ट्रम्प, सिक्के के दो रूख़
आज के कार्यक्रम में हम अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के व्यक्तित्व के मनोवैज्ञानिक आयामों की समीक्षा के साथ ही उनके विवादित बयानों, भाषणों और ट्वीटों पर भी एक नज़र डालेंगे जिनसे संसार में हंगामा मच जाता है।
डोनल्ड ट्रम्प का राष्ट्रपति काल ने एक अलग ही अमरीका का परिचय कराया। ट्रम्प, बिना किसी मेकअप के अमरीका का वास्तविक और साक्षात रूप हैं। वे जो बातें करते हैं उन पर बरसों से अमरीकी राजनितिज्ञ अमल करते चले आ रहे हैं। इसी लिए पूरे विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि ट्रम्प, बिना किसी कमी-बेशी के अमरीका का सटीक रूप हैं। एक ऐसा रूप जिसे लोगों ने कम ही देखा है लेकिन जो वास्तविकता के अधिक निकट है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अमरीका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनल्ड ट्रम्प की विजय के बाद, चुनाव अभियान के दौरान उनके द्वारा अमरीका के आंतरिक तथ्यों का पर्दा फ़ाश किए जाने की तरफ़ इशारा करते हुए कहा था कि हम नए नए आए हुए इन श्रीमान के आभारी हैं क्योंकि इन्होंने हमारा कष्ट कम कर दिया और अमरीका का सच्च चेहरा दिखा कर, अमरीकी सरकार के राजनैतिक, आर्थिक, नैतिक व सामाजिक भ्रष्टाचारों के बारे में इस्लामी गणतंत्र ईरान की 38 साल से कही जा रही बातों की पुष्टि कर दी।
ट्रम्प को पश्चिम की सच्चाई से इतर दुनिया की एकमात्र सच्चाई कहा जा सकता है, ऐसी दुनिया जिसमें संचार माध्यम, सच्चाई की हत्या कर देते हैं और उसकी ग़लत और फेरबदल की गई तस्वीर लोगों को दिखाते हैं। आजकल बहुत से लोग इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि अमरीका के चेहरे की भलाई व बुराई वाली दो तस्वीरें दिखा कर वर्चस्ववादी व्यवस्था को ट्रम्प के अस्तित्व से पवित्र कर दें। उनका मानना है कि ट्रम्प को अमरीका का प्रतिनिधित्व देना एक ग़लती है, ट्रम्प का समय अल्पकालीन है और वे अधिक समय तक टिक नहीं पाएंगे। लेकिन इस विचार के विपरीत कहा जा सकता है कि ट्रम्प और ट्रम्पवाद अमरीका की कम ही देखी और सुनी गई अस्ली सच्चाई है। अलबत्ता कम देखी और सुनी गई सच्चाई का अर्थ यह नहीं है कि अमरीकी समाज की यह सच्चाई वास्तविकता से दूर है या इतनी व्यापक नहीं है कि अमरीकी समाज का प्रतिनिधित्व कर सके बल्कि इसके विपरीत यह कहा जा सकता है कि ट्रम्प, अमरीका के सबसे वास्तविक प्रतिनिधि हैं।

संचार के काल में मीडिया ने अमरीका की जो छवि और तस्वीर बनाई है और उसे सुंदर बना कर पेश किया है वह अमरीका के 'सॉफ़्ट पॉवर' का एक हिस्सा है। शायद इसी वजह से हारवर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर जोज़फ़ नाए, जिन्होंने 'सॉफ़्ट पॉवर' का विचार पेश किया है, ट्रम्प को अमरीका के 'सॉफ़्ट पॉवर' के लिए एक त्रासदी बताते हैं। अमरीका की जो छवि पिछले बरसों में, विशेष कर बराक ओबामा के काल में पेश की जाती थी उसके माध्यम से इस बात की कोशिश होती थी कि अमरीका को सपने साकार होने और समान अवसरों वाले स्थान तथा अन्य देशों से कुछ अलग देश के रूप में पेश किया जाए। इसके अंतर्गत अमरीका को एक देश से बढ़ कर परिचित कराया जाता था और यह समझाया जाता था कि अमरीका एक ऐसा विचार है जो संसार के सभी स्थानों के लिए अवसर बन सकता है। अलबत्ता यह छवि वास्तविकता से कोसों दूर है। ट्रम्प ने दुनिया को अमरीका का वह चित्र दिखा दिया है जो बरसों से राजनैतिक व कूटनैतिक परतों के नीचे छिपा हुआ था।
अमरीका का अस्ली चेहरा सामने आने के बाद पश्चिम में बहुत से लोगों बौखला गए हैं। जो लिब्रल संचार माध्यम, अमरीका के चेहरे को मेकअप की परतों के नीचे छिपा कर रखने में व्यवस्त थे, आजकल उनके पास इस बात के अलावा कोई चारा नहीं है कि ट्रम्प को एक अजनबी और अमरीकी मान्यताओं से बेगाना बता कर पेश करें। बात यहां तक पहुंच चुकी है कि यूरोपी संसद के पूर्व स्पीकर मार्टिन शूल्ट्ज़ ने तो यह तक कह दिया कि ट्रम्प अमरीकी नहीं हैं।
डोनल्ड ट्रम्प इन दिनों ईरानी राष्ट्र के ख़िलाफ़ खुल कर ज़हर उगल रहे हैं और अपनी घृणा व द्वेश का प्रदर्शन कर रहे हैं। वे धमकी, प्रतिबंध और सभी विकल्प मेज़ पर होने की बात कर रहे हैं। अलबत्ता सभी को याद है कि उनसे पहले वाली अमरीकी सरकार ने भी अपना सबसे बड़ा गौरव, ईरानी जनता से दुश्मनी और अपनी सबसे बड़ी सफलता तेहरान पर “पंगु बना देने वाले प्रतिबंध” लगाना बताया था। इस आधार पर बिना किसी संदेह के कहा जा सकता है कि ट्रम्प, अमरीका का बिना मेकअप वाला चित्र हैं जिसे कम लोगों ने देखा है लेकिन जो सच्चाई से अधिक निकट है। अकारण नहीं है कि जब फ़ॉक्स न्यूज़ का पत्रकार रूस के राष्ट्रपति पर हत्या का आरोप लगाता है तो ट्रम्प बिना किसी शर्मिंदगी के बड़ी ढिठाई से कहते हैं कि हमारे यहां भी बहुत से हत्यारे हैं और हम निर्दोष नहीं हैं।

ट्रम्प के राजनैतिक व्यवहार की समीक्षा की जाए तो पता चलेगा कि उनके पास ऐसी कोई भी बौद्धिक सोच है ही नहीं जो वॉशिंग्टन के घटकों, प्रतिस्पर्धियों यहां तक कि दुश्मनों से अमरीका के संबंधों को संतुलित करने वाले एक नए दृष्टिकोण पर आधारित हो। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अमरीका के 'सॉफ़्ट पॉवर' के घिस कर समाप्त हो जाने के संबंध में संसार के अनेक राजनितिज्ञों और समाज शास्त्रियों के विचार की ओर संकेत करते हुए कहा है कि अन्य देशों को अपनी राय मानने पर बाध्य करने के अर्थ में अमरीका का 'सॉफ़्ट पॉवर' अब अपनी सबसे कमज़ोर स्थिति में है और विशेष रूप से वर्तमान राष्ट्रपति के सत्ता में आने के बाद से न केवल संसार के विभिन्न राष्ट्र बल्कि यूरोपीय सरकारें, चीन, रूस, भारत, अफ़्रीक़ा व लैटिन अमरीकी देश भी अमरीका के फ़ैसलों का खुल कर विरोध कर रहे हैं।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई कहते हैं कि अब न केवल अमरीका के नैतिक प्रभुत्व और 'सॉफ़्ट पॉवर' का पतन हो रहा है बल्कि अमरीका के वर्तमान विचित्र राष्ट्रपति की कार्यवाहियों ने पश्चिमी सभ्यता के स्तंभ, लिब्रल डेमोक्रेसी की भी फ़ज़ीहत करा दी है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कुछ साल पहले संसार के एक प्रख्यात अध्ययनकर्ता के इस बयान की ओर संकेत करते हुए कि अमरीका की वर्तमान स्थिति, मानव इतिहास के उत्थान का अंतिम बिंदु है, कहा था कि इसी समाज शास्त्री ने अपनी पिछली बात को वापस ले लिया है और इस प्रकार की बातें कर रहा है जिनसे पता चलता है कि अमरीका व लिब्रल डेमोक्रेसी का पतन हो रहा है। वे सैन्य व आर्थिक क्षेत्रों में भी अमरीका के 'सॉफ़्ट पॉवर' को पतन की ओर अग्रसर बताते हैं और कहते हैं। उनके पास सैन्य उपकरण हैं लेकिन वे अपने सैनिकों के अवसाद, हतोत्साह और असमंजस की स्थिति के कारण इस बात के लिए विवश हैं कि अन्य देशों में अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ब्लैक वॉटर जैसी अपराधी संस्थाओं से मदद हासिल करें।
ट्रम्प के तर्कहीन फ़ैसलों ने अमरीका के निकटतम घटकों के बीच भी प्रतिरोध को पहले से कहीं अधिक बढ़ा दिया है, इस प्रकार का प्रतिरोध अतीत में दिखाई नहीं देता था लेकिन अब दिखाई देने लगा है। दूसरी ओर अमरीका की नई सरकार की नीतियों ने इस प्रक्रिया को गति प्रदान कर दी है। डोनल्ड ट्रम्प एक राष्ट्रवादी अर्थव्यवस्था पर अमल करते हैं और अपने आपको राष्ट्रवादी बताते हैं लेकिन इसी के साथ वे अमरीका व अन्य देशों के बीच अधिक तनाव का कारण बने हैं। इस संबंध में हम चीन के साथ व्यापारिक युद्ध, रूस के ख़िलाफ़ प्रतिबंध और अन्य देशों के साथ अमरीका के टकराव को देख रहे हैं। यहां तक कि अमरीका का सबसे निकट मित्र और घटक ब्रिटेन भी डोनल्ड ट्रम्प के तर्कहीन और अयोग्य होने की बात स्वीकार करता है।

वॉशिंग्टन में ब्रिटेन के पदमुक्त किम डेराक की ओर से अपनी सरकार को भेजी गई गुप्त रिपोर्टें उन दरारों का एक छोटा सा भाग हैं जो अमरीका और उसके प्रतिस्पर्धियों के बीच नहीं बल्कि घटकों के बीच पैदा हो चुकी हैं। उन्होंने ट्रम्प सरकार को तर्कहीन, डांवाडोल व अयोग्य बताया है। उन्होंने अपनी रिपोर्टों में इसी तरह ब्रिटेन की सरकार को सचेत किया था कि वाइट हाउस पूरी तरह से अयोग्य हो चुका है और ट्रम्प का राष्ट्रपति काल संभावित रूप से बड़ी फ़ज़ीहत से समाप्त होगा। उनकी इन रिपोर्टों के लीक होने के बाद ट्रम्प ने कहा था कि अब किम डेराक, अमरीका में ब्रिटेन के राजदूत के रूप में काम नहीं कर पाएंगे। उन्होंने डेरोक को अत्यंत मूर्ख व्यक्ति बताया था।
ब्रिटेन की राजशाही कूटनैतिक सेवा के प्रमुख साइमन मैकडोनल्ड ने कहा है कि यह उनके कूटनैतिक जीवन के चार दशकों में पहली बार है जब एक देश के प्रमुख ने ब्रिटेन के राजदूत के साथ सहयोग करने से इन्कार कर दिया हो। किम डेराक ने ब्रिटेन के अधिकारियों के नाम अपने ईमेलों व रिपोर्टों में एक अन्य बिंदु की ओर ध्यान केंद्रित किया है। एक ईमेल में उन्होंने लिखा है कि उनके विचार में परमाणु समझौते से डोनल्ड ट्रम्प केवल इस वजह से निकल गए यह समझौता बराक ओबामा के राष्ट्रपति काल में हुआ था। उन्होंने इसी तरह कहा है कि ट्रम्प के क़रीबी सलाहकारों और अमरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के बीच गहरे मतभेद हैं और ट्रम्प सरकार के वरिष्ठ सदस्यों जैसे पोम्पियो, उप राष्ट्रपति माइक पेन्ज़ और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोलटन में से कोई भी इस बात का सही कारण नहीं बता सकता कि ट्रम्प ने परमाणु समझौते से निकलने का फ़ैसला क्यों किया? सर किम डेराक ने अपने एक ईमेल में लिखा है कि ये लोग अगले दिन के लिए कोई भी रणनीति नहीं बना सकते और आज सुबह ही अमरीकी विदेश मंत्रालय से जो बात हुई है उससे पता चलता है कि यूरोप व क्षेत्र के अन्य देशों में अमरीका के घटकों व सहयोगियों से परामर्श का कोई कार्यक्रम नहीं है। (HN)