Oct ०२, २०१९ १६:२० Asia/Kolkata

यमन पर सऊदी अरब के जारी बर्बरतापूर्ण हमलों के जवाब में यमनी सेना और स्वयं सेवी बल के जवानों ने 14 सितंबर को सऊदी अरब की तेल कंपनी आरामको की बक़ीक़ और ख़रीस तेल रिफ़ाइनरियों पर ड्रोन विमानों से हमला किया था जिसकी वजह से सऊदी अरब की अर्थ-व्यवस्था चरमरा गयी है।

यमनी सेना ने सऊदी अरब के अतिक्रमण के जवाब में 10 ड्रोन विमानों से यह हमला किया था। इस हमले से सऊदी अरब को आर्थिक दृष्टि से क्या नुकसान हुआ इसकी समीक्षा हमने पहले कार्यक्रम में की थी। यमनी सेना ने सऊदी अरब की आरोमको तेल कंपनी की बकीक और ख़रीस रिफाइनरियों पर जो हमला किया है उससे सऊदी अरब के तेल उद्योग को भारी नुकसान पहुंचा है। मलिक सलमान और उनके बेटे मोहम्मद बिन सलमान के सत्ता में पहुंचने के बाद सऊदी अरब ने वर्ष 2015 के बाद से रक्षा के क्षेत्र में बहुत अधिक धन खर्च किया है इस प्रकार से कि कुछ जानकार सूत्रों के अनुसार सऊदी अरब के रक्षा बजट में 112 प्रतिशत की वृद्धि हो गयी है। यमनी सेना ने सऊदी अरब की आरोमको तेल कंपनी पर ड्रोन विमानों से जो हमला किया था उसने दर्शा दिया कि सऊदी अरब ने पश्चिमी देशों से जो हथियार खरीदा है वे न केवल सऊदी अरब को सुरक्षित नहीं बना पाये बल्कि इससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि सऊदी अरब को भारी क्षति पहुंचाई जा सकती है।

यमनी सेना ने सऊदी अरब की अरोमको तेल कंपनी की बक़ीक़ और ख़रीस रिफाइनरियों पर 14 सितंबर को जो हमला किया उससे सऊदी अरब ने अमेरिका और फ्रांस से जो मिसाइल रक्षा प्रणाली ख़रीद रखी है उनकी अनुपयोगिकता स्पष्ट हो गयी है।

जलालुद्दीन अस्सग़ीर एक इराक़ी सांसद हैं उन्हें 80 और 90 के दशक में सद्दाम की खत्म हो चुकी तानाशाही सरकार से छापामार लड़ाई करने की दक्षता प्राप्त है वह सऊदी अरब के पूरब में स्थित बक़ीक़ और ख़रीस रिफाइनरियों पर होने वाले ड्रोन हमलों के बारे में कहते हैं" इन रिफाइनरियों को 6 "हुक" मिसाइल रक्षा प्रणाली, दो आधुनिकतम "पेट्रियाट" मिसाइल रक्षा प्रणाली, कई "कोर्टल" और कई "स्काई कार्ट" मिसाइल रक्षा प्रणालियों का समर्थन प्राप्त है और इन मिसाइल रक्षा प्रणालियों के माध्यम से आरामको की निगरानी की जा रही है। यही नहीं इन मिसाइल रक्षा प्रणालियों के माध्यम से हर प्रकार के संभावित हमले से मुकाबले के लिए काफी विस्तृत क्षेत्र की निगरानी की जा रही है। यही नहीं इन रक्षा प्रणालियों के ऊपर F-15 और F-16 युद्धक विमान भी गश्त करते

रहते हैं और इन सबके अलावा आवाक्स युद्धक विमान के राडार भी सक्रिय हैं और वे सेटेलाइट से भी जुड़े हुए हैं। इसके अलावा फार्स की खाड़ी में जो जलपोत हैं वे भी रक्षा प्रणालियों के साथ सहकारिता कर रहे हैं। यद्यपि इतने सारे सैन्य संसाधनों से बकीक और ख़रीस रिफाइनरियों की रक्षा व निगरानी की जा रही थी फिर भी यमनी सेना के 10 ड्रोन विमानों ने इन सबको चकमा देकर दृष्टिगत लक्ष्यों को भेद दिया।

पहली नज़र में यह स्थिति अमेरिका के लिए बहुत बड़े  अपमान की बात है। क्योंकि कोर्टल मिसाइल रक्षा प्रणाली के अलावा समस्त सैन्य उपकरण अमेरिकी हैं। दूसरे नंबर पर खुद सऊदी अरब के लिए भी बहुत बड़े अपमान की बात है क्योंकि उसने अपनी रक्षा के लिए बहुत अधिक धन खर्च किया है और अब उसकी हालत यह हो गयी है कि वह ग़रीब देश यमन के हमले का मुकाबला नहीं कर पा रहा है।

यमनी सेना ने सऊदी अरब की आरोमको तेल कंपनी की बक़ीक़ और ख़रीस रिफाइनरियों पर जो हमला किया उससे सऊदी अरब की डेटा कमज़ोरी भी स्पष्ट हो गयी। यमनी सेना ने सऊदी अरब पर पहली अगस्त को प्रक्षेपास्त्रों से हमला किया था जबकि 17 अगस्त को 10 ड्रोन विमानों से हमला किया था। यमनी सेना के इन हमलों के दृष्टिगत सऊदी अरब ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था और सैन्य जानकारियों में वृद्धि कर ली थी ताकि यमनी सेना के हर प्रकार के संभावित हमले को रोक सके परंतु यमनी सेना के ड्रोन विमानों ने 14 सितंबर को सऊदी अरब की बक़ीक़ और ख़रीस रिफाइनरियों पर हमला करके भारी क्षति पहुंचाई।

रोचक बात यह है कि इन रिफाइनरियों की सुरक्षा इतने अधिक सैन्य उपकरणों व संसाधनों से की जा रही है पर इन संसाधनों को यह तक ज्ञात न हो सका यह हमला कहां से हुआ और ये ड्रोन किधर से आये? बहरहाल 14 सितंबर को यमनी सेना ने जो हमला किया उससे गत 54 महीनों के दौरान सऊदी अरब को सबसे अधिक क्षति पहुंची और आले सऊद को करारा झटका लगा। यमनी सेना के हमले इस बात के सूचक हैं कि सऊदी अरब के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान उसके हमलों की रेन्ज में हैं और अगर सऊदी अरब अपने पाश्विक हमलों को जारी रखता है तो उसे अधिक क्षति पहुंच सकती है। साथ ही यमनी सेना के हमलों ने दर्शा दिया कि सऊदी अरब की अर्थ व्यवस्था और तेल प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षा घेरे को चमका देकर उसे आघात पहुंचाया जा सकता है। इसी बात के दृष्टिगत जानकार हल्कों का कहना है कि जिसके घर शीशे के होते हैं उसे दूसरों के घर पर पत्थर नहीं मारना चाहिये।

यमनी सेना ने सऊदी अरब की आरोमको तेल कंपनी की बक़ीक़ और ख़रीस रिफाइनरियों पर जो हमला किया उससे सऊदी अरब को बहुत अपमान हुआ। रोचक बात यह है कि सऊदी अरब दावा करता है कि वह अरब देशों में एक शक्तिशाली देश है जबकि यमन एक गरीब, निर्धन और कमज़ोर देश है और उसने सऊदी अरब को जो क्षति पहुंचाई है उसकी रियाज़ को कभी अपेक्षा नहीं थी। इस संबंध में एक अन्य रोचक बात यह है कि सऊदी अरब ने पश्चिमी देशों से आधुनिकतम हथियार खरीद कर स्वयं को अपडेट कर रखा है जबकि यमनी सेना ने अभी ड्रोन विमान और मिसाइल बनाये हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सऊदी अरब ने किसी प्रकार के प्रमाण के बिना यमनी सेना के हालिया हमले के संबंध में दावा किया कि इन हमलों के पीछे ईरान का हाथ है और अमेरिका ने भी सऊदी अरब के बचाव एवं उसके समर्थन में यही राग अलापा। वास्तव में इस प्रकार के दावे की वजह यह है कि सऊदी अरब और उसके आक़ा अमेरिका को इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा है कि यमनी इस प्रकार का हमला कर सकते हैं और वे ग़रीब देश यमन से मिलने वाली पराजय को सहन नहीं कर पा रहे हैं। पश्चिम एशिया के मामलों के एक विशेषज्ञ मोहम्मद अली मोहतदी का मानना है कि सऊदी अरब यह दिखाने का प्रयास कर रहा है कि वह यमन से पराजित नहीं हुआ है बल्कि उसका सामना ईरान नाम के क्षेत्र की एक शक्ति से है जो ड्रोन विमानों और मिसाइली क्षमता से लैस है।

यमनी सेना ने सऊदी अरब की आरामको तेल कंपनी की बक़ीक़ और ख़रीस रिफाइनरियों पर जो हमला किया उसका एक परिणाम यह हुआ कि क्षेत्र से बाहर की शक्तियां विशेषकर अमेरिका जो कभी- कभी ईरान को सैनिक धमकियां देता है उसको और उसकी हां में हां मिलाने वाली शक्तियों को यह संदेश मिल गया कि अगर उन्होंने हमला किया तो पूरा क्षेत्र असुरक्षित हो जायेगा और कोई भी अतिक्रमणकारी सुरक्षित नहीं रहेगा और इस युद्ध के विनाशकारी परिणाम कल्पना से परे होंगे और उससे अपूर्णीय क्षति होगी। यही नहीं यमनी सेना ने सऊदी अरब की आरामको तेल कंपनी की बक़ीक़ और ख़रीस रिफाइनरियों पर जो हमला किया उसके बाद से तेल की कीमतों में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हो गयी। इससे जो औद्योगिक देश भी तेल का आयात करते हैं उनकी अर्थ व्यवस्था पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। दूसरे शब्दों में यह प्रभाव अरब जगत के एक ग़रीब देश ने पहुंचाया है और ईरान जैसी शक्ति की ओर से जो आघात व क्षति पहुंचेगी वह बहुत भयावह होगी।

सऊदी अरब ने यमन पर जो युद्ध थोप रखा है वह बहुत ही संवेदनशील चरण में पहुंच गया है और अब युद्ध का संतुलन पूरी तरह बदल चुका है। आरंभ में यह सोचा जा रहा था कि सऊदी अरब यमन के मुकाबले में बहुत मज़बूत है परंतु अब यह दृष्टिकोण बिल्कुल बदल गया है। यमनी सेना सऊदी अरब को वह नुकसान पहुंचा सकती है जिसकी कल्पना न तो सऊदी अरब ने की होगी और न ही उसके आक़ाओं और उसकी हां में हां मिलाने वालों ने। जब से संयुक्त अरब इमारात और सऊदी अरब के मध्य मतभेद अधिक हो गये हैं तब से व्यवहारिक रूप से सऊदी अरब की अगुवाई में बनने वाले गठबंधन को समाप्ति के ख़तरे का सामना है। यमनी सेना रक्षात्मक स्थिति से अब आक्रामक मुद्रा में आ गयी है और उसने सऊदी अरब को वह नुकसान पहुंचाया है जिससे न केवल सऊदी अरब बल्कि उसके समर्थक भी बौखलाहट का शिकार हो गये हैं और उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें जबकि यमनी सेना और जनता पूरी साहस के साथ सऊदी अरब के पाश्विक हमलों के मुकाबले में डटी हुई है और ईश्वर पर भरोसा किये हुए है और उसका मानना है कि इस असमान युद्ध में वह अवश्य विजयी होगी। जानकार हल्कों का मानना है कि यमनी जनता विजयी हो चुकी है और अतिक्रमणकारी सऊदी अरब को जिस अपमान का सामना है उससे आम जनमत का ध्यान हटाने के लिए वह यमन के आवासीय क्षेत्रों पर हमले कर रहा है और यह दिखाना चाहता है कि इस युद्ध में वह पराजित नहीं हुआ जबकि वास्तविकता जगज़ाहिर है। सऊदी अरब के शाही परिवार से अलग हुए एक राजकुमार ख़ालिद बिन फरहान का मानना है कि सऊदी अरब को यमन युद्ध में निरतंर जो पराजय मिल रही है उसकी वजह यह है कि सऊदी सेना को युद्ध पर विश्वास नहीं है जबकि यमनी जनता और सेना का मानना है कि इस असमान युद्ध में वह विजयी होगी और यह सऊदी अरब और यमनियों के विश्वास में यह मूल अंतर है और यह ईमान व विश्वास युद्ध का नक्शा ही पलट व बदल सकता है।

यमनी सेना ने सऊदी अरब की आरामको तेल कंपनी की बक़ीक़ और ख़रीस रिफाइनरियों पर जो हमला किया है उसके संबंध में एक अन्य बिन्दु यह है कि मोहम्मद बिन सलमान ने बहुत बड़ी स्ट्रैटेजिक ग़लती की है क्योंकि सऊदी अरब के लिए युद्ध के खर्चे में 112 प्रतिशत की वृद्धि हो गयी है इस प्रकार से कि सऊदी अरब की सुरक्षा भी ख़तरे में पड़ गयी है। उसकी एक वजह यह है कि मोहम्मद बिन सलमान डालर और हथियार के नशे में चूर थे उन्होंने सोचा था कि हमारे पास पैसे और आधुनिकतम हथियारों की कमी नहीं है और कुछ ही दिनों में वह यमन युद्ध को जीत लेंगे पर चार वर्ष से अधिक का समय बीत गया और आज तक उनका स्वप्न पूरा न हुआ। यही नहीं अगर यमनी जनता के खिलाफ सऊदी अरब के पाश्विक हमले जारी रहते हैं तो मोहम्मद बिन सलमान सऊदी अरब का बादशाह बनने का जो स्वप्न देख रहे हैं वह भी खटाई में पड़ सकता है। बहरहाल सऊदी अरब को चाहिये कि वह जल्द से जल्द यमनी जनता के खिलाफ अपने पाश्विक हमलों को बंद कर दे इसमें सबकी भलाई है वरना यमनी सेना के अगले हमले और दर्दनाक हो सकते हैं। MM

 

 

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