Oct ०७, २०१८ १४:०४ Asia/Kolkata

हम आपको बता चुके हैं कि फ़ार्स की खाड़ी एक स्वतंत्र समुद्री जलक्षेत्र है।

फ़ार्स की खाड़ी, हुरमुज़ स्ट्रेट और प्रशांत महासागर के माध्यम से ईरान को दूसरे जलक्षेत्रों और दुनिया के देशों से जोड़ता है।  फ़ार्स की खाड़ी में बहुत से द्वीप स्थित हैं जिनमें से अधिकांश का संबंध प्राचीन समय से ईरान से रहा है।  फ़ार्स की खाड़ी के पानी की गहराई में तेल और गैस के बड़े-बड़े भंडार हैं जिसकी वजह से वह व्यापारिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखती है। फ़ार्स की खाड़ी के किनारे-किनारे पर्वत मालायें भी हैं जिनमें से कुछ क्षेत्रों में पर्वत मालाओं का अंत समुद्र पर होता है जबकि कुछ समुद्र से दूर होती हैं। पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान हम फ़ार्स की खाड़ी में स्थित ईरानी द्वीपों की यात्रा करते हुए "हुरमुज़गान" प्रांत तक पहुंचे थे।  इस सप्ताह से हम फ़ार्स की खाड़ी के ईरानी द्वीपों की यात्रा को आगे बढ़ाते हुए "बूशहर" प्रांत पहुचेंगे। 

ईरान का "बूशहर" प्रांत, फ़ार्स की खाड़ी के उत्तरी तट पर स्थित है।  इसका क्षेत्रफल 27653 वर्ग किलोमीटर है।  इसकी 625 किलोमीटर लंबी सीमा फ़ार्स की खाड़ी से मिलती है।  तटवर्ती नगर बूशहर, तीन हज़ार वर्ष ईसा पूर्व से लेकर एक हज़ार वर्ष ईसा पूर्व तक ईलामी सभ्यता के प्रभाव में रहा है।  प्रमाणों से यह पता चलता है कि बूहशहर का पुराना नाम "लियान" था।

वर्तमान समय में फ़ार्स की खाड़ी में स्थित बूशहर या अबूशहर, 17वीं शताब्दी में नादिर शाह के काल में इस नाम से मश्हूर हुआ था।  अति प्राचानी प्रमाणो से सिद्ध होता है कि इस्लाम के उदय से पहले भी यहां पर लोग रहा करते थे।  दक्षिणी ईरान से प्राप्त होने वाले बहुत से प्राचीन शिलालेखों से पता चलता है कि आठ शताब्दी ईसापूर्व भी यहां पर लोग जीवन व्यतीत करते थे।

बूशहर प्रांत में कुद्द बंदरगाहे हैं जो इस क्षेत्र के उत्तर से दक्षिण तक फ़ार्स की खाड़ी में स्थित हैं।  इन बंदरगाहों के नाम इस प्रकार हैं देइलम, गुनावे, रीग, बूशहर, दीर, कंगान, अख़तर, ताहेरी और असलविये।  बूशहर प्रांत के 12 द्वीप फ़ार्स की खाड़ी में स्थित हैं। 

बूशहर बंदरगाह के उत्तर में "शीफ" नामक प्रायद्वीप है।  यह द्वीप हिल्ले तालाब के अन्तिम छोर और शापूर एवं दालकी नदियों के संगम पर स्थित है।  यह बूशहर बंदरगाह से 6 किलोमीटर उत्तर में स्थित है।  इस द्वीप पर एक हज़ार परिवार रहते हैं।  यहां के लोग सामान्यतः अरबी भाषा में बोलते हैं।  इन लोगों की अरबी भाषा का उच्चारण विशेष प्रकार का है।  शीफ प्रायद्वीप के पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में लोग रहते हैं।  इस द्वीप के पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र पानी की एक पतली नहर के माध्यम से एक-दूसरे से अलग होते हैं।  इसका पूर्वी क्षेत्र, पश्चिमी क्षेत्र की तुलना में बड़ा है।  इस द्वीप के अधिकांश लोगों का व्यवसाय मछली का शिकार करना है।  सन 2001 में यहां पर एक मार्ग बनाया गया था जिसके कारण यहां से सूखे मार्ग से सद्रा द्वीप जाया जा सकता है।

पुराने ज़माने में शीफ़ प्रायद्वीप को "शेख सअद" के नाम से जाना जाता था।  इसका मुख्य कारण यह है कि यहां पर शेख साद का मज़ार है।  इतिहास के अनुसार शेख सअद एक ईरानी योद्धा थे।  उन्होंने कुछ समय तक इस द्वीप पर राज किया।  यह द्वीप सन 1949 तक "अहमद ख़ान अंगाली" के नियंत्रण में था।  उसके बाद ज़ोर-जबरदस्ती से शेख सअद का नाम बदलकर शीफ रख दिया गया।  वर्तमान समय में शीफ प्रायद्वीप पर अहमद ख़ान के शासन से संबन्धित कुछ खंण्हर ही शेष बचे हैं। 

पुराने ज़माने में शीफ प्रायद्वीप से ईरान से फ़ार्स की खाड़ी के देशों के लिए सामान आयात तथा निर्यात किया जाता था।  उस समय अहमद ख़ान, आयात और निर्यात करने वालो से वसूली करता था।  ईरान से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं को तेहरान, इस्फ़हान और शीराज़ से शीफ द्वीप लाया जाता था।  बाद में यहां से उनको फ़ार्स की खाड़ी के देशों को भेजा जाता था।  वे लोग जो शीफ प्रायद्वीप पर जाते हैं सामान्यतः यहां पर मछली पकड़ने वाले स्थानों को देखने जाते हैं।  यहां का मछली बाज़ार देखने के लाएक़ है।  यहां पर मछली बेचने वाले जज़ीरा नामक घाट पर जो इसके उत्तर में स्थित है मछलियां बेचते हैं।

मछली के अलावा शीफ प्रयाद्वीप फोटोग्राफ़ी के लिए भी उपयुक्त स्थान है।  इस द्वीप के पूर्वी छोर पर ज्वार-भाटा के बाद धरती का जो हिस्सा कुछ गढ्ढे में चला गया है, बहुत ही सुन्दर दृश्य प्रस्तुत करता है।  यह दृश्य फ़ोटोग्राफ़ी के लिए बहुत ही उपयुक्त एवं आकर्षक स्थल है।

 

बूशहर बंदरगाह के निकट एक छोटा सा द्वीप है "अबासक" जो निर्जन है।  इसको विगत में "जज़ीरे शाह ज़ंगी" के नाम से जानते थे।  यह बूशहर बंदरगाह और शीफ द्वीप के बीच में स्थित है।  अबासक द्वीप का क्षेत्रफल 7.14 वर्गकिलोमीटर है।  इसकी गणना फ़ार्स की खाड़ी के छोटे द्वीपों में होती है।  यहां पर रेत की बहुलता है।  यही कारण है कि इस स्थान पर खेती नहीं की जा सकती।  अबासक द्वीप पर इस समय कोई नहीं रहता।  इस द्वीप पर पर्यटकों के लिए एक निवास स्थल बनाने की योजना पर काम हो रहा है।  इस योजना के अन्तर्गत यहां पर फ़ार्स की खाड़ी नामक एक बहुत बड़ा संग्रहालय होगा।  अबासक द्वीप के पश्चिमी छोर पर जहाज़ बनाने का कारख़ाना सक्रिय है।  इस द्वीप पर पाए जाने वाले जलचर या जलजंतु, वर्षों से बूशहर के मछुआरों के लिए एक ईश्वरीय उपहार रहे हैं जो क्षेत्र के पर्यावरण की रक्षा भी करते हैं।

फ़ार्स की खाड़ी में जो ईराने के छोटे द्वीप हैं उनमें से एक "नगीन" नामक द्वीप भी है।  यह बूशहर बंदरगाह से काफ़ी निकट है।  नगीन द्वीप का क्षेत्रफल लगभग 30 हेक्टेयर है।  इसको 70 हेक्टेयर तक विस्तृत किया जा सकता है।  इस द्वीप की एक एडवांटेज यह है कि यहां से बूशहर-बुराज़जान राजमार्ग तक पहुंच बहुत ही आसान है।  नगीग द्वीप, जहां पर पर्यावरण के लिए बहुत उपयुक्त है और जलचरों की "परवरिश" के लिए बहुत ही अच्छा है।  यहां पर बूशहर प्रायःद्वीप के उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्र का पानी मिलता है।  इसलिए इसको जलचरों की परवरिश का बहुत उपयुक्त स्थल माना गया है।

 

यहां पर खाने वाले जलचरों का शिकार किया जाता है।  यह काम यहां पर शताब्दियों से होता आ रहा है।  यहां के वातावरण ने इस क्षेत्र में रहने वालों के लिए पर्यावरण की दृष्टि से बहुत ही उपयुक्त स्थल बना दिया है।  नगीन को केन्द्र बनाकर इसे विकसित करने के उद्देश्य से हालिया कुछ वर्षों के दौरान यहां पर एक परियोजना आरंभ की गई है जो क्षेत्र के विकास और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि का कारण बनेगी।

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