Jan ०१, २०१९ १३:२१ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-706

 

وَلَمَّا تَوَجَّهَ تِلْقَاءَ مَدْيَنَ قَالَ عَسَى رَبِّي أَنْ يَهْدِيَنِي سَوَاءَ السَّبِيلِ (22) وَلَمَّا وَرَدَ مَاءَ مَدْيَنَ وَجَدَ عَلَيْهِ أُمَّةً مِنَ النَّاسِ يَسْقُونَ وَوَجَدَ مِنْ دُونِهِمُ امْرَأتَيْنِ تَذُودَانِ قَالَ مَا خَطْبُكُمَا قَالَتَا لَا نَسْقِي حَتَّى يُصْدِرَ الرِّعَاءُ وَأَبُونَا شَيْخٌ كَبِيرٌ (23)

 

और जब मूसा ने मदयन का रुख़ किया तो कहा आशा है कि मेरा पालनहार सीधे रास्ते की ओर मेरा मार्गदर्शन करेगा। (28:22) और जब मूसा मदयन के पानी (के कुएं) पर पहुँचे तो उन्होंने वहां (अपने चौपायों को) पानी पिलाते लोगों के एक गुट को देखा और उन (लोगों) से हटकर एक ओर दो स्त्रियों को पाया, जो अपने जानवरों को रोक रही थीं। उन्होंने पूछाः तुम्हारा (अलग खड़े होने से) क्या तात्पर्य है? उन्होंने उत्तर दियाः हम उस समय तक (अपने जानवरों को) पानी नहीं पिला सकते जब तक ये चरवाहे अपने जानवर निकाल न ले जाएँ और (हम इस लिए यहां आए हैं कि) हमारे बाप बहुत ही बूढ़े हैं। (28:23)

 

فَسَقَى لَهُمَا ثُمَّ تَوَلَّى إِلَى الظِّلِّ فَقَالَ رَبِّ إِنِّي لِمَا أَنْزَلْتَ إِلَيَّ مِنْ خَيْرٍ فَقِيرٌ (24) فَجَاءَتْهُ إِحْدَاهُمَا تَمْشِي عَلَى اسْتِحْيَاءٍ قَالَتْ إِنَّ أَبِي يَدْعُوكَ لِيَجْزِيَكَ أَجْرَ مَا سَقَيْتَ لَنَا فَلَمَّا جَاءَهُ وَقَصَّ عَلَيْهِ الْقَصَصَ قَالَ لَا تَخَفْ نَجَوْتَ مِنَ الْقَوْمِ الظَّالِمِينَ (25)

 

तो मूसा ने उन दोनों (के रेवड़) को पानी पिला दिया। फिर छाया की ओर पलट गए और कहा हे मेरे पालनहार! मैं उस भलाई का, जो तू मेरी ओर भेज दे, ज़रूरतमंद हूँ। (28:24) फिर (थोड़ी देर बाद) उन दोनों में से एक, जो शर्माते हुए चल रही थी, उनके पास आई। उसने कहाः मेरे पिता आपको बुला रहे है, ताकि आपने हमारे लिए (भेड़ों को) जो पानी पिलाया है, उसका बदला आपको दें। तो जब वे उनके (अर्थात शुऐब के) पास पहुँचे और उन्हें अपनी सारी बातें कह सुनाईं तो उन्होंने कहा कि बिल्कुल न डरो कि तुम अत्याचारी जाति (के लोगों) से छुटकारा पा गए हो। (28:25)

 

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