Jul ०७, २०१९ १५:१९ Asia/Kolkata

ईरान की इस्लामी क्रांति की सफलता को चालीस से अधिक वर्ष बीत चुके हैं और इस दौरान वरिष्ठ धार्मिक नेतृत्व ने देश के दिशानिर्देशन और विभिन्न प्रकार की समस्याओं व कठिनाइयों से बाहर निकलने में अहम भूमिका निभाई है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई के तीन दशकों के नेतृत्व से पता चलता है कि वे देश के मामलों के संचालन और समाज व इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था को सही मार्ग पर आगे बढ़ाने में बहुत अधिक प्रभावी रहे हैं। अब सवाल यह पैदा होता है कि देश के भविष्य के बारे में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की योजनाएं व कार्यक्रम क्या हैं? और उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में देश की प्रगति व विकास के लिए क्या युक्तियां सोच रखी हैं?

इस सवाल का जवाब कुछ बातों से पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगा। ईरान की इस्लामी क्रांति के कुछ उच्च लक्ष्य व मान्यताएं हैं जिनका स्रोता इस्लाम धर्म है। आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई जन क्रांति के नेता के रूप में, जिस प्रकार अतीत में क्रांति के लक्ष्यों और उमंगों के संबंध में गंभीरता से काम करते रहे हैं उसी तरह भविष्य में भी यही व्यवहार जारी रखेंगे। अध्यात्म, न्याय, सवतंत्रता, धार्मिक प्रजातंत्र, राजनैतिक व आर्थिक स्वाधीनता की मज़बूती, देश की प्रगति और अत्याचार व भेदभाव से संघर्ष जैसे लक्ष्यों पर इस्लामी गणतंत्र ईरान के संविधान में भी देश की प्रशासनिक व्यवस्था के मुख्य दस्तावेज़ के रूप में बल दिया गया है और इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता समेत सभी उच्चाधिकारियों को इन लक्ष्यों को व्यवहारिक बनाने के लिए बाध्य किया गया है।

 

पिछले तीन दशकों में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के क्रियाकलाप और उनके भाषणों, बयानों तथा आदेशों पर एक नज़र डाल कर इस्लामी गणतंत्र ईरान के भविष्य के लिए उनके रोड मैप को समझा जा सकता है। उदाहरण स्वरूप उन्होंने पिछले साल अक्तूबर में "प्रगति का मूल इस्लामी व ईरानी आदर्श" शीर्षक के अंतर्गत एक दस्तावेज़ जारी किया था जिसमें अगले पांच दशकों में देश की प्रगति के लक्ष्यों और वांछित क्षितिजों के अहम स्तंभों को रेखांकित किया गया है और इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रभावी युक्तियां सुझाई गई हैं ताकि विशेषज्ञों द्वारा उनकी अधिक समीक्षा के बाद उन्हें क्रियान्वित किया जाए।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई की दृष्टि में इस्लामी गणतंत्र ईरान का भविष्य अत्यंत उज्जवल व आशाजनक है और इसी कारण वे सभी को ईश्वर पर भरोसे व जनता व अधिकारियों के प्रयासों की छाया में उज्जवल भविष्य की ओर से आशावान रहने के लिए प्रेरित करते हैं। आशा की भावना इस बात का कारण बनती है कि सभी अधिक लगन और अधिक प्रेरणा के साथ देश की प्रगति और विकास और इसी तरह समाज में ईश्वरीय मान्यताओं के प्रसार के लिए प्रयास करें। कुछ समय पूर्व उन्होंने इस्लामी क्रांति की चालीसवीं वर्षगांठ के अवसर पर इस्लामी क्रांति का दूसरा क़दम नामक अपने बयान में मुख्य सिफ़ारिश, भविष्य के प्रति आशाजनक विचार रखने के संबंध में की थी और उसे हर ताले की चाबी बताया था। इस आधार पर देश के भविष्य के संबंध में वरिष्ठ नेता के कार्यक्रम आशा पर आधारित हैं।

ईरान की इस्लामी क्रांति वह एकमात्र क्रांति है जो नैतिकता व धार्मिक शिक्षाओं पर आधारित है और इसी कारण वरिष्ठ नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई, धार्मिक नेता के रूप में इस्लामी मान्यताओं और नैतिक गुणों के दिन प्रति दिन प्रसार पर बल देते हैं और उन्होंने इस उच्च लक्ष्य को व्यवहारिक बनाने के लिए अनेक कार्यक्रम पेश किए हैं। उनके द्वारा पेश किए गए "प्रगति का मूल इस्लामी व ईरानी आदर्श" नामक दस्तावेज़ में धर्मावलंबन, क़ुरआने मजीद, पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम और उनके परिजनों के अनुसरण और इस्लामी जीवन शैली व इस्लामी परिवार पर बल दिया गया है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता को आशा है कि धर्म, नैतिक आधारों और परिवार की पवित्र इकाई पर पश्चिम के सांस्कृतिक आक्रमण के मुक़ाबले में ईरान में लोगों के व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में इस्लामी जीवन शैली विशेष कर ईश्वरीय व नैतिक मान्यताओं के पालन में दिन प्रति दिन वृद्धि होती जाएगी।

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ईरान के भविष्य के बारे में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की अहम प्राथमिकताओं में से एक विकसित, गतिशील और प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था है। विशेष कर इस लिए भी कि ईरान अपार स्रोतों व क्षमताओं का स्वामी है जिसकी ओर उन्होंने “इस्लामी क्रांति का दूसरा क़दम” शीर्षक के अंतर्गत अपने बयान में इस प्रकार संकेत किया है। "भविष्य का निर्माण करने वालों को जिस एक अन्य अहम बिंदु पर ध्यान रखना चाहिए वह यह है कि वे एक ऐसे देश में जीवन बिता रहे हैं जो प्राकृतिक व मानवीय क्षमताओं की दृष्टि से बेजोड़ है। इनमें से बहुत सी क्षमताएं, संबंधित लोगों की निश्चेतना के कारण या तो निष्क्रिय रही हैं या उन्हें बहुत कम प्रयोग किया गया है। युवा व क्रांतिकारी लोगों के ऊंचे हौसले और भावनाएं इन्हें सक्रिय करने और सही अर्थ में देश की प्रगति व विकास के मार्ग में ऊंची छलांग लगाने के लिए प्रयोग कर सकती हैं।"

प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था, जिस पर इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई बरसों से बल देते आ रहे हैं, इन स्रोतों के भरपूर इस्तेमाल और इस्लामी गणतंत्र ईरान की आर्थिक पोज़ीशन को ऊपर ले जाने में केंद्रीय भूमिका निभाएगा। इस अर्थव्यवस्था में देसी और नालेज बेस्ड उत्पादान का संपूर्ण समर्थन किया जाता है और बाहरी दुनिया से आर्थिक संपर्क, देसी अर्थव्यवस्था की मदद, बाहरी मंडियों में अधिक भाग और लाभ हासिल करने के लिए किया जाता है। आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई के दृष्टिगत अर्थव्यवस्था में कच्चे तेल की बिक्री का कोई स्थान नहीं है और तेल उत्पादों को वर्धित मूल्यों के साथ तेयार किया जाता है। देश के अगले पचास वर्षों के लिए वरिष्ठ नेता ने जो दस्तावेज़ तैयार किया है उसमें पर्यावरण की सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, स्रोतों की खोज और नए अवसरों के सृजन पर ध्यान दिया गया है और बल देकर कहा गया है कि अगले पचास बरसों में देश से दरिद्रता, भ्रष्टाचार और भेदभाव का उन्मूलन हो जाना चाहिए।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई का कहना है कि ईरान तेज़ रफ़्तार प्रगति या दूसरे शब्दों में वैज्ञानिक छलांग के बिना, संसार में अपना वांछित स्थान हासिल नहीं कर सकता। इसी लिए वे विभिन्न क्षेत्रों में वैज्ञानिक प्रयासों का गंभीरता से समर्थन करते हैं। उनका कहना हैः “जब तक मेरे शरीर में जान है, तब तक मैं देश के असाधारण क्षमताओं वाले समाज और वैज्ञानिक प्रयासों के बचाव में कण भर भी कमी नहीं आने दूंगा। मैं जानता हूं कि यह काम एक बरकत वाला काम है और ईश्वर की इच्छा से इसका बड़ा ही भला परिणाम होगा।"

इस बात से स्पष्ट हो जाता है कि भविष्य में वरिष्ठ नेता के रणनैतिक कार्यक्रमों में देश की वैज्ञानिक योजनाओं को लागू करने में गति लाना है क्योंकि आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई विकसित अर्थव्यवस्था के लिए विज्ञान व तकनीक को आवश्यक समझते हैं और नालेज बेस्ड अर्थव्यवस्था पर बल देते हैं। इसी तरह ईरान की संप्रभुता व अखंडता की रक्षा हेतु अधिक विकसित हथियार तैयार करने के लिए जटिल तकनीकों की ज़रूरत है। अगले पचास बरसों में देश के विकास के इस्लामी व ईरानी आधारों के दस्तावेज़ में ईरान की वैज्ञानिक पोज़िशन के भविष्य के बारे में कहा गया हैः "वर्ष 2065 तक ईरान, इस्लामी व मानवीय विज्ञानों के उत्पाद में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी देश होगा और विचार, विज्ञान व तकनीकी पैदा करने में संसार के पांच विकसित देशों में उसका स्थान होगा। इसी तरह वह संसार के दस बड़े आर्थिक देशों में से एक होगा।"

 

ईरान की इस्लामी क्रांति का एक वैश्विक दायित्व है और उसकी इस्लामी व क्रांतिकारी विचारधारा ने अन्य देशों विशेष कर पीड़ित राष्ट्रों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है। इस आधार पर अपेक्षा है कि भविष्य में आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई की देख-रेख व नेतृत्व में इस्लामी व क्रांतिकारी संस्कृति संसार में पहले से अधिक फैलेगी। इस संस्कृति की एक अहम विशेषता अत्याचार व अतिक्रमण से संघर्ष है और इसी परिप्रेक्ष्य में फ़िलिस्तीन, लेबनान, यमन, इराक़ और इसी प्रकार के देशों में अत्याचारियों व वर्चस्ववादियों के ख़िलाफ़ प्रतिरोध अस्तित्व में आया है और उसने पश्चिमी एशिया के क्षेत्र में इस्लामी प्रतिरोध के मोर्चे का गठन किया है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता बल देकर कहते हैं कि आंतरिक तानाशाही और विदेशी अतिक्रमण के ख़िलाफ़ यह प्रतिरोध जारी रहना चाहिए ताकि मुस्लिम राष्ट्रों को स्वाधीनता व स्वतंत्रता हासिल हो और वे अपने देश के भविष्य निर्धारण में भाग ले सकें। भविष्य में इस्लामी जगत में फूट पड़ने और उसे कमज़ोर होने से रोकने तथा दुश्मन से एकजुट मुक़ाबले के लिए आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई की एक स्थायी नीति के रूप में इस्लामी देशों की एकता व एकजुटता भी जारी रहेगी और फैलती जाएगी।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के भविष्य के बारे में आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई के बयानों में एक अहम व आशाजनक बिंदु है जिस पर उनसे पहले स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी भी निरंतर बल देते थे। इस रणनैतिक विचार के अनुसार ईरान की इस्लामी क्रांति वास्तव में इमाम महदी अलैहिस्सलाम के वैश्विक व न्याय स्थापित करने वाली क्रांति की भूमिका है और इसी कारण इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने देश व व्यवस्था के भविष्य के लिए जिस मार्ग का रेखांकन किया है, वह इसी महा ईश्वरीय आंदोलन की दिशा में है। वे युवाओं से कहते हैं कि आने वाले दशक आपके हैं और आप ही को अपनी मज़बूत भावनाओं के साथ अपनी क्रांति की रक्षा करनी है। आप ही को इसे नई महा इस्लामी सभ्यता को अस्तित्व में लाने और इमाम महदी के प्रकट होने की इसकी सबसे बड़ी उमंग के निकट करना है। (HN)

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