क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-750
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-750
وَإِذَا تُتْلَى عَلَيْهِ آَيَاتُنَا وَلَّى مُسْتَكْبِرًا كَأَنْ لَمْ يَسْمَعْهَا كَأَنَّ فِي أُذُنَيْهِ وَقْرًا فَبَشِّرْهُ بِعَذَابٍ أَلِيمٍ (7)
और जब उसके समक्ष हमारी आयतों की तिलावत की जाती है तो वह घमंड से मुंह मोड़ कर चल देता है, मानो उसने उन्हें सुना ही नहीं, जैसे उसके कान सुन ही नहीं रहे हैं। तो उसे एक पीड़ादायक दंड की शुभ सूचना दे दीजिए। (31:7)
إِنَّ الَّذِينَ آَمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ لَهُمْ جَنَّاتُ النَّعِيمِ (8) خَالِدِينَ فِيهَا وَعْدَ اللَّهِ حَقًّا وَهُوَ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ (9)
निश्चित रूप से जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके लिए (स्वर्ग के) अनुकंपा भरे बाग़ हैं (31:8) जिनमें वे सदैव रहेंगे। यह ईश्वर का सच्चा वादा है और वह अजेय व तत्वदर्शी है। (31:9)
خَلَقَ السَّمَاوَاتِ بِغَيْرِ عَمَدٍ تَرَوْنَهَا وَأَلْقَى فِي الْأَرْضِ رَوَاسِيَ أَنْ تَمِيدَ بِكُمْ وَبَثَّ فِيهَا مِنْ كُلِّ دَابَّةٍ وَأَنْزَلْنَا مِنَ السَّمَاءِ مَاءً فَأَنْبَتْنَا فِيهَا مِنْ كُلِّ زَوْجٍ كَرِيمٍ (10) هَذَا خَلْقُ اللَّهِ فَأَرُونِي مَاذَا خَلَقَ الَّذِينَ مِنْ دُونِهِ بَلِ الظَّالِمُونَ فِي ضَلَالٍ مُبِينٍ (11)
उसने आकाशों को बिना ऐसे स्तम्भों के, जो तुम्हें दिखाई दें, पैदा किया और उसने धरती में पहाड़ डाल दिए ताकि (धरती) तुम्हें न हिलाए और उसने उसमें हर प्रकार के पशु फैला दिए। और हमने ही आकाश से पानी उतारा, फिर उसमें हर प्रकार की उत्तम चीज़ें उगाईं। (31:10) यह तो ईश्वर की रचना है। तो मुझे दिखाओ कि उसके अतिरक्त जो दूसरे हैं (और जिन्हें तुम उसका समकक्ष समझते हो) उन्होंने क्या पैदा किया है? (वे दिखा नहीं सकते) बल्कि अत्याचारी तो खुली पथभ्रष्टता में (पड़े हुए) हैं। (31:11)