क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-703
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-703
وَقَالَتِ امْرَأَةُ فِرْعَوْنَ قُرَّةُ عَيْنٍ لِي وَلَكَ لَا تَقْتُلُوهُ عَسَى أَنْ يَنْفَعَنَا أَوْ نَتَّخِذَهُ وَلَدًا وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ (9)
फ़िरऔन की पत्नी ने कहा, यह (शिशु) मेरी और तुम्हारी आँखों की ठंडक बनेगा। इसकी हत्या न करो, शायद यह हमें लाभ पहुँचाए या हम इसे अपना बेटा ही बना लें। और वे अनभिज्ञ थे (कि किसे अपनी गोद में पाल रहे हैं)। (28:9)
وَأَصْبَحَ فُؤَادُ أُمِّ مُوسَى فَارِغًا إِنْ كَادَتْ لَتُبْدِي بِهِ لَوْلَا أَنْ رَبَطْنَا عَلَى قَلْبِهَا لِتَكُونَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ (10) وَقَالَتْ لِأُخْتِهِ قُصِّيهِ فَبَصُرَتْ بِهِ عَنْ جُنُبٍ وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ (11)
और मूसा की माँ का हृदय (अपने पुत्र की चिंता में) विचलित हो गया। निकट था कि वह उस (रहस्य) को प्रकट कर देती अगर हम उसके दिल को न सँभालते ताकि वह (ईश्वरीय वादों पर) विश्वास रखने वालों में से हो। (28:10) और उसने उसकी बहन से कहा कि तुम उसके पीछे-पीछे जाओ। तो वह उसे दूर ही दूर से देखती रही और फ़िरऔन के लोग इससे बेख़बर रहे। (28:11)
وَحَرَّمْنَا عَلَيْهِ الْمَرَاضِعَ مِنْ قَبْلُ فَقَالَتْ هَلْ أَدُلُّكُمْ عَلَى أَهْلِ بَيْتٍ يَكْفُلُونَهُ لَكُمْ وَهُمْ لَهُ نَاصِحُونَ (12) فَرَدَدْنَاهُ إِلَى أُمِّهِ كَيْ تَقَرَّ عَيْنُهَا وَلَا تَحْزَنَ وَلِتَعْلَمَ أَنَّ وَعْدَ اللَّهِ حَقٌّ وَلَكِنَّ أَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُونَ (13)
और हमने पहले ही से दूध पिलाने वाली महिलाओं (के दूध) को उस पर हराम कर दिया। तो उसने (मूसा की बहन ने) कहा कि क्या मैं तुम्हें ऐसे घर वालों का पता बताऊँ जो तुम्हारे लिए इसके पालन-पोषण का ज़िम्मा लें और इसके शुभ-चिंतक हों? (28:12) तो इस प्रकार हम उन्हें उनकी माँ के पास लौटा लाए ताकि (अपने पुत्र को देख कर) उनकी आँख ठंडी हो और वे शोकाकुल न हों और ताकि वे जान लें कि अल्लाह का वादा सच्चा है किन्तु उनमें से अधिकतर लोग जानते नहीं। (28:13)