Jan २८, २०१९ १४:३५ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-730

 

مَثَلُ الَّذِينَ اتَّخَذُوا مِنْ دُونِ اللَّهِ أَوْلِيَاءَ كَمَثَلِ الْعَنْكَبُوتِ اتَّخَذَتْ بَيْتًا وَإِنَّ أَوْهَنَ الْبُيُوتِ لَبَيْتُ الْعَنْكَبُوتِ لَوْ كَانُوا يَعْلَمُونَ (41) إِنَّ اللَّهَ يَعْلَمُ مَا يَدْعُونَ مِنْ دُونِهِ مِنْ شَيْءٍ وَهُوَ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ (42)

 

जिन लोगों ने ईश्वर से हटकर (दूसरों को) अपना संरक्षक बना लिया है उनकी उपमा मकड़ी जैसी है जिसने अपना एक घर बनाया और निश्चय ही अगर वे जानते होते तो सब घरों से कमज़ोर घर मकड़ी का ही होता है। (29:41) निस्संदेह ईश्वर उन चीज़ों को भली-भाँति जानता है जिन्हें ये उससे हटकर पुकारते हैं और  वह अजेय व तत्वदर्शी है। (29:42)

 

وَتِلْكَ الْأَمْثَالُ نَضْرِبُهَا لِلنَّاسِ وَمَا يَعْقِلُهَا إِلَّا الْعَالِمُونَ (43) خَلَقَ اللَّهُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ بِالْحَقِّ إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآَيَةً لِلْمُؤْمِنِينَ (44)

 

और ये उपमाएं हम लोगों के लिए देते हैं परन्तु इन पर ज्ञानियों के अतिरिक्त कोई चिंतन नहीं करता। (29:43) ईश्वर ने आकाशों और धरती को सत्य के साथ पैदा किया। निश्चय ही इसमें ईमान वालों के लिए एक (बड़ी) निशानी है। (29:44)

 

اتْلُ مَا أُوحِيَ إِلَيْكَ مِنَ الْكِتَابِ وَأَقِمِ الصَّلَاةَ إِنَّ الصَّلَاةَ تَنْهَى عَنِ الْفَحْشَاءِ وَالْمُنْكَرِ وَلَذِكْرُ اللَّهِ أَكْبَرُ وَاللَّهُ يَعْلَمُ مَا تَصْنَعُونَ (45)

 

(हे पैग़म्बर!) आपके पास जो (आसमानी) किताब वहि (द्वारा भेजी) गई है उसमें से पढ़िए और नमाज़ स्थापित कीजिए कि निस्संदेह नमाज़ (मनुष्य को) अश्लीलता और बुराई से रोकती है। और ईश्वर की याद अधिक बड़ी है। और जो कुछ तुम करते हो उसे ईश्वर (भली भांति) जानता है। (29:45)

टैग्स