क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-712
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-712
وَلَوْلَا أَنْ تُصِيبَهُمْ مُصِيبَةٌ بِمَا قَدَّمَتْ أَيْدِيهِمْ فَيَقُولُوا رَبَّنَا لَوْلَا أَرْسَلْتَ إِلَيْنَا رَسُولًا فَنَتَّبِعَ آَيَاتِكَ وَنَكُونَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ (47) فَلَمَّا جَاءَهُمُ الْحَقُّ مِنْ عِنْدِنَا قَالُوا لَوْلَا أُوتِيَ مِثْلَ مَا أُوتِيَ مُوسَى أَوَلَمْ يَكْفُرُوا بِمَا أُوتِيَ مُوسَى مِنْ قَبْلُ قَالُوا سِحْرَانِ تَظَاهَرَا وَقَالُوا إِنَّا بِكُلٍّ كَافِرُونَ (48)
और अगर ऐसा न होता कि जो कुछ उन्होंने आगे भेजा है उसके कारण जब उन पर कोई मुसीबत आए तो वे कहने लगें, हे हमारे पालनहार! तूने क्यों न हमारी ओर कोई रसूल भेजा कि हम तेरी आयतों का अनुसरण करते और ईमान वाले हो जाते?" (तो हम उन्हें दंडित करने में जल्दी करते।) (28:47) तो जब उनके पास हमारे यहाँ से सत्य आ गया तो वे कहने लगे कि जो चीज़ मूसा को मिली थी उसी तरह की चीज़ इन्हें (पैग़म्बर को) क्यों न मिली? क्या वे उसका इन्कार नहीं कर चुके हैं जो इससे पहले मूसा को प्रदान किया गया था? उन्होंने कहा, (तौरैत और क़ुरआन) दोनों जादू हैं जो एक-दूसरे की सहायता करते हैं। और कहा, हम इन सबका इन्कार करने वाले हैं। (28:48)
قُلْ فَأْتُوا بِكِتَابٍ مِنْ عِنْدِ اللَّهِ هُوَ أَهْدَى مِنْهُمَا أَتَّبِعْهُ إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ (49) فَإِنْ لَمْ يَسْتَجِيبُوا لَكَ فَاعْلَمْ أَنَّمَا يَتَّبِعُونَ أَهْوَاءَهُمْ وَمَنْ أَضَلُّ مِمَّنَ اتَّبَعَ هَوَاهُ بِغَيْرِ هُدًى مِنَ اللَّهِ إِنَّ اللَّهَ لَا يَهْدِي الْقَوْمَ الظَّالِمِينَ (50)
(हे पैग़म्बर! उनसे) कह दीजिए कि यदि तुम सच्चे हो (कि तौरैत और क़ुरआन ईश्वरीय किताबें नहीं हैं) तो तुम ही ईश्वर के पास से कोई ऐसी किताब ले आओ जो इन दोनों से बढ़कर मार्गदर्शन करने वाली हो ताकि मैं भी उसका अनुसरण करूँ। (28:49) तो अगर वे आपकी माँग पूरी न करें तो जान लीजिए कि वे केवल अपनी इच्छाओं का पालन करते हैं और उस व्यक्ति से बढ़कर भटका हुआ कौन होगा जो ईश्वर की ओर से किसी मार्गदर्शन के बिना अपनी इच्छा का अनुसरण करे? निश्चय ही ईश्वर अत्याचारी लोगों का मार्गदर्शन नहीं करता। (28:50)