क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-746
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-746
وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ رُسُلًا إِلَى قَوْمِهِمْ فَجَاءُوهُمْ بِالْبَيِّنَاتِ فَانْتَقَمْنَا مِنَ الَّذِينَ أَجْرَمُوا وَكَانَ حَقًّا عَلَيْنَا نَصْرُ الْمُؤْمِنِينَ (47)
और हम आपसे पहले कितने ही पैग़म्बरों को उनकी जातियों की ओर भेज चुके हैं तो वे उनके पास खुली निशानियाँ लेकर आए। फिर हमने उन लोगों से बदला लिया जिन्होंने अपराध (और पाप) किया (और ईमान वालों की सहायता की) और ईमान वालों की सहायता तो हम पर एक अधिकार है। (30:47)
اللَّهُ الَّذِي يُرْسِلُ الرِّيَاحَ فَتُثِيرُ سَحَابًا فَيَبْسُطُهُ فِي السَّمَاءِ كَيْفَ يَشَاءُ وَيَجْعَلُهُ كِسَفًا فَتَرَى الْوَدْقَ يَخْرُجُ مِنْ خِلَالِهِ فَإِذَا أَصَابَ بِهِ مَنْ يَشَاءُ مِنْ عِبَادِهِ إِذَا هُمْ يَسْتَبْشِرُونَ (48
ईश्वर ही है जो हवाओं को भेजता है, फिर वे बादलों को उठाती हैं, फिर जिस तरह वह चाहता है उन्हें आकाश में फैला देता है और उन्हें टुकड़ियों का रूप दे देता है। फिर तुम देखते हो कि उनके बीच से वर्षा की बूँदें टपकती हैं। फिर जब वह उस (वर्षा) को अपने बन्दों में से जिन पर चाहता है, बरसाता है। सहसा ही वे ख़ुश हो जाते हैं। (30:48)
وَإِنْ كَانُوا مِنْ قَبْلِ أَنْ يُنَزَّلَ عَلَيْهِمْ مِنْ قَبْلِهِ لَمُبْلِسِينَ (49)
जबकि इससे पहले कि वर्षा उन पर बरसे वे बिलकुल निराश थे। (30:49)