को दहला देने वाले दृश्य देखे हैं जिसके दौरान जान देते बच्चों को देखना सब से अधिक पीड़ादायक था। एेसे नवजात शिशु देखे हैं जिनका वज़न एक किलो से भी कम था और जो मौत से जूझ रहे थे या जनम लेने वाले दिन ही काल के गाल में समा गये मानो यमन का युद्ध, बच्चों के खिलाफ युद्ध बन गया है।
यमन समस्त कठिनाइयों, दुखों और विश्व समुदाय की चुप्पी के मध्य डटा हुआ है और संघर्ष कर रहा है, खाली हाथों से लड़ रहा है लेकिन हार मान कर बैठ नहीं रहा है क्योंकि अपमान उसे अच्छ नहीं लगता। हालिया दिनों में अंसारुल्लाह ने कहा है कि यमन के मिसाइल की मारक क्षमता हर दिन बढ़ रही है। कुछ दिनों पहले , रियाज़ में उनके मिसाइलों की घन गरज ने सऊदी अरब के युवा व अनुभवहीन शासकों की नींद हराम कर दी थी और यमनियों के दिलों में आशा की जो जगा दी थी। निश्चित रूप से ईश्वरीय सहायता निकट है क्योंकि ईश्वर ने स्वंय कुरआने मजीद में कहा है कि मूसा ने अपने अनुयाइयों से कहा कि अल्लाह से मदद मांगो, और डटे रहो क्योंकि धरती ईश्वर की है और उसे वह अपने दासों में से जिसे चाहता है देता है और अच्छा भविष्य निश्चित रूप से ईश्वर से डरने वालों के लिए है। (Q.A.)