Oct ०३, २०१८ १३:३२ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-686

وَحُشِرَ لِسُلَيْمَانَ جُنُودُهُ مِنَ الْجِنِّ وَالْإِنْسِ وَالطَّيْرِ فَهُمْ يُوزَعُونَ (17) حَتَّى إِذَا أَتَوْا عَلَى وَادِ النَّمْلِ قَالَتْ نَمْلَةٌ يَا أَيُّهَا النَّمْلُ ادْخُلُوا مَسَاكِنَكُمْ لَا يَحْطِمَنَّكُمْ سُلَيْمَانُ وَجُنُودُهُ وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ (18)

 

जिन्नों, मनुष्यों और पक्षियों में से सुलैमान के लिए उनकी सेनाएँ एकत्र कर दी गईं फिर उन्हें सुव्यवस्थित ढंग से (बिखराव से) रोक लिया गया। (27:17) (सुलैमान अपनी सेना के साथ आगे बढ़े) यहाँ तक कि जब वे विंदटियों की घाटी में पहुँचे तो एक चिंउटी ने कहा, हेचिंउटियों! अपने घरों में घुस जाओ। कहीं सुलैमान और उसकी सेनाएँ तुम्हें कुचल न दें और उन्हें आभास भी न हो। (27:18)

 

 

فَتَبَسَّمَ ضَاحِكًا مِنْ قَوْلِهَا وَقَالَ رَبِّ أَوْزِعْنِي أَنْ أَشْكُرَ نِعْمَتَكَ الَّتِي أَنْعَمْتَ عَلَيَّ وَعَلَى وَالِدَيَّ وَأَنْ أَعْمَلَ صَالِحًا تَرْضَاهُ وَأَدْخِلْنِي بِرَحْمَتِكَ فِي عِبَادِكَ الصَّالِحِينَ (19)

 

 

तो सुलैमान उसकी बात पर हंसी से मुस्कराए और उन्होंने कहा, हे पालनहार! मुझे इस बात का सामर्थ्य प्रदान कर कि मैं तेरी उस कृपा पर कृतज्ञ रहूँ जो तूने मुझ पर और मेरे माता-पिता पर की है। और वह अच्छा कर्म करूँ जो तुझे पसन्द आए और अपनी दया व कृपा से मुझे अपने अच्छे बन्दों में शामिल कर। (27:19)

 

 

وَتَفَقَّدَ الطَّيْرَ فَقَالَ مَا لِيَ لَا أَرَى الْهُدْهُدَ أَمْ كَانَ مِنَ الْغَائِبِينَ (20) لَأُعَذِّبَنَّهُ عَذَابًا شَدِيدًا أَوْ لَأَذْبَحَنَّهُ أَوْ لَيَأْتِيَنِّي بِسُلْطَانٍ مُبِينٍ (21) فَمَكَثَ غَيْرَ بَعِيدٍ فَقَالَ أَحَطتُ بِمَا لَمْ تُحِطْ بِهِ وَجِئْتُكَ مِنْ سَبَإٍ بِنَبَإٍ يَقِينٍ (22)

 

 

और सुलैमान ने पक्षियों की जाँच की (और हुदहुद को न पाया) तो कहा, क्या बात है कि मैं हुदहुद को नहीं देख रहा हूँ? (क्या वह यहीं है और मैं उसे नहीं देख रहा हूं) या वह ग़ायब हो गया है? (27:20) निश्चय ही मैं उसे कठोर दंड दूँगा या उसे ज़िबह कर डालूँगा या फिर वह मेरे सामने (अपने ग़ायब रहने का) कोई स्पष्ट कारण प्रस्तुत करे।" (27:21) फिर कुछ अधिक देर नहीं गुज़री थी कि उसने आकर कहा, "मैंने वह जानकारी प्राप्त की है जो आपको मालूम नहीं है। मैं सबा (के क्षेत्र) से आपके पास एक विश्वसनीय (व महत्वपूर्ण) सूचना लेकर आया हूँ (27:22)

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