यमन के हालिया परिवर्तनों पर चर्चा
"नस्रुन मिनल्लाह" सैन्य आपरेशन यमन के खिलाफ सऊदी अरब के पाश्विक हमले के 55वें महीनें में अंजाम दिया गया। यह सैन्य आपरेशन विभिन्न पहलुओं से महत्वपूर्ण है।
इस सैन्य आपरेशन के महत्व का एक कारण यह है कि इसे यमन की थल सेना और यमन के स्वयं सेवी बल के जवानों ने अंजाम दिया और उन्हें इस देश की एअर डिफेन्स यूनिट का समर्थन प्राप्त था। इस आधार पर यह एक ओर से ज़मीनी आप्रेशन था जबकि सऊदी अरब ज़मीनी हमले से बचता और भागता है क्योंकि ज़मीनी हमले के लिए उसके पास न तो अच्छे और अनुभवी सैनिक हैं और न ही उसके पास साहस है। अगर उसके पास अच्छे सैनिक होते तो बहुत पहले यमन के खिलाफ थल युद्ध आरंभ कर देता पर आज तक वह भाड़े के सैनिकों और एजेन्टों से काम ले रहा है। यमनी सेना का " नस्रुन मिनल्लाह " सैन्य आपरेशन इस बात का सूचक है कि यमन के बहादुर जवान सऊदी अरब की तानाशाही सरकार से थल युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार हैं परंतु सऊदी अरब यमनी सेना के अदम्य साहस से अच्छी तरह अवगत है इसलिए वह थल युद्ध के करीब नहीं आ रहा है। साथ ही सऊदी अरब के भाड़े के सैनिकों और एजेन्टों के अंदर यमनी सेना से सीधी टक्कर लेने की हिम्मत नहीं है।
यमनी सेना के शूरवीर जवानों ने " नस्रुन मिनल्लाह " नामक जो सैन्य आपरेशन किया उससे उन्होंने सऊदी अरब को भारी क्षति पहुंचाई। इस आपरेशन में सऊदी अरब की तीन बटालियन छिन्न- भिन्न और तबाह हो गयी। उनके जो सैन्य उपकरण थे उसे यमनी सेना ने छीन लिया और सऊदी अरब के हज़ारों एजेन्टों को यमनी सेना और स्वयं सेवी सेना के जवानों ने बंदी बना लिया। पिछले 14 सितंबर को यमनी सेना ने सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको की दो तेल रिफाइनरियों बकीक और खरीस पर जो हमला किया था उसके संबंध में सऊदी अरब ने दावा किया था कि इसके पीछे ईरान का हाथ है। यह कहकर उसने यमनियों को तुच्छ व कमज़ोर दिखाने का प्रयास किया था परंतु " नस्रुन मिनल्लाह " सैन्य आपरेशन करके यमनियों ने आले सऊद की तानाशाही सरकार को करारा जवाब दिया और उसे भारी जानी व माली क्षति पहुंचाई।
इस सैन्य आपरेशन के महत्वपूर्ण होने का एक कारण यह है कि आले सऊद सऊद के लिए यह बहुत अधिक मनोवैज्ञानिक प्रभाव रखता है। यमनी सेना ने " नस्रुन मिनल्लाह " आपरेशन अंजाम देने के लिए कई महीनों तक जानकारियों के क्षेत्र में काम किया पंरतु सऊदी एजेन्टों का ध्यान ही इस ओर नहीं गया। यमन की सशस्त्र सेना के जवानों ने " नस्रुन मिनल्लाह " आपरेशन करके सऊदी अरब को यह संदेश दे दिया कि उसके खिलाफ समस्त जवाबी हमलों और कार्यवाहियों को यमनी अंजाम दे रहे हैं। चूंकि "नस्रुन्निमल्लाह" ज़मीनी आपरेशन था इसलिए सऊदी अरब यह नहीं कह सकता कि इसे यमनियों ने अंजाम नहीं दिया है और इसी कारण यमनियों ने जब " नस्रुन मिनल्लाह " आपरेशन अंजाम दिया तो उसके 72 घंटों के बाद तक सऊदी अरब ने उसके संबंध में चुप्पी साधे रखी।
" नस्रुन मिनल्लाह " आपरेशन के कई संदेश हैं और वह सबसे पहले यह सिद्ध करता है कि सऊदी अरब युद्ध सहित समस्त विषयों को पैसे से जोड़कर देखता है। वह समझता है कि पैसे से हर समस्या का समाधान कर लेगा जबकि भाड़े के सैनिकों को अपनी जान की अंतिम सांस तक लड़ने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इसी कारण " नस्रुन मिनल्लाह " आपरेशन के दौरान सऊदी अरब के बहुत से किराये के एजेन्ट अपनी जान बचाकर भाग गये और कम से कम दो हज़ार को बंदी बना लिया गया।
" नस्रुन मिनल्लाह " आपरेशन का दूसरा संदेश यह है कि यमनी पहले रक्षा की मुद्रा में होते थे पर अब वे इस मुद्रा से निकल कर हमला करने की मुद्रा में आ गये हैं। इस बदलाव का मतलब यह है कि सऊदी अरब की अगुवाई वाला गठबंधन अब युद्ध के भविष्य को निर्धारित नहीं करेगा बल्कि अब वह युद्ध बंद करने पर ध्यान देने पर विवश है क्योंकि अगर वह युद्ध बंद करने पर ध्यान नहीं देगा तो उसे यमनी सेना के भारी हमलों की प्रतीक्षा में रहना चाहिये।
यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के प्रवक्ता मोहम्मद अब्दुस्सलाम ने इस संबंध में कहा है कि " नस्रुन मिनल्लाह " आपरेशन अतिक्रमणकारियों के लिए यह संदेश लिए हुए है कि इसके बाद उन्हें भारी पराजय का सामना करना पड़ेगा।
" नस्रुन मिनल्लाह " आपरेशन का तीसरा संदेश यह भी है कि इससे यह सिद्ध हो गया कि यमनी सेना की धमकी गम्भीर होती है और वह दुश्मनों को डराने धमकाने के लिए धमकी नहीं देता है बल्कि वह जो धमकी देती है उसे व्यवहारिक बनाने की क्षमता रखता है। सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको पर हमला होने के बाद उसने यमन के विभिन्न आवासीय क्षेत्रों पर बमबारी की। यमन के अंसारुल्लाह ने चेतावनी दी है कि अगर सऊदी अरब के हमले जारी रहे तो उसे करारा जवाब दिया जायेगा। इसी प्रकार " नस्रुन मिनल्लाह " आपरेशन के विभिन्न पहलुओं के सामने आने के बाद यह संदेश चला गया है कि यमनी सेना की धमकियां केवल शाब्दिक धमकी नहीं हैं और वह उन्हें व्यवहारिक भी करता है।
" नस्रुन मिनल्लाह " आपरेशन का चौथा संदेश यह है कि उसने अमेरिका और क्षेत्र में उसके घटकों की नीतियों को विफल बना दिया है और इस आपरेशन के दौरान उसने अतिक्रमणकारी सऊदी अरब के बहुत अधिक एजेन्टों को बंदी बना लिया। यह आपरेशन इसी प्रकार संयुक्त अरब इमारात के लिए गम्भीर चेतावनी है कि यमन में वह हर प्रकार की तनाव में वृद्धि करने वाली कार्यवाही से दूर रहे क्योंकि संयुक्त अरब इमारात के अंदर यमनी सेना के हमले को सहन करने की क्षमता नहीं है और उसके महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान यमनी सेना के हमलों की रेन्ज में हैं। वास्तव में इस सैन्य अभियान ने यह दर्शा दिया कि अतिक्रमणकारी सऊदी अरब और उसके भाड़े के सैनिकों व एजेन्टों की ताकत के मुकाबले में यमनी यमनी सेना की शक्ति में निरंतर वृद्धि हो रही है।
इसी प्रकार "नस्रुन्निमल्लाह" आपरेशन का एक संदेश यह है कि उसने सऊदी अरब को युद्ध विराम पर विचार करने पर बाध्य कर दिया है।
"अन्नशरा" वेबसाइट ने इस सैन्य अभियान का विश्लेषण करते हुए लिखा है कि सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको पर हमला सऊदी अरब के 50 प्रतिशत तेल के बंद होने का कारण बना और उसके बाद नजरान में यमनी सेना के हमले को सैन्य भूकंप समझा जा रहा है। इसी प्रकार इस वेबसाइट ने लिखा है कि अरामको तेल कंपनी सऊदी के लिए युद्ध के खर्चों और हथियारों की ख़रीदारी के लिए दिये जाने वाले धन की आपूर्ति करती है। इसी प्रकार इस वेबसाइट ने लिखा है कि "नस्रुन्निमल्लाह" आपरेशन ने सऊदी अरब की सेना और उसके एजेन्टों को हिला दिया है और सऊदी अरब के क्राउंन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को बड़ा तगड़ा झटका लगा। क्योंकि इस हमले में सऊदी अरब के दसियों सैनिकों सहित 2500 सैनिक व एजेन्ट बंदी बना लिये गये थे और दसियों बक्तरबंद वाहनों और टैंकों पर यमनी सेना ने कब्ज़ा कर लिया। जब यमन की सशस्त्र सेना को "नस्रुन्निमल्लाह" आपरेशन में मिलने वाली सफलता की तस्वीरें प्रकाशित की गयीं तो सऊदी अरब और उसके अगुवाई में बने गठबंधन देशों विशेषकर वाशिंग्टन को बड़ा झटका लगा क्योंकि सऊदी अरब मुख्य रूप से अमेरिकी समर्थन के कारण ही यमन युद्ध को जारी रखे हुए है।
"नस्रुन्निमल्लाह" आपरेशन का एक परिणाम यह हुआ है कि इससे सऊदी अरब की अगुवाई में बने गठबंधन के मतभेदों में वृद्धि हो गयी। क्योंकि इस हमले से सऊदी गठबंधन को यह संदेश गया कि इस युद्ध में उसकी हार हो जायेगी और हार के संबंध में उसके अंदर जो विचार पाये जाते थे वह और मज़बूत हो गये। इस हमले से पहले संयुक्त अरब इमारात इस निष्कर्ष पर पहुंच चुका था कि इस युद्ध में सऊदी अरब की अगुवाई वाले गठबंधन को विजय नहीं मिलेगी। इसी प्रकार "नस्रुन्निमल्लाह" आपरेशन से सऊदी अरब के घटकों के मध्य यह विचार अधिक सबल हो गया है कि इस युद्ध में सऊदी अरब अकेला रह जायेगा।
"नस्रुन्निमल्लाह" आपरेशन का एक अन्य परिणाम यह है कि इससे यमनी सेना और अंसारुल्लाह का मनोबल जहां बहुत बुलंद है वहीं अतिक्रमणकारियों के हौसले बहुत गिर गये हैं और इस आपरेशन के दौरान यमन के कई सौ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को अतिक्रमणकारी सऊदी अरब के कब्ज़े से स्वतंत्र करा लिया गया है। इस आपरेशन से यमनी सेना को जो सफलता मिली है उसकी किसी प्रकार अनदेखी नहीं की जा सकती और वह एक प्रकार से यमन युद्ध के बारे में सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव नंबर 2216 के प्रभावहीन होने का कारण बनेगी।
"नस्रुन्निमल्लाह" आपरेशन का एक अन्य परिणाम यह है कि वह यमन युद्ध को बंद करने के लिए सऊदी अरब को विचार करने पर बाध्य कर देगा। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने युद्ध विराम हेतु हूसिसों की घोषणा को राजनीतिक वार्ता को आगे ले जाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम की संज्ञा दी है। रोचक बात यह है कि यमनी सदैव युद्ध को बंद करने और वार्ता को आरंभ करने पर बल देते रहे हैं परंतु सऊदी युवराज ने अपने बयान से यह दर्शाने का प्रयास किया है कि मानो हूसी युद्ध विराम नहीं करना चाहते जबकि वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत है। यहां एक अन्य विषय का उल्लेख आवश्यक है और वह यह है कि सऊदी अरब ने चार साल पहले जब यमन पर अपना पाश्विक हमला आरंभ किया था तो उस समय वह यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन को कानूनी नहीं समझता था और उसका कहना था कि वह यमन की वैधता को बहाल कर देगा परंतु चार वर्ष का समय बीत जाने के बाद अब सऊदी अरब की समझ में यह बात बहुत अच्छी तरह समझ में आ गयी है कि अंसारुल्लाह अतीत की अपेक्षा इस समय बहुत मजबूत हो गया है। इसी बात के दृष्टिगत उसने यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन से वार्ता की तत्परता की घोषणा करके व्यवहारिक रूप से यह बता दिया है कि वह अंसारुल्लाह को यमन में एक शक्तिशाली कारक के रूप में देखता है और वास्तविकता भी यही है।