व्यापारी और दैव्य की कहानी-3
हमने कहा था कि एक व्यापारी था जिसने बहुत यात्रा की थी।
एक बार वह यात्रा के लिए घर से बाहर जाता है। रास्ते में थक गया तो विश्राम करने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ गया। जो रोटी और खजूर उसके साथ थी उसे उसने खाया और खजूर के बीज को ज़मीन पर फेंक दिया। इतने में एक दैत्य प्रकट हो गया और उसने व्यापारी से कहा तुमने खजूर के बीच से मेरे बेटे की हत्या की है अब मैं भी तेरी हत्या करूंगा। व्यापारी ने उससे एक साल की मोहलत मांगी ताकि वह अपने नगर जाकर अपनी धन- सम्पत्ति को अपने बेटों में बांट दे और फिर लौट आये। दैत्य ने उसे एक साल की मोहलत दे दी। वह भी एक वर्ष के बाद उसी पेड़ के नीचे लौट आया और अपनी हाल पर विलाप किया। तीन बूढ़े वहां से गुज़रे और उन तीनों ने व्यापारी से पूछा कि क्या हुआ है। उसके साथ जो कुछ हुआ था है उसे वह तीनों को बताता है। उनमें से एक के हाथ में जंजीर में बंधा हुआ हिरन था और दूसरे के साथ दो काले कुत्ते जबकि तीसरे के हाथ में घोड़ा था। जब दैत्य आया तो तीनों ने दैत्य से कहा कि वे उसे कहानी सुनाकर आश्चर्यचकित कर देंगे और उसके बदले में वह व्यापारी का एक तिहाई खून माफ़ कर देगा। दैत्य ने यह बात स्वीकार कर ली। तीनों बूढ़ों में से हर एक ने अपनी- अपनी कहानी सुनाई और दैत्य ने कहा” आश्चर्यचकित करने वाली कहानी थी।“ उसके बाद दैत्य ने उनमें से हर एक के लिए व्यापारी के एक तिहाई खून को माफ कर दिया।
तीसरा जो बूढ़ा था उसके पास एक घोड़ा था वह कहानी सुनाने के लिए दैत्य के पास गया। उसने कहा हे दैत्यों के सरदार तुमने जो दो कहानियां सुनी हैं उनसे भी रोचक कहानी मेरे पास है। तुम कहानी कहने की अनुमति मुझे दो अगर कहानी तुम्हें अच्छी लगे और तुम्हें आश्चर्यचकित कर दे तो इस व्यापारी का शेष खून माफ कर देना। दैत्य ने उसकी बात भी स्वीकार कर ली।
बूढ़े व्यक्ति ने कहा हे दैत्यों के सरदार यह घोड़ा जिसे तुम देख रहे हो यह मेरी पत्नी है। एक बार मैं किसी कार्य से यात्रा पर गया। जब एक वर्ष के बाद जब मैं यात्रा से वापस आया तो देखा कि मेरी पत्नी ने मेरे दास के साथ संबंध स्थापित कर लिया है। मेरी पत्नी ने जब मुझे देखा तो वह उठी और उसने पानी का एक मटका उठाया और उस पर एक मंत्र पढ़कर फूंक दिया और पानी मुझ पर छिड़क दिया। मैं एक कुत्ते में बदल गया और उसने मुझे घर से भगा दिया। मैं गली -कूचे में टहलता रहा। टहलते- टहलते मैं एक कसाई की दुकान पर जा पहुंचा।
कसाई ने मुझे खाने के लिए कुछ हड्डी दी। मैंने उसे खाया रात हो गयी थी क़साई अपने घर जाना चाह रहा था मैं भी उसके पीछे- पीछे चल पड़ा। जब क़साई के घर पहुंच गया तो जैसे ही कसाई की बेटी ने मुझे देखा उसने अपना चेहरा ढांक लिया और अपने बाप से कहा पिताजी घर में अपरिचित व्यक्ति को क्यों लाये हो? कसाई ने कहा मैं किसी अपरिचित व्यक्ति को घर नहीं लाया हूं। कौन अपरिचित व्यक्ति है? उसकी लड़की ने कहा यही कुत्ता इंसान है इसकी पत्नी ने जादू से इसे कुत्ता बना दिया है और मैं इसे इसके पहले वाले रूप में वापस कर सकती हूं। कसाई ने अपनी लड़की से कहा कि वह यह कार्य अंजाम दे।
लड़की एक नीला मटका ले आयी और उस पर मंत्र फूंका और उसका पानी मेरे ऊपर छिड़क दिया मैं अपने पहले वाले रूप में लौट आया। कसाई की लड़की का मैंने आभार व्यक्त किया। मैंने उससे कहा कि मेरी पत्नी को घोड़े में परिवर्तित कर दे। उसने जो पानी मेरे ऊपर छिड़का था उसमें से थोड़ा सा पानी मुझे दिया और कहा जब तुम अपनी पत्नी को देखना तो यह पानी उस पर छिड़क देना और तुम जो भी चाहोगे उसमें वह बदल जायेगी।
मैंने पानी ले लिया और अपने घर वापस आ गया। जैसे ही मैंने अपनी पत्नी को देखा उस पर पानी छिड़क दिया और मैंने उसे घोड़े में बदलना चाहा और वह घोड़ा हो गयी। यह वही घोड़ा है। जब दैत्य ने यह कहानी सुनी तो वह आश्चर्य चकित रह गया। उसने घोड़े से पूछा कि यह कहानी सही है? घोड़े ने अपना सिर हिलाया और इस तरह से उसने बूढ़े की बात की पुष्टि की। दैत्य को बहुत आश्चर्य हुआ था उसने व्यापारी के शेष खून को माफ कर दिया।
इस तरह व्यापारी की जान बच गयी।