ईरान भ्रमण- 16
हमने ज़ाग्रोस पर्वत श्रंख्ला के दामन में स्थित कुर्द शहर से आपको परिचित कराया था जो चहार महाल व बख़्तियारी प्रांत का केन्द्र है।
हमने आपको बताया था कि शहरे कुर्द इस प्रांत का केन्द्र है और यह ईरान के सबसे ठंडे शहरों में से एक है। यह शहर समुद्र तल से 2033 मीटर ऊपर बसा है और इसे ईरान की छत कहा जाता है। इस प्रांत में जिससे मनुष्य के रहने के प्राचीनतम क्षेत्रों का नाम दिया जा सकता है, ऐतिहासिक धरोहरें, पर्यटन के आकर्षण की चीज़ें और अनेक प्रकार की सुन्दर प्राकृतिक चीज़ें पाई जाती हैं। आपको यह भी बताया कि शहरे कुर्द से बीस किलोमीटर की दूरी पर हफ़शन्जान शहर के प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों और प्राचीन टीलों से मिलने वाले पत्थरों के उपकरणों और मिट्टी के बर्तनों से पता चलता है कि यह शहर सात सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व में बसा हुआ था। इससे पता चलता है कि चहार महालव बख़्तियारी शहर 9 हज़ार साल पुराना है।
हमने आपको यह भी बताया कि ज़ागरूस पर्वत श्रंखला की चोटियों पर बर्फ़ का भंडारण और इन बर्फ़ के टीलों के पिघलने से ऊंचाई पर रहने वालों के लिए प्राप्त होने वाले पानी के कारण कारून, ज़ायंदे नदी और देज़ नामक नदियां इस प्रांत के पर्वतों से ही निकली हैं। यह नदियां ईरान के केन्द्र और दक्षिण पश्चिम क्षेत्रों में बहती हैं। शाहबलूत या ओक के पेड़ के जंगल, विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां और झाड़ियां, झरने, तालाब, गुफाएं, पानी से भरे हुए सोते, संरक्षित क्षेत्र और भी अनेक सुन्दर व मनमोहक दृश्य, इस क्षेत्र के सुन्दर दृश्य शुमार होते हैं और इन्हीं चीज़ों ने इस प्रांत को प्रकृति के सुन्दर स्वर्ग में बदल दिया है। इसी तरह आपको कुर्द शहर के ऐतिहासिक अवशेषों की सैर कराई थी। आज हम आपको चहार महाल व बख़्तियारी प्रांत के कूहरंग ज़िले और चेलगर्द शहर के बारे में बताने जा रहे हैं, कृपया हमारे साथ रहें।
चहार महाल व बख़्तियारी प्रांत की सैर में बख़्तियारी बंजारों से मुलाक़ात और ज़ागरुस पर्वत श्रंखला के किनारों के सुंदर दृश्यों को भुलाया नहीं जा सकता। अगर आप बख़्तियारी बंजारों से मिलना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि कूहरंग ज़िले और इस ज़िले के केंद्र चेलगर्द शहर की यात्रा करें जहां ईरान का सबसे बड़ा क़बायली समाज अर्थात बख़्तियारी बंजारों के विभिन्न क़बीले रहते हैं। अपने अनेक आकर्षणों के साथ इस क्षेत्र की बेजोड़ प्रकृति हर साल पूरे ईरान बल्कि दुनिया के विभिन्न देशों से लाखों सैलानियों को अपनी ओर आकृष्ट करती है।
ज़ागरुस पर्वत की बर्फ़ीली चोटियां, अनेक सोते व झरने और बलूत के पेड़ों से भरे हरे भरे जंगल इस क्षेत्र को स्वर्ग समान बना देते हैं। इस क्षेत्र का एक मशहूर सोता, कूहरंग है। इसका उद्गम ज़र्दकूह पर्वत का आंचल है और यह अनेक मोड़ों से होता हुआ कूहरंग झील में पहुंचता है और फिर कूहरंग की पहली सुरंग से हो कर ज़ायंदे रूद नदी में पहुंच जाता है। इस सोते के आस-पास मौजूद अत्यंत सुंदर प्राकृतिक दृश्यों और इस क्षेत्र के बंजारों की उपस्थिति ने इसकी सुंदरता में चार चांद लगा दिए हैं।
बख़्तियारी बंजारे सर्दी का मौसम पूर्वी ख़ूज़िस्तान के मैदानी क्षेत्रों में और गर्मी का मौसम चहार महाल व बख़्तियारी प्रांत के पश्चिमी क्षेत्रों में बिताते हैं। वे हर साल उर्दीबहिश्त महीने के अंतिम दिनों अर्थात मई के मध्य में पांच विभिन्न मार्गों से इस क्षेत्र में पहुंचते हैं। इसके लिए उन्हें प्रकृति की अनेक कठिनाइयां सहन करनी पड़ती हैं, नदियों को पार करना होता है, घाटियों से गुज़रना पड़ता है और ज़र्दकूह पहाड़ को पीछे छोड़ना पड़ता है।
इसके बाद वे ज़ागरुस पर्वत के निर्धारित क्षेत्रों में फैल जाते हैं और लगभग चार महीने वहां रहते हैं। वे अपने पशुओं को हरी भरी चरागाहों में चरने के लिए छोड़ देते हैं। उनकी जीवन शैली, रहन-सहन का तरीक़ा, उनकी आस्थाएं, परंपराएं, रीति रिवाज और त्योहार बड़े रोचक व दर्शनीय होते हैं। अपनी विशेष परंपराओं के साथ रंग बिरंगे वस्त्रों वाले बख़्तियारी बंजारों से मिलना, उनके काले तम्बुओं में रहना और उनके द्वारा यात्रियों का विशेष रोटी व दुग्ध उत्पादों से सत्कार करते देखना, इस क्षेत्र की यात्रा की एक सुखद याद के रूप में हमेशा के लिए मन में सुरक्षित हो जाता है।
हर मौसम में कूहरंग ज़िले के अपने विशेष आकर्षण हैं जो पर्यटकों को बहुत भाते हैं। हर साल बसंत ऋतु में लालाहाये वाजेगून या उलटे ट्यूलिप से भरा हुआ मैदान अपनी ओर बड़ी संख्या में सैलानियों को आकर्षित करता है। यह मैदान चेलगर्द से 12 किलो मीटर की दूरी पर बेनवास्तेकी नामक गांव के निकट स्थित है। इस पूरे ज़िले में लगभग तीन हज़ार चार सौ हेक्टेयर ज़मीन पर लाल व पीले रंग के उलटे ट्यूलिप के पौधे उगाए जाते हैं जिन्हें देखने के लिए पर्यटक खिले चले आते हैं। इसी तरह स्थानीय लोग भी छुट्टियों के दिनों में व अवकाश के समय इन क्षेत्रों में जा कर आंनदित होते हैं।
ट्यूलिप के इस भव्य मैदान के समीप ही, चश्मये दीमे के नाम से ज़ायंदे रूद नदी के उद्गम स्थल का एक मुख्य चश्मा है जो बहुत ही दर्शनीय है। इस नदी के पानी की जांच से पता चला है कि इस सोते का पानी विभिन्न प्रकार के नमकों और खनिज पदार्थों की दृष्टि से अत्यंत संपन्न है और संसार में पीने के सबसे अच्छे पानियों में से एक है। इस पानी में दांतों की सड़न को रोकने और पथरी के उपचार जैसे औपचारिक गुण भी पाए जाते हैं। इस सोते का पानी कूहरंग के मिनरल वाटर के कारख़ाने में भेजा जाता है ताकि देश के अंदर भी इसे इस्तेमाल किया जाए और विदेशों को भी निर्यात किया जा सके। दीमे चश्मे के पानी की उच्च गुणवत्ता और उसके आस पास के सुदंर दृश्यों ने इस स्थान को कूहरंग ज़िले के सबसे सुंदर पर्यटन स्थलों में बदल दिया है।
चेलगर्द का स्की ट्रेक भी जागरुस पर्वत पर बने स्की ट्रेक्स में बहुत मशहूर है। यह ट्रेक, कूहरंग की पहली सुरंग के निकट और कारकुनान पर्वत के पूर्व में चेलगर्द शहर में स्थित है। इसकी लम्बाई लगभग 800 मीटर और ढलान बीस प्रतिशत है। यह स्की ट्रेक के तीन अलग अलग भाग हैं जिनमें से एक महिलाओं के लिए, एक पुरुषों के लिए और एक परिवारों के लिए है। बहुत अधिक मात्रा में बर्फ़, पहुंच का उचित मार्ग, पर्यटकों के लिए बेहतर क्षेत्र और शीत ऋतु में अधिकतर धूप के कारण स्कीइंग करने वाले व सैलानी इस ट्रैक को बहुत पसंद करते हैं। इस क्षेत्र में पहुंचने के बाद कूहरंग की सुंदर सुरंग को भी देखा जा सकता है जो स्की ट्रैक के पास ही स्थित है। कूहरंग सुरंग का झरना भी दर्शनीय है।
चेलगर्द से 25 किलो मीटर की दूरी पर शैख़ अली ख़ान गांव के निकट इस क्षेत्र की सबसे विचित्र गुफाओं में से एक स्थित है जिसका नाम चमा गुफा है। इस गुफा की छत में लटकी बर्फ़ के विभिन्न आकारों की क़िंदीलें देखी जा सकती हैं। इस गुफा की बर्फ़ के नीचे ठंडे पानी का सोता बहता है जो कूहरंग बांध तक पहुंचता है। इस स्थान का गहरी घाटी में स्थित होना और इसमें कई वर्षों की बर्फ़ का इकट्ठा होना इस बात का कारण बना है कि इस गुफा की क़िंदीले पूरे साल अपने मूल में बाक़ी रहें। इस गुफा में मौजूद बर्फ़, चमा क्षेत्र के बंजारों के बच्चों व युवाओं के मनोरंजन के साधन में परिवर्तित हो गई है। इसके अतिरिक्त हालिया बरसों में इस स्थान पर स्कीइंग के राष्ट्रीय मुक़ाबले भी आयोजित होते रहे हैं। चमा की गुफा, ईरान में मीठे पानी के सबसे बड़े स्रोत के रूप में भी प्रख्यात है।