Apr २४, २०१६ १४:११ Asia/Kolkata
  • जोज़र और शमरदल का ख़ज़ाना-२

जैसा कि हम ने बताया था कि एक व्यापारी था जिसके तीन बेटे थे सलीम, सालिम और जूज़र।

 व्यापारी की मौत के बाद सलीम और सालिम कि जिनकी समस्त पूंजी समाप्त हो गई थी जूज़र और अपनी मां के पास वापस लौट आए, जूज़र मछलियां पकड़कर अपने परिवार के खाने पीने की व्यवस्था करता था।

 

कई दिन तक मछलियां नहीं पकड़ सका तो वह क़ारून झील गया। वहां जूज़र को एक ऐसा व्यक्ति मिला कि जिसने उससे कहा कि वह उसके हाथ बांधकर झील में धकेल दे और कुछ समय बाद उसके हाथ बाहर निकलें तो उसे बचा ले और अगर पैर बाहर निकलें तो समझ जाए कि वह मर गया है।

 

उसके ख़च्चर को ले और शहर में जाए तथा शमीआ नामक यहूदी व्यापारी से स्वर्ण के 100 सिक्के ले ले। जूज़र ने दो दिन में यह काम दो व्यक्तियों के साथ किया और हर दिन 100 सिक्के प्राप्त किए। तीसरे दिन भी जूज़र झील पर गया, यही घटना घटी लेकिन इस बार वह आदमी जीवित बच गया और दो लाल मछलियां भी हाथ में लिए हुआ था, उसने उन्हें उस बर्तन में कि जिसे इसी काम के लिए लाया था डाल दिया। जूज़र ने कि जो इन तीन दिनों में घटने वाली घटनाओं से अचरज में था उस व्यक्ति से कहा कि उसे वास्तविकता बताए। उस व्यक्ति ने कहा कि वास्तविकता यह है कि वे दो लोग जो डूब गए हैं मेरे भाई थे।

 

वह व्यक्ति कि जिसे तुम शमीआ के नाम से जानते हो वह भी मेरा भाई है और वह यहूदी नहीं बल्कि मुसलमान है। उसका नाम अब्दुर्रहीम है और मेरा नाम अब्दुस्समद। हम चार भाईयों का पिता भविष्यवाणी करने और ख़ज़ानों का पता लगाने में दक्ष था। उसने यह विद्या हमें सिखायी थी। हमारे पिता का निधन हो गया और हम ने उसकी पूंजी अपने बीच बांटली। उसके पास अधिक संख्या में किताबें थीं। किताबों को भी बांट लिया लेकिन एख किताब पर हम चारों के बीच मतभेद उत्पन्न हो गया। वह किताब बहुत मूल्यवान थी और दुनिया में उसका उदाहरण नहीं था, इसलिए कि उस किताब में समस्त ख़ज़ानों के नाम, जादू और भविष्यवाणी के तरीक़ो का उल्लेख था।

 

मेरे पिता का एक बूढ़ा गुरु था। हम उसके पास गए और उससे अनुरोध किया कि हमारे बीच में फ़ैसला करे और बताए कि हम में से कौन इस किताब का मालिक बने। बूढ़े गुरु ने इस किताब का मालिक बनने के लिए एक शर्त निर्धारित की। उसने कहा कि तुम में से जो कोई भी इस किताब का मालिक बनना चाहता है, उसे शमरदल ख़ज़ाने का द्वार खोलना होगा और इस ख़ज़ाने में मौजूद चार मूल्यवान चीज़ों को लाना होगा। हम ने पूछा वह चार चीज़ें किया हैं? कहा, इस ख़ज़ाने में एक अंगूठी, एक तलवार, दुनिया दिखाने वाली एक गेंद और एक सुर्मे दानी है और उनमें से हर एक की आश्चर्यजनक विशेषता है। अंगूठी का एक सेवक है कि जिसका नाम राद है। राद एक शक्तिशाली देव है अगर वह चाहे तो समस्त धरती का मालिक बन सकता है। तलवार की विशेषता यह है कि अगर उसे उसके नियाम से बाहर निकाला जाए और शत्रु की ओर घुमाया जाए तो शत्रुओं की सेना कितनी भी अधिक क्यों न हो पराजित हो जाती है। और यदि तलवार का मालिक कहे कि हे तलवार समस्त शत्रु सेना को मार डाल तो तलवार से आग निकलती है और समस्त सेना को जलाकर भस्म कर देती है। दुनिया को देखने वाली गेंद से समस्त शहरों और उनके नागरिकों को देखा जा सकता है अगर उसको सूर्य की ओर करें और इच्छा प्रकट करें कि कोई शहर नष्ट हो जाए तो उस शहर में आग लग जाती है।

 

सुर्मे दानी से जो कोई भी अपनी आँखों में सुर्मा लगाएगा तो उसकी निगाह इतनी तेज़ हो जाती है कि वह ज़मीन के नीचे समस्त ख़ज़ानों को देख सकता है। हम ने गुरु से पूछा कि शमरदल ख़ज़ाने तक पहुंचने का रास्ता किया है? गुरु ने हम से कहा कि शमरदल ख़ज़ाना अभी मलिक अहमद के पुत्रों के निंयत्रण में है और केवल उस युवा के लिए खुलेगा कि जिसका नाम जूज़र होगा और मछली पकड़ने के लिए क़ारून झील जाएगा।

 

जो कोई भी ख़ज़ाना प्राप्त करना चाहता है तो वह उस झील पर जाए जूज़र से मिले और उससे अनुरोध करे कि वह उसके हाथों को बांधे और पानी में धकेल दे। जब पानी में गिर पड़े तो मलिक अहमर के बेटों से लड़े। अगर उनके द्वारा मारा जाए तो कुछ नहीं, लेकिन अगर उन्हें पराजित कर दे और उन्हें बंधक बना ले तो वह अपने हाथों को पानी से बाहर निकाल और जूज़र से सहायता मांगे।

मैं और मेरे दो भाईयों ने निर्णय लिया कि इस काम को अंजाम दें लेकिन अब्दुर्रहीम ने कहा कि न मुझे किताब चाहिए और न ही मैं झील पर जाऊंगा। इसलिए हम इस शहर में आ गए और उसने ख़ुद को एक व्यापारी के रूप में परिचित कराया और बाक़ी कहानी से तो तुम ख़ुद ही अवगत हो।

जूज़र ने पूछा, अब मलिक अहमर के बेटे कहां हैं? अब्दुस्समद ने कहा वही दो मछलियां तो हैं कि जिन्हें मैंने पकड़ा है। लेकिन जूज़र यह जान लो कि शमरदल ख़ज़ाना केवल तुम्हारे लिए खुलेगा। क्या तुम मेरे साथ उस शहर चलोगे कि जहां ख़ज़ाना है, चलें और काम समाप्त कर दें। जूज़र ने सोच कर कहा कि नहीं मैं नहीं जा सकता, मेरी मां और भाई मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं अगर तुम्हारे साथ जाऊंगा तो उनकी आवश्यकता कौन पूरी करेगा।

 

अब्दुस्समद ने कहा हमारी यात्रा चार महीने से अधिक लम्बी नहीं खिंचेगी। मैं तुम्हें एक हज़ार सिक्के दे रहा हूं ताकि अपने परिवार को दे दो और चार महीने तक उन्हें कोई कठिनाई नहीं हो। जूज़र ने स्वीकार कर लिया। एक हज़ार सिक्के अब्दुस्समद से लिए और घर लौट आया। मां से पूरी कहानी बतायी। मां को सिक्के दिए और कहा: प्यारी मां यह सिक्के तुम्हारी और भाईयों की ज़रूरतों की आपूर्ति के लिए हैं इन्हें लो और मेरे लिए प्रार्थना करो। उसके बाद अपनी मां को अलविदा कहा और अब्दुस्समद के पास वापस आकर यात्रा पर चल दिया।...