Jul १७, २०१९ १८:०३ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-756

 

أَلَمْ تَرَ أَنَّ اللَّهَ يُولِجُ اللَّيْلَ فِي النَّهَارِ وَيُولِجُ النَّهَارَ فِي اللَّيْلِ وَسَخَّرَ الشَّمْسَ وَالْقَمَرَ كُلٌّ يَجْرِي إِلَى أَجَلٍ مُسَمًّى وَأَنَّ اللَّهَ بِمَا تَعْمَلُونَ خَبِيرٌ (29) ذَلِكَ بِأَنَّ اللَّهَ هُوَ الْحَقُّ وَأَنَّ مَا يَدْعُونَ مِنْ دُونِهِ الْبَاطِلُ وَأَنَّ اللَّهَ هُوَ الْعَلِيُّ الْكَبِيرُ (30)

 

क्या तुमने देखा नहीं कि ईश्वर रात को दिन में और दिन को रात में प्रविष्ट करता है और उसने सूर्य और चन्द्रमा को वश में कर रखा है जिनमें प्रत्येक एक नियत समय तक आगे बढ़ रहा है? और जो कुछ तुम करते हो ईश्वर उससे पूरी तरह अवगत है। (31:29) यह इसका प्रमाण है कि ईश्वर ही सत्य है और उसे छोड़कर जिनको ये पुकारते हैं वह असत्य है। और निश्चय ही ईश्वर सर्वोच्च (और) महान है। (31:30)

 

 

أَلَمْ تَرَ أَنَّ الْفُلْكَ تَجْرِي فِي الْبَحْرِ بِنِعْمَةِ اللَّهِ لِيُرِيَكُمْ مِنْ آَيَاتِهِ إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآَيَاتٍ لِكُلِّ صَبَّارٍ شَكُورٍ (31) وَإِذَا غَشِيَهُمْ مَوْجٌ كَالظُّلَلِ دَعَوُا اللَّهَ مُخْلِصِينَ لَهُ الدِّينَ فَلَمَّا نَجَّاهُمْ إِلَى الْبَرِّ فَمِنْهُمْ مُقْتَصِدٌ وَمَا يَجْحَدُ بِآَيَاتِنَا إِلَّا كُلُّ خَتَّارٍ كَفُورٍ (32)

 

क्या तुमने देखा नहीं कि नौकाएं समुद्र में ईश्वर की कृपा से चलती हैं ताकि वह तुम्हें अपनी (शक्ति की) कुछ निशानियाँ दिखाए। निस्संदेह इसमें प्रत्येक धैर्यवान (व) कृतज्ञ के लिए निशानियाँ हैं। (31:31) और जब कोई (उफनती हुई) लहर घने बादलों की तरह उन्हें ढंक लेती है, तो वे ईश्वर को धर्म में पूरी तरह निष्ठा के साथ पुकारते हैं, फिर जब वह उन्हें बचाकर थल तक पहुँचा देता है, तो उनमें से कुछ लोग संतुलित मार्ग पर रहते हैं (जबकि अधिकतर पथभ्रष्ट हो जाते हैं।) और हमारी निशानियों का इन्कार तो बस वही करता है जो विश्वासघाती, कृतघ्न हो। (31:32)

 

 

يَا أَيُّهَا النَّاسُ اتَّقُوا رَبَّكُمْ وَاخْشَوْا يَوْمًا لَا يَجْزِي وَالِدٌ عَنْ وَلَدِهِ وَلَا مَوْلُودٌ هُوَ جَازٍ عَنْ وَالِدِهِ شَيْئًا إِنَّ وَعْدَ اللَّهِ حَقٌّ فَلَا تَغُرَّنَّكُمُ الْحَيَاةُ الدُّنْيَا وَلَا يَغُرَّنَّكُمْ بِاللَّهِ الْغَرُورُ (33) إِنَّ اللَّهَ عِنْدَهُ عِلْمُ السَّاعَةِ وَيُنَزِّلُ الْغَيْثَ وَيَعْلَمُ مَا فِي الْأَرْحَامِ وَمَا تَدْرِي نَفْسٌ مَاذَا تَكْسِبُ غَدًا وَمَا تَدْرِي نَفْسٌ بِأَيِّ أَرْضٍ تَمُوتُ إِنَّ اللَّهَ عَلِيمٌ خَبِيرٌ (34)

 

हे लोगो! अपने पालनहार का भय रखो और उस दिन से डरो जब न कोई बाप अपनी संतान के काम आएगा और न कोई संतान अपने बाप के काम आने वाली होगी। निश्चय ही ईश्वर का वादा सच्चा है तो सांसारिक जीवन कदापि तुम्हें धोखे में न डाले और न धोखेबाज़ (शैतान) तुम्हें ईश्वर (की क्षमा) के माध्यम से धोखे में डाले। (31:33) निःसंदेह (प्रलय की) उस घड़ी का ज्ञान केवल ईश्वर के पास है। वही मेंह बरसाता है ओर जो कुछ (माताओं के) गर्भाशयों में होता है उसे जानता है। कोई नहीं जानता कि कल वह क्या कमाएगा और कोई नहीं जानता है कि किस धरती में उसकी मृत्यु होगी। निःसंदेह ईश्वर जानने वाला और ख़बर रखने वाला है। (31:34)

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