यमनी बच्चों पर सऊदी युद्ध के प्रभाव
यमन युद्ध के इस देश के बच्चों पर बेहद घातक प्रभाव पड़ रहे हैं, कुछ प्रभाव परोक्ष हैं और कुछ अपरोक्ष हैं।
यमन का युद्ध मार्च सन 2015 से आरंभ हुआ और 26 सितंबर 2018 को इस युद्ध को 42वां महीना खत्म हो जाएगा और युद्ध 43वें महीने में प्रविष्ट हो जाएगा। अब तक यमनी नागरिकों पर इस युद्ध के बेहद घातक प्रभाव पड़े हैं किंतु निश्चित रूप से यमन के बच्चे सब से अधिक प्रभावित हुए हैं और वही सब से अधिक बेगुनाह हैं और सऊदी गठबंधन उन्हें ही सब से अधिक निशाना बना रहा है। यह कहा जा सकता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव गुटरेस और अन्य हस्तियों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने जो यह कहा है कि यमन की वर्तमान स्थिति हालिया दशकों की सब से बड़ी मानवत्रासदी है तो इसकी बड़ी वजह, वह प्रभाव हैं जो यमनी बच्चों पर पड़े हैं।
यमनी बच्चों की सब से बड़ी समस्या, भूख है जिसकी वजह से अत्यन्त दयनीय स्थिति पैदा हो गयी है। भूख ने बच्चों की दशा ऐसी कर दी है कि उन्हें देख कर दिल दहल जाता है। उनकी हड्डियां गिनी जा सकती हैं और वह वास्तव में चलती फिरती लाश बन चुके हैं। यमन में भुखमरी का यह हाल है कि बहुत से लोग , पत्ते खाकर पेट भर रहे हैं। रिपोर्टों में बताया गया है कि माएं , पत्ते तोड़ कर घर ले जाती हैं और पका कर बच्चों को देती हैं। हिज्जा प्रान्त के मिशरादा गांव के असलम मोहल्ले के रहने वाले एक यमनी ने न्यूज़ एजेन्सी से बात करते हुए बताया कि हम पत्ते पकाते हैं और वही खिलाते हैं। पत्तों ने हमारी जान बचा रखी है। एक दूसरे व्यक्ति ने, पत्ते खाते हुए एक बच्चे की ओर इशारा करते हुए कहा कि खाने पीने की चीज़ें खत्म होने के बाद अब यही पत्ते हमारे बच्चों का आहार बन चुके हैं। एपी न्यूज़ एजेन्सी ने अपनी एक रिपोर्ट में हिज्जा प्रान्त के बच्चों की दयनीय स्थिति का उल्लेख करते हुए लिखा है कि हज्जा प्रान्त के असलम क्षेत्र का स्वास्थ्य केन्द्र कमज़ोर बच्चों से भरा हुआ है जिनकी आंखें अंदर धंसी हुई हैं और पसलियों को गिना जा सकता है। नर्सों ने वहां के बच्चों की बांहों को नापा तो वह कुछ ही सेन्टीमीटर थीं और यह अत्यधिक बुरे कुपोषण के लक्षण हैं वर्ष के आरंभ से अब तक केवल हज्जा प्रान्त में ही 20 से अधिक बच्चे भूख से मर गये किंतु यह सरकारी आंकड़े हैं वास्तविक आंकड़े इससे कहीं अधिक हैं क्योंकि बहुत से परिवार भूख से अपने बच्चों की मौत के बारे में सरकारी संस्थाओं को बताते भी नहीं है।
एसोशिएटेड प्रेस को यमन के स्वास्थ्य मंत्रालय में आहार विभाग के प्रमुख वलीद अश्शमशान के हवाले से बताया कि ईसवी साल की पहली छमाही में हज्जा प्रांत में गंभीर कुपोषण के 17 हज़ार मामलों की रिपोर्ट मिली है। कुपोषण का शिकार होने वाले बच्चे, स्वास्थ्य केन्द्रों में इलाज के बाद, बिना दवा और आहार के वापस अपने गांव चले जाते हैं और कुछ दिनों बाद, पहले से अधिक बुरी हालत में दोबारा स्वास्थ्य केन्द्रों में वापस आ जाते हैं वह भी अगर वापसी तक मौत उन्हें मोहलत दे तो।
अलमनार टीवी चैनल ने भी यमनी बच्चों के बारे में अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि यमन के बीस लाख से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार हैं और उनमें से चार लाख गंभीर कुपोषण से जूझ रहे हैं और भूख की वजह से मौत से मात्र एक क़दम दूर हैं जबकि एक करोड़ दस लाख से अधिक यमनी बच्चे अर्थात 18 वर्ष से कम आयु के 80 प्रतिशत से अधिक बच्चे कुपोषण और उसके परिणाम में होने वाले रोगों के खतरे से जूझ रहे हैं। इस से अधिक ठोस रिपोर्ट वह है जिसे यूनिसेफ ने " अगर स्कूल में न हों " के शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित किया है । इस रिपोर्ट में कहा गया है ि यमन के 18 लाख बच्चे और ग्यारह लाख गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाएं कुपोषण का शिकार हैं जो वर्ष 2014 की तुलना में 128 प्रतिशत अधिक है।
यह तो रोगों की बात है लेकिन सऊदी गठबंधन के हमलों में मारे जाने वाले और घायल होने वालों की सही संख्या तक का पता नहीं है। अगस्त 2015 में यूनिसेफ ने जो रिपोर्ट प्रकाशित की है उसके अनुसार यमन के खिलाफ युद्ध के आरंभिक तीन महीनों में 398 बच्चे मारे गये और मार्च 2015 में 60 बच्चे घायल हो गये लेकिन अगस्त 2016 में यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार 1121 बच्चे मारे गये और 1650 घायल हुए थे। सनआ से अधिकार व विकास की कानूनी संस्था ने यमन के खिलाफ 1000 दिवसीय युद्ध के बारे में अपनी रिपोर्ट में इस युद्ध में मारे जाने वालों की संख्या 13 हज़ार 603 बतायी है जिनमें से 2 हजार 887 बच्चे थे। इस रिपोर्ट के अनुसार इस युद्ध में 21 हजर 812 यमनी घायल हुए जिनमें से 2 हजार 722 बच्चे हैं। निश्चित रूप से हालिया छे महीनों के दौरान इस आंकड़े में असाधारण रूप से वृद्धि हुई है जैसा कि केवल 9 अगस्त को ही सऊदी अरब के विमानों द्वारा ज़हयान क्षेत्र में एक बस पर की जाने वाली बमबारी में 120 बच्चे हताहत और घायल हुए थे।
यमन के युद्ध की एक दूसरी बड़ी समस्या यह है कि इस से इस देश के बच्चे शिक्षा से पूरी तरह से वंचित हो गये हैं। मार्च 2018 की यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार यमन के बीस लाख से अधिक बच्चे, शिक्षा से वंचित हैं । तीन चौथाई सरकारी टीचरों के वेतन नहीं दिया गया है और पैंतालिस लाख बच्चों को शिक्षा से वंचित होने का खतरा है। " यदि स्कूल में न हों " शीर्षक के अंतर्गत यूनिसेफ की रिपोर्ट में बताया गया है कि यमन के 2500 से अधिक स्कूल पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं और दो तिहाई स्कूलों को युद्ध की वजह से नुक़सान हुआ है , 27 प्रतिशत स्कूल बंद पड़े हैं और 7 प्रतिशत स्कूलों को सेना या शरणार्थियों के लिए प्रयोग किया जा रहा है। वास्तव में इस रिपोर्ट में यह सवाल किया गया है कि अगर बच्चे स्कूल में नहीं हैं तो कहां हैं? और क्या कर रहे हैं? इस सवाल के जवाब में कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं की ओर संकेत किया गया जैसे यह कि 2416 बच्चों ने सन 2015 से अब तक सैन्य संगठनों की सदस्यता ली है। 18 वर्ष से कम आयु की तीन चौथाई महिलाओं को शादी के लिए मजबूर होना पड़ा जिनमें से 44 दशमलव 5 प्रतिशत की आयु 15 वर्ष से भी कम है।
इन परिस्थितियों की वजह से यमन में यूनिसेफ के प्रतिनिधि ने कहा है कि यमन के बच्चों की एक पूरी पीढ़ी, शिक्षा से वंचित होने की वजह से अंधकारमय भविष्य रखती है और और वह बच्चे जो स्कूल जाते भी हैं उन्हें भी जिस प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता है वह मिल ही नहीं पाती।
यमन के खिलाफ सऊदी अरब और उसके घटकों के युद्ध के प्रभाव, केवल, भूख , मौत, घाव ,शिक्षा से वंचित होने जैसी समस्याओं तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि यह युद्ध के अत्यधिक भयानक परिणाम हैं । इन के अलावा यमनी बच्चों को परिवार के टूटने, माता पिता भाई बहन मित्र आदि को खो देने और भयानक दृश्य देखने की वजह से मानसिक रोगों जैसी समस्याओं का भी सामना है। इन समस्याओं के प्रभाव पूरे जीवन यमनी बच्चों को परेशान करते रहेंगे और उन्हें मानसिक रूप से कभी स्वस्थ नहीं होने देंगे।