क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-743
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-743
أَمْ أَنْزَلْنَا عَلَيْهِمْ سُلْطَانًا فَهُوَ يَتَكَلَّمُ بِمَا كَانُوا بِهِ يُشْرِكُونَ (35)
क्या हमने उन पर ऐसा कोई प्रमाण उतारा है जो उनके द्वारा ईश्वर का समकक्ष ठहराए जाने की बात (के सही होने) के पक्ष में बोलता हो? (30:35)
وَإِذَا أَذَقْنَا النَّاسَ رَحْمَةً فَرِحُوا بِهَا وَإِنْ تُصِبْهُمْ سَيِّئَةٌ بِمَا قَدَّمَتْ أَيْدِيهِمْ إِذَا هُمْ يَقْنَطُونَ (36)
और जब हम लोगों को दयालुता का स्वाद चखाते हैं तो वे उस पर ख़ुश हो जाते हैं और जब उनके कर्मों के कारण उन पर कोई मुसीबत आ जाती है तो वे अचानक ही निराश हो जाते हैं। (30:36)
أَوَلَمْ يَرَوْا أَنَّ اللَّهَ يَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ يَشَاءُ وَيَقْدِرُ إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآَيَاتٍ لِقَوْمٍ يُؤْمِنُونَ (37)
क्या उन्होंने नहीं देखा कि ईश्वर जिसके लिए चाहता है रोज़ी व्यापक कर देता है और जिसके लिए चाहता है नपी-तुली कर देता है? निःसंदेह इसमें ईमान लाने वालों के लिए निशानियां हैं। (30:37)
فَآَتِ ذَا الْقُرْبَى حَقَّهُ وَالْمِسْكِينَ وَابْنَ السَّبِيلِ ذَلِكَ خَيْرٌ لِلَّذِينَ يُرِيدُونَ وَجْهَ اللَّهِ وَأُولَئِكَ هُمُ الْمُفْلِحُونَ (38)
तो (हे पैग़म्बर!) परिजन, ज़रूरतमंद और राह में रह जाने वाले को उसका हक़ दे दीजिए। यह (दान-दक्षिणा) उन लोगों के लिए उत्तम है जो ईश्वर की प्रसन्नता के इच्छुक हों और वही लोग सफल भी हैं। (30:38)