क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-685
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-685
وَأَدْخِلْ يَدَكَ فِي جَيْبِكَ تَخْرُجْ بَيْضَاءَ مِنْ غَيْرِ سُوءٍ فِي تِسْعِ آَيَاتٍ إِلَى فِرْعَوْنَ وَقَوْمِهِ إِنَّهُمْ كَانُوا قَوْمًا فَاسِقِينَ (12)
और (हे मूसा!) अपना हाथ अपने गरेबान में डालो ताकि वह बिना किसी ख़राबी के सफ़ेद (और चमकता हुआ) निकलेगा। यह फ़िरऔन और उसकी जाति की ओर नौ चमत्कारों में से है। निश्चय ही वे अवज्ञाकारी लोग हैं। (27:12)
فَلَمَّا جَاءَتْهُمْ آَيَاتُنَا مُبْصِرَةً قَالُوا هَذَا سِحْرٌ مُبِينٌ (13) وَجَحَدُوا بِهَا وَاسْتَيْقَنَتْهَا أَنْفُسُهُمْ ظُلْمًا وَعُلُوًّا فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُفْسِدِينَ (14)
तो जब स्पष्ट कर देने वाली हमारी निशानियाँ उनके पास आईं तो उन्होंने कहा, यह तो खुला हुआ जादू है। (27:13) और यद्यपि उनके मन उन (निशानियों) पर विश्वास कर चुके थे, उन्होंने अत्याचार और उद्दंडता से उनका इन्कार कर दिया। तो फिर देख लो इन बुराई फैलाने वालों का परिणाम कैसा था? (27:14)
وَلَقَدْ آَتَيْنَا دَاوُودَ وَسُلَيْمَانَ عِلْمًا وَقَالَا الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي فَضَّلَنَا عَلَى كَثِيرٍ مِنْ عِبَادِهِ الْمُؤْمِنِينَ (15) وَوَرِثَ سُلَيْمَانُ دَاوُودَ وَقَالَ يَا أَيُّهَا النَّاسُ عُلِّمْنَا مَنْطِقَ الطَّيْرِ وَأُوتِينَا مِنْ كُلِّ شَيْءٍ إِنَّ هَذَا لَهُوَ الْفَضْلُ الْمُبِينُ (16)
और हमने दाऊद व सुलैमान को (विशेष) ज्ञान प्रदान किया और उन दोनों ने कहा कि सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए ही है जिसने हमें अपने बहुत से ईमान वाले बन्दों पर श्रेष्ठता प्रदान की। (27:15) और सुलैमान, दाऊद के उत्तराधिकारी हुए और उन्होंने कहा! हे लोगो! हमें पक्षियों की बोली सिखाई गई है और हर चीज़ में से हमें प्रदान किया गया है। निस्संदेह यही स्पष्ट कृपा है। (27:16)