इस्लामी क्रांति दूसरा क़दम- 3
ईरान की इस्लामी क्रान्ति जनता के विभिन्न वर्गों ख़ास तौर पर क्रान्तिकारी व ईश्वर पर आस्था रखने वाले मोमिन जवानों के योगदान से सफल हुआ।
इस महा सफलता के बाद, जवान वर्ग देश के वंचित क्षेत्रों के विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हुआ ताकि निरंतर कोशिशों से देश के वंचित वर्ग के दुख को दूर करे और इस काम में उसने भौतिक फ़ायदे को मद्देनज़र नहीं रखा। जवान नस्ल ने इस्लामी क्रान्ति के बाद विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुगुना कोशिश की। जब इराक़ के पूर्व बासी शासन की ओर से ईरान पर जंग थोपी गयी तो यही जवान नस्ल थी जिसने अपनी धार्मिक पहचान की रक्षा के साथ अपने वतन की 8 साल रक्षा की और दुनिया को बता दिया कि किस तरह ईश्वर पर भरोसे के सहारे दुश्मन की अन्यायपूर्ण व कठोर पाबंदियों का मुक़ाबला किया जा सकता है।
इस्लामी क्रान्ति के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह युवा नस्ल पर बहुत भरोसा करते थे और इसी भरोसे ने जवान नस्ल को प्रतिरोध और विभिन्न क्षेत्रों में कोशिश के लिए प्रेरित किया। इमाम ख़ुमैनी ने उस वक़्त जब अमरीका और उसके घटकों की ओर से ईरान पर लगायी गयी बहुआयामी पाबंदियां अपनी चरम सीमा पर थीं, जवान नस्ल में “हम कर सकते हैं” की भावना को मज़बूत किया और जवानों ने अपनी क्षमता पर भरोसा करते हुए 8 साल की जंग का बहुत ही अच्छे ढंग से संचालन किया और इसी भावना के साथ वे विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष करने लगे।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई भी जवान नस्ल पर बहुत भरोसा करते हैं और उसे अपनी संतान कहते हैं। उन्होंने “इस्लामी क्रान्ति का दूसरा चरण” नामक बयान में मुख्य रूप से जवान नस्ल को संबोधित किया है। वह ईरान की प्रगति व तरक़्क़ी को जवान नस्ल के साहस व निरंतर कोशिश पर निर्भर बताते हैं और यह इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता के युवा ईरानी नस्ल पर विश्वास का एक छोटा सा नमूना है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई अपने एक भाषण में युवाओं को संबोधित करते हुए फ़रमाते हैः “जब मैं जवानों के बीच होता हूं, ख़ास तौर पर मेधावी जवानों के बीच तो सबसे पहले ईश्वर का आभार व्यक्त करता हूं और उनसे कहता हूं कि आप हमारे लिए ईश्वर की नेमत हैं। आप इस्लामी व्यवस्था से निष्ठा रखने वालों के लिए ईश्वर का उपहार हैं।”
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता “हम कर सकते हैं” के नारे पर भरोसा करते हुए जवान नस्ल को देश के संचालन के विभिन्न क्षेत्रों में अवसर को इस्लामी क्रान्ति की मुख्य विशेषताओं में बताते हैं। वे अपने बयान में कहते हैं “इस्लामी क्रान्ति ने जवान नस्ल को प्रबंधन और आपदाओं से निपटने का अवसर दिया, दुश्मन की ओर से पाबंदियों की वजह से “हम कर सकते हैं” कि भावना व विचार को सभी में पैदा किया, आंतरिक क्षमता पर भरोसे को सभी को सिखाया और यही महा विभूतियों का स्रोत है।”
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता की नज़र में ईरान ऐसा देश है जिसकी आबादी का बड़ा भाग जवानों पर आधारित है। यह देश मेधावियों का देश है। यह इस्लामी व्यवस्था के लिए बड़े गौरव की बात है कि उसने जवान नस्ल को विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपनी क्षमता दिखाने का अवसर दिया। अलबत्ता अभी भी विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न स्तर पर जवानों की क्षमताओं से फ़ायदा उठाने की ज़रूरत है और रचनात्मक क्षमता वाले जवानों को इन क्षेत्रों में लाने के लिए और उपाय अपनाने की ज़रूरत है।
इस्लामी क्रान्ति की सफलता के बाद जेहादी प्रबंधन अर्थात पाक मन से प्रबंधन व प्रशासन की शैली का विचार सामने आया। जेहादी प्रबंधन व प्रशासन का अर्थ किसी काम को ईश्वर के लिए किया जाए और वह सूझबूझ व वैज्ञानिक शैली पर आधारित हो। जैसा कि जेहादी प्रबंधन व प्रशासन के बारे में वरिष्ठ नेता कहते हैः अगर जेहादी प्रबंधन व प्रशासन में सच्चा मन, वैज्ञानिक शैली, सूझबूझ और प्रयत्न शामिल हो तो देश की मुश्किल हल हो सकती है और देश आगे बढ़ता जाएगा।
जेहादी शब्द “जोहद” शब्द से निकला है जिसका मतलब है अत्यधिक कोशिश करना। इस तरह की प्रबंधन की शैली लोगों के ज्ञान पर निर्भर होती है लेकिन उसका लक्ष्य पराभौतिक होता है। इस शैली में आध्यात्मिक भावना निहित होती है। इसका लक्ष्य ईश्वर की प्रसन्नता हासिल करना होता है।
इस तरह की प्रबंधन व प्रशासनिक शैली में इस्लाम के आदेश को उचित जीवन की रणनीति के तौर पर अपनाया जाता है। इस प्रबंधन शैली का उद्देश्य समाज में नैतिकता, बलिदान व क्षमाशीलता जैसे धार्मिक मूल्यों को फैलाना होता है। जेहादी प्रबंधन में उपभोक्तावाद, कुलीन वर्ग, सुस्ती व काहिली की कोई जगह नहीं है। इसी तरह इस प्रबंधन शैली में सिर्फ़ और सिर्फ़ लक्ष्य पर नज़र होती है, उससे क़दम तनिक भी नहीं डिगा सकते जबकि दूसरी प्रकार की प्रबंधन व प्रशासनिक शैली में जो मुख्य रूप से पूंजीवादी संस्कृति की देन है, समाज को उपभोक्तावाद, कुलीन वर्ग, अन्याय व भोग विलास की ओर ढकेलता तथा मानवीय मूल्यों से दूर करता है।

ईश्वर पर आस्था रखने वाली क्रान्तिकारी जवान नस्ल ने पश्चिमी देशों और उनके घटकों की पाबंदियों का मुक़ाबला करने के लिए आंतरिक क्षमता पर भरोसे के सिद्धांत को अपनाया और निरंतर कोशिश से विभिन्न क्षेत्रों में ईरान को सफलता के चरम पर पहुंचाने में सक्षम हुयी। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई “क्रान्ति का दूसरा चरण” नामक बयान में बल देते हैं कि जेहादी प्रबंधन और “हम कर सकते हैं” कि सिद्धांत पर विश्वास ने ईरान को सभी क्षेत्रों में तरक़्क़ी और सम्मान दिलाया।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई अपने हालिया बयान में इस्लामी क्रान्ति की विभूतियों व बर्कतों के बारे में बल देते हुए कहते हैं “हम कर सकते हैं” कि भावना को इस्लामी क्रान्ति ने मज़बूत किया और भी दूसरी विभूतियां इस्लामी क्रान्ति की देन है। उनका मानना है कि आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता इस्लामी क्रान्ति की ही देन है जिसकी वजह से देश के भीतर सुरक्षा व स्थिरता के क्षेत्र में प्रगति हुयी। इसी तरह इस क्रान्ति से सीमाओं की रक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के क्षेत्र में मज़बूती हुयी जबकि देश को दुश्मन के गंभीर ख़तरों का सामना था। आज इस्लामी ईरान न सिर्फ़ क्षेत्र में सुरक्षा व स्थिरता से संपन्न है बल्कि पश्चिम एशिया क्षेत्र की स्थिरता का कारक भी है। इस्लामी गणतंत्र की इस शक्ति का दुश्मन बारंबार लोहा मान चुका है। दाइश जैसा कैंसर का फोड़ा जो तेज़ी से फैल रहा था ताकि पश्चिम एशिया में प्रतिरोध को ख़त्म करे और इस क्षेत्र के विघटन की साज़िश को लागू करे, ईरानी जियालों के संघर्ष से यह साज़िश जिसे अमरीका और इस्राईल ने रची थी, नाकाम हुयी।
आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई इस्लामी क्रान्ति की दूसरी बर्कतों के बारे में फ़रमाते हैः आंतरिक क्षमता पर भरोसे ने विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र और इसी तरह आर्थिक क्षेत्र की मूल रचनाओं के निर्माण में देश को आगे ले जाने वाले मोटर की तरह काम किया और अब उसका फ़ायदा दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है। हज़ारों नॉलेज बेस्ट कंपनियां, निर्माण, परिवहन, उद्योग, बिजली, खदान, स्वास्थ्य, कृषि और पानी के क्षेत्र में देश की हज़ारों परियोजनाएं, दसियों लाख शिक्षित या शिक्षा हासिल कर रहे युवा, पूरे देशों में हज़ारों यूनिवर्सिटी व विद्यालय, परमाणु ईंधन चक्र, स्टेम सेल, नैनो टेक्नॉलोजी, बायो टेक्नॉलोजी इत्यादि की दसियों विशाल परियोजनाओं में दुनिया में पहले स्थान की प्राप्ति, ग़ैर पेट्रोलियम पदार्थ का 60 गुना निर्यात, औद्योगिक इकाइयों में लगभग 10 गुना वृद्धि, गुणवत्ता की नज़र से उद्योग में 10 गुना तरक़्क़ी, असेंब्ली उद्योग का स्थानीय प्रौद्योगिकी में बदलना, रक्षा सहित इंजीनियरिंग के विभिन्न क्षेत्रों में महसूस तरक़्क़ी, चिकित्सा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में मत के रूप में स्थान पाना और प्रगति के दसियों दूसरे नमूने ये सबके सब उसी सामूहिक भावना की देन हैं जो इस्लामी क्रान्ति उपहार में लायी। इस्लामी क्रान्ति से पहले ईरान विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शून्य था। उद्योग के क्षेत्र में असेंब्ली और विज्ञान के क्षेत्र में अनुवाद के सिवा उसके पास कुछ कला नहीं थी।
आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई “इस्लामी क्रान्ति का दूसरा चरण” नामक बयान में इस्लामी क्रान्ति की विभूतियों व बर्कतों की ओर इशारा करते हुए आम लोगों में राजनैतिक चेतना में वृद्धि और देश की रक्षा के संवेदनशील अवसरों पर उनकी भागीदारी का उल्लेख किया। उनकी नज़र में इस्लामी क्रान्ति से आम लोगों में राजनैतिक चेतना और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में उनकी जागरुकता इतनी बढ़ गयी है कि हैरत होती है। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई इस बारे में कहते हैः “पश्चिमी देशों ख़ास तौर पर अमरीका के अपराध, फ़िलिस्तीन का विषय और फ़िलिस्तीनी राष्ट्र पर घोर अत्याचार, युद्धोन्माद, राष्ट्रों के मामलों में बड़ी शक्तियों के हस्तक्षेप इत्यादि जैसे अंतर्राष्ट्रीय विषयों की समझ और समीक्षा पहले एक ख़ास वर्ग तक सीमित थी जिसे बुद्धिजीवी कहा जाता था, लेकिन इस्लामी क्रान्ति ने यह समझ देश में इतनी आम कर दी अब नौजवान बच्चे भी इसे समझते हैं।”

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता चुनाव, देश में आंतरिक स्तर पर साज़िशों से निपटने, राष्ट्रीय और साम्राज्यवाद विरोधी मंचों पर मौजूदगी जैसे राजनैतिक मामलों में ईरानी जनता की भागीदारी का अपने चरम पर होना, इस्लामी क्रान्ति की बर्कत बताते हैं। उनका मानना है कि इस्लमी क्रान्ति के बाद जेहाद की भावना लोगों में बहुत ही सुंदर ढंग से जागृत हुयी और क्रान्ति से पहले पुन्य काम करने की शुरु हुयी प्रक्रिया में बहुत तेज़ी आयी। अब जब कि इस्लमी क्रान्ति को चालीस साल हो गए हैं, लोग प्राकृतिक आपदाओं और सामाजिक मुश्किलों को दूरे करने में अपनी सेवा देने की प्रतिस्पर्धा में बड़े शौक़ से भाग लेते हैं।