Apr २४, २०१६ १३:१६ Asia/Kolkata
  • राजा और वफ़ादार बाज़

पुराने समय में संदबाद नाम का एक राजा था। उसने एक बाज़ पाल रखा था जिसे वह बहुत चाहता था और उसे स्वंय से अलग नहीं करता था।

 संदबाद के आदेश पर सोने का एक छोटा का प्याला बनाया गया और उसमें पानी डाल कर बाज़ की गर्दन में लटका दिया जाता था ताकि जब भी बाज़ प्यासा हो उसमें से पानी पिए। एक दिन संदबाद अपने वज़ीर और दासों के साथ शिकार पर गया। राजा सदैव की भांति इस बार भी बाज़ को अपने साथ ले गया। एक हिरन जाल में फंस गया। राजा के साथ जाने वालों ने हिरन के चारों ओर घेरा डाला किन्तु हिरण जाल चीर कर फ़रार कर गयी। संदबाद ने चिल्ला कर कहाः फ़रार करने न पाए! यदि हिरण भाग गया तो जिसके पास से भागेगा उसे क़त्ल करने का आदेश दूंगा। अभी राजा का यह वाक्य समाप्त भी नहीं हुआ था कि हिरण राजा की ओर मुड़ा और उसके सिर के ऊपर से छलांग लगा कर फ़रार कर गया। राजा के दासों ने वज़ीर को देखा और चुप हो गए। वज़ीर धीमे से राजा से कहाः हिरण आपके सिर के ऊपर से छलांग लगाकर फ़रार किया है। अब हमें क्या करना चाहिए? संदबाद राजा वज़ीर की बात का तात्पर्य समझ गया। घोड़े पर सवार हुआ और चिल्लाकर कहाः हिरण के पीछे जा रहा हूं और उसे पा न लूं लौटूंगा नहीं। यह कह कर राजा ने हिरण के पीछे घोड़ा दौड़ा दिया और राजा के कांधे पर बैठा बाज़ भी तेज़ी से उड़ा और हिरण तक पहुंच कर उसकी आंखों पर अपनी तेज़ चोंच से हमला कर हिरण को अंधा कर दिया जिससे हिरण अंधा हो गया और अब उसमें फ़रार करने की क्षमता नहीं थी। संदबाद हिरण के पास पहुंचा और उसने हिरण के सिर को काट कर उसके शव को घोड़े पर रख लिया। उसके बाद राजा पेड़ के नीचे बैठ गया ताकि थकावट दूर कर सके। पेड़ की डाल से क़तरा क़तरा पानी टपक रहा था। संदबाद प्यासा था और पानी का क़तरा देख कर बहुत प्रसन्न हुआ। बाज़ की गर्दन से सोने का प्याला खोला और उसे टपक रहे पानी के नीचे रख दिया। प्याला पानी से भर गया। राजा ने प्याला उठाया ताकि उससे पानी पिए किन्तु अचानक बाज़ ने प्याले को पर मार कर गिरा दिया जिससे प्याला ख़ाली हो गया। संदबाद ने बाज़ को देखा और बड़े प्रेस से उससे कहाः क्या तुम भी प्यासे हो? थोड़ा धैर्य करो! उसके बाद राजा ने प्याले फिर क़तरे क़तरे पानी से भरा और उसे बाज़ के सामने करते हुए उससे कहाः पहले तुम पियो फिर मैं! किन्तु इस बार भी बाज़ ने पर मार कर प्याले के पानी को गिरा दिया। संदबाद ने स्वंय से कहाः लगता है बाज़ चाहता है कि मैं पहले घोड़े को पानी पिलाउं। राजा ने प्याले को फिर पानी से भरा। इस बार पानी को ज़मीन पर घोड़े के सामने रख दिया किन्तु अभी प्यासे घोड़े ने अपना मुंह पानी की ओर बढ़ाया भी नहीं था कि बाज़ ने फिर पर मार कर प्याले के पानी को गिरा दिया। इस बार राजा क्रोधित हो गया। उसने बाज़ की ओर देखते हुए चिल्ला कर कहाः धिक्कार हो तुझ पर हे परिंदे! न तो ख़ुद पानी पीता है और न ही मुझे और घोड़े को पीने दे रहा है। यह कह कर राजा ने तलवार न्याम से निकाली और बाज़ के पर वार कर दिया। तलवार का वार पड़ना था कि बाज़ के पर कट गए और ख़ून बहने लगा। घायल परिंदे ने दुखभरी नज़रों से संदबाद को देखा और फिर अपने सिर से पेड़ की डाल की ओर निशाना किया। राजा संदबाद को बाज़ के संकेत कर अर्थ समझ में आया तो उसने सिर उठाया और डाल की ओर देखा तो अपनी आंख द्वारा देखे गए दृष्य पर विश्वास नहीं हो रहा था। क्या देखता है कि एक बड़ा भयानक सांप डाल से लिपटा हुआ था और उसके मुंह से ज़हर क़तरा क़तरा टपक रहा था। राजा संदबाद ने आश्चर्य से सांप को देखा और फिर पछतावे भरी आवाज़ में चिल्लाया। राजा संदबाद ने घायल बाज़ को हाथ में लिया और उसके ख़ून में लत-पट पर को चूमते हुए कहाः मेरे प्रिय पक्षी! तुमने मुझे बचा लिया किन्तु मैंने तुम्हारे साथ कितना बुरा किया। यह कह कर राजा ने बाज़ को सीने से लगाया और घोड़े पर सवार होकर तेज़ी से महल की ओर चल पड़ा। 

दुख व थकान के साथ राजा महल पहुंचा। हिरण के शव को महल के बावर्ची के हवाले किया और स्वंय बाज़ को हाथ में लिए सिंहासन पर बैठ गया। बाज़ अंतिम सांसे ले रहा था। राजा संदबाद पछतावे भरी दृष्टि से उसे देख रहा था और उसके पर को सहला रहा था। अंततः बाज़ी ने अंतिम सांस ली और राजा के हाथ में प्राण त्याग दिए। राजा संदबाद पूरी उम्र पछताता रहा।

 

लोकसाहित्य, ईरानी साहित्य की महत्वपूर्ण शाखा है। यह अनपढ़ या कम पढ़े-लिखों के प्रयास का परिणाम है कि इसका अधिकांश भाग मौखिक रूप में है और यह विषयवस्तु व संरचना की दृष्टि से ईरान के लिखित पारंपरिक साहित्य से भिन्न है। सरल भाषा, आम लहजा, आम लोगों के हालात और विचार, इस साहित्य की विशेषताएं समझी जाती हैं। आज ईरान के विभिन्न क्षेत्रों में लोकसाहित्य विभिन्न बोलियों में प्रचलित है। फ़ारसी का लोकसाहित्य ईरान के प्रचलित साहित्य की भांति गद्य और पद्य दोनों रूप में मौजूद है और दोनों ही क्षेत्र में इसकी महत्वपूर्ण धरोहरें हैं।

प्राचीन समय से ईरानी जनता के बीच आम शेर प्रचलित थे। ये शेर स्थानीय बोली में थे जिन्हें फ़हलवियात कहा जाता था। इन फ़हलवियात में से कुछ को संगीतार गलियों और बाज़ारों में गाते थे और यह इस प्रकार मौखिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होता गया कि इनमें से बहुत से आज भी लोग गुनगुनाते हैं। अधिकांश गानों के कवि का पता नहीं है कि किन कवियों ने इन्हें कहा है किन्तु कभी कभी कुछ कवियों के नाम का दोहे में उल्लेख होता है। इस प्रकार के गीत जटिल उपमा और हर प्रकार की दिखावट से दूर जो वास्तव में आम भावना व विचार को व्यक्त करते हैं। इनमें से अधिकांश में स्थानीय शब्द और आम बोली का प्रयोग किया गया है। इस प्रकार के गीतों की अधिकांश विषयवस्तु प्रेम, मिलन और जुदाई पर आधारित है। इन लोकगीतों से आम जीवन को समझा जा सकता है। इनमें से कुछ गीतों में गली कूचों और बाज़ार के लोगों की ज़बान से ऐतिहासिक वास्तविकताओं का उल्लेख मिलता है।

ईरान के लोकसाहित्य का बड़ा भाग उन कहानियों पर आधारित है जो आम लोग एक दूसरे को विशेष रूप से माएं और दादियां बच्चों को सुनाती थीं। अतीत में दाइयों और सेवकों को बहुत सी कहानियां याद थीं जो बच्चों को उनके मरोरंजन के लिए सुनाती थीं। इन कहानियों के रचनाकारों का उल्लेख नहीं मिलता और ये मौखिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती रही हैं। अतीत के कहानी कहने वाले अपने और दूसरों के मनोरंजन के लिए ज़्यादातर कहानियां कहा करते थे और उन्हें रोचक बनाने के लिए उनमें अपनी ओर से कुछ बातें बढ़ा भी दिया करते थे।

कुछ लोक कथाएं प्राचीन समय से राजाओं के मनोरंजन के लिए अस्तित्व में आयी हैं। अल्फ़ लैला किताब इस प्रकार की प्राचीन किताबों का एक नमूना है कि जिसकी अधिकांश कहानियों का स्रोत लोक कथाएं हैं। अल्फ़ लैला, समके अयार और इस्कंदर नामे को छोड़ कर अधिकांश लोक कथाओं के संकलन में बहुत अधिक समय नहीं गुज़रा है। यह कहानियां बहुत सरल व साधारण हैं किन्तु इन कहानियों में कहीं कहीं पुरानी बातें मिलती हैं। लघु कथाओं को विषयवस्तु की दृष्टि से दो भागों में बांटा जा सकता है।

इन कहानियों का एक भाग केवल काल्पनिक बातों व घटनाओं की व्याख्या पर आधारित है जिसमें जादू-टोना, देव और परी का उल्लेख मिलता है। दूसरा भाग बड़ी सीमा तक वास्तविकता पर आधारित है जो आम लोगों के जीवन की घटनाओं, उनकी इच्छाओं व दुखों को दर्शाती है और इनमें से अधिकांश जीवन पर भाग्य के प्रभाव से प्रेरित हैं। इस प्रकार की कहानियों के चैंपियन राजा, युवराज, कांटे बिनने वाले, रफ़ुगर, सदाचारी और फ़क़ीर हैं। कभी महमूद ग़ज़नवी या शाह अब्बास सफ़वी जैसी ऐतिहासिक हस्तियों का उल्लेख मिलता है जो लोगों के बीच वस्त्र बदल कर जाते थे। इनमें से कुछ कहानियों में नसीहत छिपी है ताकि लोग इनसे व्यवहारिक जीवन को सीखें। इनमें से कुछ कहानियों में व्यंग्य और लतीफ़ा है कि इन कहानियों के अभिनेता बुहलूल और मुल्ला नसरुद्दीन हैं। छोटी लोक कथाएं विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय बोली में घुल मिल गयी हैं।