Jul १७, २०१९ १९:०३ Asia/Kolkata

अपनी देखभाल का एक महत्वपूर्ण कारण, अर्थात ख़तरनाक बर्ताव से बचना और स्वास्थ्य की सुरक्षा में महत्वपूर्ण है।

हमने बताया था कि अपनी देखभाल अर्थात यह कि हम अपने स्वास्थ्य और शरीर को तरोताज़ा रखने के लिए प्रतिदन के छोटे मोटे काम करें ताकि हम स्वस्थ्य और बेहतर जीवन से संपन्न हों।

अब सवाल यह पैदा होता है कि आत्मिक, भावनात्मक, शारीरिक यहां तक कि अध्यात्मिक बीमारियों के फैलने से पहले ही उन्हें रोका जाए और यदि फैल जाएं तो किसी प्रकार उनको निंयत्रण किया जाए? यहां पर अपनी देखभाल का एक महत्वपूर्ण कारण, अर्थात ख़तरनाक बर्ताव से बचना और स्वास्थ्य की सुरक्षा में महत्वपूर्ण है।

ख़तरनाक बर्ताव, उन कुछ बर्तावों को कहते हैं जो समाज और व्यक्ति की सुरक्षा पर परोक्ष और अपरोक्ष ढंग से गहरे प्रभाव डालते हैं या सामान्य रूप से नकारात्मक प्रभाव डालते हैं? यदि यह बर्ताव मनुष्य के प्रतिदिन के बर्ताव का भाग बन जाए तब उस व्यक्ति की जीवन शैली को अस्वस्थ कहा जाता है। सामान्य रूप से ख़तरनाक बर्ताव में धूम्रपान, मादक पदार्थ का सेवन, नशा, घाव या किसी अन्य वजह से संबंधित बर्ताव, जैसे हिंसा, अस्वस्थ यौन बर्ताव, आहार के अस्वस्थ्य आदर्श और शरीर की कम गतिविधियां जैसी चीज़ें शामिल हैं।

धूम्रपान करना विशेषकर सिगरेट पीना, समाज में प्रचलित ख़तरनाक बर्तावों में से एक है जिसके कारण प्रतिवर्ष लाखों लोग मौत के घाट उतर जाते हैं। विश्व चिकित्सा केन्द्र ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि वर्ष 2020 तक तंबाकू सेवन से अपनी जान से हाथ धोने वालों की संख्या बढ़कर प्रतिवर्ष 84 लाख तक पहुंच जाएगी। इस प्रकार से यदि धूम्रपान की वर्तमान प्रक्रिया जारी रही तो 2030 तक प्रतिवर्ष 1 करोड़ लोग अपनी जान से हाथ धो बैठेंगे।

यहां पर यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि किस उम्र में धूम्रपान शुरु किया है। अनेक शोधों में बताया गया है कि अधिकतर सिगरेट की आदत उन लोगों को पड़ जाती है जिन्होंने 18 वर्ष की कम आयु में सिगरेट पीना शुरु किया या उसने युवा काल से सिगरेट पीना शुरु किया। यद्यपि सिगरेट पीने की उम्र जितनी कम हो तो बीमारी की अधिकतर संभावना पायी जाती है।

 

धूम्रपान करना न सिर्फ हमारे फेफड़ों बल्कि हमारे शरीर के अन्य अंगों के लिए भी हानिकारक होता है। डॉक्टर्स कहते हैं कि जो सिगरेट या बीड़ी नहीं पीते लेकिन इसके संपर्क में रहते हैं उनमें भी बीमारी होने का खतरा रहता है। आपको बता दें कि सिगरेट पीने से हमारे आंखें काफी प्रभावित होती हैं। इसके ज्यादा सेवन से आंखों का लाल होना, धुंधला दिखाई देना, आंखों की रोशनी कम होना और आंखों में जलन होने जैसे लक्षण देखे जाते हैं। हाई ब्‍लड प्रेशर और डायबिटीज के रोगियों को धूम्रपान बिलकुल भी नहीं करना चाहिए, क्‍योंकि इससे रक्त में निकोटिन का स्तर बढ़ जाता है, जो रेटीना के लिए खतरनाक है।

सिगरेट में निकोटीन युक्‍त तंबाकू होता है। इसमें मौजूद कई ऑक्सीडेंट्स आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। धूम्रपान करने वालों के संपर्क में हमेशा रहने वाले लोगों को भी यही खतरा रहता है। कई बार धूम्रपान न करने वालों की आंखें सिगरेट या बीड़ी के गुल से जल जाती हैं। धूम्रपान करने वालों की आंखों को तंबाकू के जहरीले धुएं में मौजूद रसायनों से कंजक्टिवा के ग्लोबलेट सेल्स क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, जिनके कारण आंख की सतह पर नमी बनी रहती है। इसी तरह धुएं में मौजूद कार्बन पार्टिकल्‍स पलकों पर जमा हो सकते हैं, इसके कारण आंखों की नमी और गीलापन खत्म हो सकता है। अगर यह लंबे समय तक बना रहे तो आंखों में खुजली होती है और नजर में धुंधलापन हो सकता है।

अमाशय और पेट के कैंसर में ग्रस्त होना भी धूम्रपान का एक अन्य ख़तरा है। इस प्रकार धूम्रपान रक्त धमकियों को नुक़सान पहुंचाती हैं और इसीलिए धमनियों, रगों या नाड़ियों की दीवारें बंद हो जाती हैं और रग व धमनियों की घातक बीमारियों का कारण बनती है। संक्षेप में यह कि एक सिगरेट पीने से मनुष्य की 5.5 मिनट औसतन उम्र में कमी होती है।

अमेरिकी इकाई सर्जन जनरल की रिपोर्ट की मानें तो धूम्रपान से आंखों की कई समस्‍यायें हो सकती हैं, इसमें मोतियाबिंद भी है। धूम्रपान के जरिये तंबाकू के संपर्क में आने वाले लोगों में दूसरों के मुकाबले मोतियाबिंद होने का खतरा अधिक होता है। इसी तरह न्यूक्लियर और पोस्टियर पोलर किस्म के कैटरेक्ट भी इन्हीं लोगों को छोटी उम्र से ही होने लगते हैं।

कई अध्ययनों से पता चला है कि धूम्रपान करने वाले लोगों को दूसरों के मुकाबले उम्र आधारित मेक्यूलर डीजनरेशन का जोखिम दोगुना रहता है। धूम्रपान का सबसे बुरा नतीजा है एम्बलायोपिया और ऑप्टिक न्यूरोपैथी। धूम्रपान के जरिये तंबाकू में मौजूद निकोटिन रेटीना और ऑप्टिक नर्व की कोशिकाओं पर घातक प्रभाव छोड़ते हैं। नजर के लिए रेटीना और ऑप्टिक नर्व महत्वपूर्ण होती है। लंबे समय तक धूम्रपान करने से आंखों को अपूरणीय क्षति हो सकती है।

45 मिनट के हुक़्क़ा सेशन में आप एक सिगरेट से 36 गुना ज्यादा टार व 70 फीसदी ज्यादा निकोटीन निगल जाते हैं। हुक्के को लेकर कई भ्रांतियां भी हैं। कुछ फ्लेवर हर्बल शीशा के नाम से बिक रहे हैं। कहते हैं कि इनमें तंबाकू नहीं होती, जबकि ये सेहत के लिए काफी खतरनाक हैं। इन्हें चारकोल से जलाते हैं, जिसके धुएं के साथ कैंसर कारक तत्व शरीर में जाता है।

हुक्का पीना आज एक ‘ट्रेंड’ बन चुका है. इसमें इस्तेमाल होने वाले तम्बाकू को शहद या गुड का फ्लेवर दिया जाता है, जिससे हुक्के का स्वाद मीठा हो जाता है. मान जाता है कि यही एक कारण है हुक्के के लोकप्रिय होने का! आमतौर पर तमाम लोग मानते हैं कि हुक्का स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह नहीं होता, जबकि सच तो यह है कि हुक्के का एक कश सिगरेट पीने से भी ज्यादा घातक होता है.

 

ऐसा माना जाता है कि हुक्के की शुरुआत सदियों पहले भारत में ही हुई. उसके बाद हुक्का दुनियाभर में घूमते-घूमते इतना मशहूर हो गया कि इसका सेवन करना कई जगहों पर प्रतिष्ठा का प्रतीक समझा जाने लगा. ख़ासकर मध्य पूर्व के देश जैसे मिस्र, ईरान, इराक़, तुर्की आदि में इसका सेवन तेजी से बढ़ता देखा गया। हुक्के का सिगरेट के मुकाबले कम हानिकारक होने के मिथक के चलते इसका चलन अमेरिका, यूरोप और रूस में भी फैल गया। भारत की बात की जाये तो आज भी बड़े-बूढ़े गांव में हुक्का पीते दिखाई देते हैं, पर धीरे-धीरे शहरों में भी इसका चलन बढ़ने लगा है. आलम यह है कि इसके लिए आजकल हुक्का सेंटर तक बनने लगे हैं।

हुक्का पीना सिगरेट पीने की तरह ही स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है, कई बार तो सिगरेट से भी खतरनाक! अक्सर एक हुक्का सेशन 30-80 मिनट तक चलता है, जोकि 100 सिगरेट पीने के बराबर होता है. हुक्का और सिगरेट दोनों के सेवन से अंत में कार्सिनोजन निकलता है. यह फेफड़ों का कैंसर, दिल की बीमारी जैसी गंभीर डिजीज का कारण बन सकता है। वहीं, यह भी अवधारणा है कि सिगरेट की तरह हुक्का पीने की लत नहीं लगती. जबकि, हुक्के में भी सिगरेट की तरह निकोटीन मौजूद होता है, जिससे लोगों को इसकी लत लग जाती हैं।

 

हुक्का पीने के लिए गहरी सांस लेनी पड़ती है जिसके कारण हुक्के का धुआं फेफड़ों के काफी भीतर तक चला जाता है।

फेफड़ों के कैंसर, मुंह, होंठ और गले के कैंसर, अमाशय के कैंसर, पिताशय का कैंसर, बड़ी आंत के कैंसर, मेदा का कैंसर इत्यादि यह सभी सिगरेट और हुक्का पीने का परिणाम हैं।

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