जोज़र और शमरदल का ख़ज़ाना-३
आप को याद होगा कि हमने बताया था कि एक व्यापारी के तीन बेटे थे ।
सलीम, सालिम और जोज़र। व्यापारी जोज़र नामक अपने बेटे को बहुत चाहता था और इसी लिए उसके दोनों अन्य भाई उससे जलते थे। व्यापारी ने अपने जीवन में ही अपनी पूरी संपत्ति चार भागों में बांट दी थी। तीन हिस्से अपने तीनों बेटों के लिए और एक हिस्सा स्वंय अपने और अपनी पत्नी के लिए। व्यापारी के मरने के बाद दोनों बड़े बेटों ने अपनी सारी संपत्ति गंवा दी और अपनी माता के हिस्से को भी खा गये। जोज़र, मां को अपने साथ ले गया और मछली पकड़ कर अपना जीवन यापन करने लगा।
उसके दोनों भाइयों के हाथ जब खाली हो गये तो वह भी अपने छोटे भाई के पास आ गये और चूंकि जोज़र भला लड़का था इस लिए उसने अपने इन भाइयों को भी अपने ही साथ रख लिया। एक बार कई दिनों तक जोज़र कोई मछली पकड़ नहीं पाया इस लिए उसने मछली के शिकार की जगह बदलने का फैसला किया। वह क़ारून नामक तालाब गया और जाल पानी में डालना चाहा कि अचानक ही खच्चर पर बैठा एक व्यक्ति प्रकट हुआ। उसके शरीर पर मूल्यवान वस्त्र थे। खच्चर की जीन सोने की थी और उस पर रत्न जड़ा रेशमी कपड़ा पड़ा हुआ था। वह व्यक्ति अपने खच्चर से नीचे उतरा, सलाम किया और कहने लगाः तुम से एक निवेदन है।
यदि मेरा काम कर दोगे तो मैं उसका बहुत अच्छ इनाम तुम्हें दूंगा। जोज़र ने कहा बताओ क्या करना है? उस व्यक्ति ने खच्चर की खुर्जीन से एक रेशमी रस्सी निकाली और कहने लगाः मेरे हाथ इस रस्सी से बांध दो और मुझे तालाब में फेंक दो और फिर थोड़ी देर प्रतीक्षा करो। यदि तुम्हें मेरे हाथ नज़र आएं तो तुम अपना जाल तालाब में डाल कर मुझे बाहर निकाल लो किंतु यदि तुम ने मेरे पैर देखे तो समझ लो कि मैं मर चुका हूं और उस दशा में मेरा खच्चर और उसकी खुर्जीन लेकर बाज़ार चले जाना वहां शमीआ नामक एक यहूदी व्यापारी का पता करना । जब वह मिल जाए तो उस के पास जाकर उसे मेरा खच्चर और खुर्जीन दे देना वह तुम्हें सौ सोने के सिक्के देगा।
उससे सिक्के लेना और अपना राह लग जाना। जोज़र ने उसकी बात स्वीकार कर ली। उस व्यक्ति को जब जोज़र ने पानी में फेंका तो कुछ देर बाद उसे उसके पैर नज़र आये और वह समझ गया कि वह मर चुका है। उसने खच्चर और खुर्जीन उठायी और बाज़ार गया। शमीआ को खोज निकाला और खच्चर व खुर्जीन उसके हवाले कर दी । शमीआ ने उसे सौ सोने के सिक्के दिये और उससे कहा, किसी को इस बात की सूचना न होने पाए। जोज़र ने सिक्के लिए और अपने घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे नानवाई की दुकान नज़र आयी। वह रोटी की दुकान में गया और उससे जो क़र्जा लिया था वह अदा किया। कुछ रोटियां और मांस खरीदा और अपने घर की ओर चल पड़ा।
उसकी माता ने मांस पकाया और सारे भाइयों ने मिल कर पेट भर खाना खाया। उसके बाद जोज़र ने बचे हुए सोने के सिक्के अपनी मां को दिया और कहा, माता यह सिक्के आप रख लें ताकि यदि मैं न रहूं तो आप को और मेरे भाइयों को भूखा न रहना पड़े। दूसरे दिन जोज़र ने अपना जाल उठाया और क़ारून तालाब की ओर चल पड़ा। अभी उसने जाल डाला भी नहीं था कि अचानक एक व्यक्ति खच्चर पर बैठा उसी ओर आता दिखायी दिया। निकट पहुंचने पर उस व्यक्ति ने जोज़र को सलाम किया और कहने लगा यह बताओ जोज़र कल यहां पर मेरी ही तरह खच्चर पर बैठ कर कोई व्यक्ति आया था, जोज़र ने सोचा इसे क्यों बताया जाए । उसने कहाः नहीं कोई नहीं आया था। वह व्यक्ति हसंने लगा और उसने कहा मुझे सब मालूम है। उसके बाद उसने पूरी घटना जोज़र के सामने दोहरा दी। जोज़र ने कहा जब तुम्हें सब कुछ मालूम है तो मुझ से क्यों पूछ रहे थे? उस व्यक्ति ने कहा कि इस लिए कि मैं चाहता हूं कि मेरे साथ भी तुम वैसा ही करो जैसा उसके साथ किया ।
उसके बाद उसने भी एक रेशम की रस्सी उसे थमा दी। जोज़र ने वही पहले वाला काम किया, थोड़ी देर प्रतीक्षा की और जब उसके पैर नज़र आने लगे तो उसे उस व्यक्ति का खच्चर लिया, खुर्जीन उठायी और बाज़ार की ओर चल पड़। शमीआ के पास पहुंचा और उससे सौ सिक्के लिये और अपने घर की राह ली। घर पहुंच कर उसने अपनी मां के हाथ पर सोने के सिक्के रखे तो उसकी मां आश्चर्य से पूछने लगीः जोज़र सच सच बताओ यह सिक्के तुम कहां से लाते हो? जोज़र ने अपनी मां को पूरी बात बता दी किंतु यह भी कहा कि यह बात वह किसी से न बताए। तीसरे दिन वह फिर कारून तालाब पहुंचा। इस बार भी वहां एक अन्य व्यक्ति नज़र आया और वही सब कुछ हुआ और जोज़र ने उस व्यक्ति के हाथ बांध कर उसे पानी में फेंक दिया।। कुछ देर बाद ही अचानक उस व्यक्ति के हाथ उसे नज़र आए। जोज़र अपनी जगह पर उछल गया। उसने जल्दी से जाल पानी में डाला और उस व्यक्ति को बाहर निकाल लिया। उस व्यक्ति के हाथ में दो लाल मछलियां थीं।
उसने जोज़र से कहाः मेरी खुर्जीन में दो छोटे बर्तन हैं। उन्हें लाओ और उनके ढक्कन खोलो। जोज़र ने दोनों बर्तन लाकर उस व्यक्ति को दिये। उस व्यक्ति ने दोनों मछलियां एक एक बर्तन में डालीं और उनके ढक्कन मज़बूती से बंद कर दिये। उसके बाद वह जोज़र से कहने लगा। तुम्हारा आभारी हूं मैं जोज़र , तुमने मेरी जान बचा ली। यदि तुम मुझे पानी से बाहर न निकालते तो मैं डूब कर मर जाता। जोज़र ने कहा मैं तुम्हें ईश्वर की सौगंध देता हूं मुझे सारी बात बताओ, मुझे बताओ कि तुम कौन हो? और वह दोनों लोग कौन थे और वह क्यों पानी में डूब गये, यह शमीआ कौन है? और इन दो मछिलयों का क्या रहस्य है?
उस व्यक्ति ने कहा अच्छी बात है तो सुनो,