Jul १७, २०१९ १७:१२ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-749

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ. الم (1) تِلْكَ آَيَاتُ الْكِتَابِ الْحَكِيمِ (2) هُدًى وَرَحْمَةً لِلْمُحْسِنِينَ (3)

 

अल्लाह के नाम से जो अत्यंत कृपाशील और दयावान है। अलिफ़॰ लाम॰ मीम॰ (31:1) ये तत्वदर्शिता से परिपूर्ण (ईश्वरीय) किताब की आयतें हैं। (31:2) (जो) भलाई करने वालों के लिए मार्गदर्शन और दया है। (31:3)

 

 

الَّذِينَ يُقِيمُونَ الصَّلَاةَ وَيُؤْتُونَ الزَّكَاةَ وَهُمْ بِالْآَخِرَةِ هُمْ يُوقِنُونَ (4) أُولَئِكَ عَلَى هُدًى مِنْ رَبِّهِمْ وَأُولَئِكَ هُمُ الْمُفْلِحُونَ (5)

 

जो लोग नमाज़ क़ायम करते हैं और ज़कात देते है और प्रलय पर विश्वास रखते हैं (31:4) ऐसे ही लोग अपने पालनहार की और से (सीधे) मार्ग पर हैं और वही कल्याण पाने वाले हैं। (31:5)

 

 

وَمِنَ النَّاسِ مَنْ يَشْتَرِي لَهْوَ الْحَدِيثِ لِيُضِلَّ عَنْ سَبِيلِ اللَّهِ بِغَيْرِ عِلْمٍ وَيَتَّخِذَهَا هُزُوًا أُولَئِكَ لَهُمْ عَذَابٌ مُهِينٌ (6)

 

और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो व्यर्थ बातों के ख़रीदार हैं ताकि बिना किसी ज्ञान के ईश्वर के मार्ग से (दूसरों को) भटकाएं और उनका परिहास करें। ऐसे ही लोग हैं जिनके लिए अपमानजनक दंड है। (31:6)

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