जोज़र और शमरदल का ख़ज़ाना-४
पिछली कड़ी में हमने आपको बताया था कि जूज़र मछली पकड़ने के लिए क़ारून तालाब जाता है और वहां वह ऐसे भाइयों से परिचित होता है जिनमें से हर एक पिता की मीरास में बची हुयी किताब को हासिल करने की कोशिश करता है और उस किताब में सभी ख़ज़ानों की निशानियां, जादू करने और भविष्यवाणियां लिखी हुयी थीं।
वृद्ध उस्ताद ने उन्हें बताया था कि इस किताब को वही हासिल कर सकता है जो शमरदल के ख़ज़ाने का दरवाज़ा खो दे और उसमें मौजूद चार मूल्यवान वस्तुएं ले आए। इसी प्रकार उस वृद्ध उस्ताद ने उनसे कहा था कि यह ख़ज़ाना अहमर राजा के लड़कों के क़ब्ज़े में है जिसे जूज़र नामक व्यक्ति ही खोल सकता है। लड़कों को चाहिए कि जूज़र की सहायता से अहमर राजा के लड़कों से लड़ें और उन्हें गिरफ़्तार करें। इस लड़ाई में दो भाई मारे जाते हैं किन्तु एक भाई शुरु में भी किताब हासिल करने से पीछे हट जाता है और अब्दुस समद जूज़र की सहायता से सफल हो जाता है और वह शमरदल के ख़ज़ाने के महल जाने की योजना बनाता है।
अब्दुस समद और जूज़र सफ़र के लिए रवाना हुए। अधिक समय नहीं गुज़रा था कि जूज़र को भूख लगी और उसने अब्दुस समद से कहाः काश खाने के लिए कोई चीज़ लाया होता। अब्दुस समद ने क़ातिर को रोका और कहाः क्या खाना चाहते हो? भुना हुआ मुर्ग़? मेमने का कबाब? मीठा पुलाव? जूज़र ने कहाः काश ये सब खाने जिसका नाम लिया है, यहां होते चूंकि नहीं हैं इसलिए एक लुक़मा रोटी और पनीर भी काफ़ी होगा। अब्दुस समद हंसा और उसने कहाः जो कुछ मैंने कहा है उसे हाज़िर कर दूंगा। उसके बाद अब्दुस समद ने अपना हाथ ख़ूरजीन में डाला और जूज़र की आश्चर्यचकित आंखों के सामने खाने से भरे बर्तन निकले और जूज़र के सामने 24 प्रकार के व्यंजन दस्तरख़ान पर सजा दिए। जूज़र ने बड़ी हैरत से पूछाः क्या तुम्हारी ख़ूरजीन बावर्चीख़ाना है और उसमें कोई पकाने वाला है कि इतने सारे खाने ले आया। अब्दुस समद ने कहाः यह ख़ूरजीन एक जादुई ख़ूरजीन है।
जूज़र ने आगे कुछ नहीं कहा और खाना खाने लगा। दोनों ने इतना खाया कि पेट भर गया। अब्दुस समद ने ख़ूरजीन से पानी का बर्तन निकाला और दोनों ने वज़ू करके नमाज़ पढ़ी और फिर ख़च्चर पर सवार हुए ताकि आगे के सफ़र पर रवाना हो सकें। अब्दुस समद ने जूज़र से पूछा कि क्या जानते हो कि अब तक हमने कितनी दूरी तय की है। जूज़र ने कहाः आधा दिन गुज़रा है सफ़र करते हुए। अब्दुस समद ने हंस कर कहाः नहीं हमने एक महीने की दूरी तय की है। जूज़र बड़े आश्चर्य से अब्दुस समद को देखने लगा। अब्दुस समद ने कहाः आश्चर्य से क्या देख रहे हो मेरा ख़च्चर एक दिन में एक वर्ष की दूरी तय करता है किन्तु मैंने तुम्हारे लिए इसे धीरे चलाया ताकि तुम न डरो। उनकी यात्रा चार दिन चलती रही और वे पांचवे दिन अपने गंतव्य पर पहुंचे। शहर के दरवाज़े से गुज़रकर वे आगे बढ़े। अब्दुस समद ने ख़च्चर को एक बड़े घर के बाहर रोक दिया। उससे उतरा और दरवाज़ा खटखटाया। एक छोटी लड़की ने दरवाज़ा खोला।
अब्दुस समद ने जादुयी ख़ूरजीन को ख़च्चर की पीठ से उठाया और क़ातिर से कहाः लौट जाओ! अचानक ख़च्चर के पैर के नीचे ज़मीन फटी और वह ज़मीन में समा गया और ज़मीन फिर से पहले की तरह हो गयी। अब्दुस समद और जूज़र घर में प्रविष्ट हुए। बहुत ही विशाल व सुंदर घर था जिसके क़ालीन बिछे हुए थे। अब्दुस समद ने छोटी लड़की को बुलाया और कहाः गठरी लाओ। लड़की गयी और एक गठरी ले आयी। अब्दुस समद ने गठरी खोली और उसमें से एक सुदंर वस्त्र निकाला और उसे जूज़र को पहनने के लिए दिया। जूज़र ने उसे पहना और वह शहज़ादों की तरह लगने लगा। अब्दुस समद ने ख़ूरजीन में हाथ डाला और उसमें से नाना प्रकार के व्यंजन निकाला। दोनों ने बैठ कर खाया और फिर सोने चले गए। अगले दिन और बाद के दिनों भी अब्दुस समद जूज़र को नए नए कपड़े दिए और अच्छे खाने उसके लिए तय्यार किए। इस प्रकार 20 दिन गुज़र गए। इक्कीसवें दिन सुबह को अब्दुस समद ने जूज़र से कहाः आज वादे का दिन है। हमें शमरदल का ख़ज़ाना हासिल करने के लिए चलना चाहिए। जूज़र उठा और अब्दुस समद के साथ घर से निकल गया। बाहर दो खच्चर खड़े थे। उस पर सवार हुए और चल पड़े।
घंटों चलने के बाद दोपहर के समय एक नहर के निकट पहुंचे। ख़च्चर से उतरे। अब्दुस समद ने हाथ से इशारा किया। फ़ौरन दो दास हाज़िर हो गए और वे ख़च्चर लेकर एक ओर गए और शीघ्र ही एक बड़े तंबू और क़ालीन के साथ लौटे। जादुयी ख़ूरजीन और मछली के बर्तन भी तंबू में ले आए। अब्दुस समद ने खाना खाने के बाद मछलियों के दोनों बर्तनों को उठाया और कुछ पढ़ना शुरु किया। अचानक उसके हाथ में बर्तन टूट गया। टूटे हुए बर्तन से दो व्यक्ति हाथ बांधे प्रकट हुए और उन्होंने गिड़गिड़ाते हुए अब्दुस समद से कहाः हमें आज़ाद कर दो। अब्दुस समद ने कहाः तुम लोग उस समय तक स्वतंत्र नहीं होग जब तक शमरदल के ख़ज़ाने का दरवाज़ा खोलने का वचन नहीं देते। उन दोनों ने कहाः जूज़र मछुवारे को लाओ कि ख़ज़ाने का दरवाज़ा केवल उसके सामने खुलेगा।
अब्दुस समद ने कहाः जूज़र यही हैं और वह तुम लोगों को देख रहा है और तुम्हारी बातें भी सुन रहा है। उन दोनों व्यक्तियों ने जब यह सुना को वचन दिया कि ख़ज़ाने का दरवाज़ा खोल देंगे। अब्दुस समद ने उन दोनों को स्वतंत्र कर दिया। उसके बाद एक बड़ी मज़बूत लकड़ी और लाल रंग के कई अक़ीक़ पत्थर दिए। अक़ीक़ पत्थर को लकड़ी पर लटकाया। लोबान और ऊद लाया। ऊद जलायी और जूज़र से कहाः अब मैं दुआ पढ़ रहा हूं और जब तक मेरी दुआ ख़त्म नहीं हो जाती किसी से बात नहीं करुंगा। मैं दुआ पढ़ने से पहले तुम्हें बता रहा हूं कि तुम्हें क्या करना चाहिए। तो ध्यान से सुनो और जो कुछ कह रहा हूं उसे याद रखना ताकि अपने उद्देश्य तक पहुंच सको। मैं दुआ पढ़ता हूं और लोबान को आग में डालता हूं। उस समय इस नहर का पानी सूख जाएगा और उसमें सोने का एक बड़ा द्वार निकलेगा।
दरवाज़े पर रत्न जड़ी हुयी दो ज़न्जीरें होंगी। तुम दरवाज़े की ओर जाओगे और ज़न्जीर को तीर पर खटखटाना और कहनाः मैं जूज़र मछुवारा हूं। दरवाज़ा खुल जाएगा। एक व्यक्ति तलवार लिए हुए घर से बाहर आएगा और कहेगाः अगर तुम जूज़र हो तो अपनी गर्दन को झुकाओ ताकि तुम्हारे शरीर से सिर अलग कर दूं। तुम डरना नहीं और अपनी गर्दन झुका देना। वह तलवार उठाएगा ताकि तुम्हारी गर्दन मारे किन्तु वह ज़मीन पर गिर कर मर जाएगा। याद रहे कि अगर गर्दन पीछे की तो मारे जाओगे। दरवाज़े से अंदर जाना। दूसरा दरवाज़ा दिखायी देगा। उसे भी खटखटाना। दरवाज़ा खुलेगा और एक व्यक्ति बरछी लिए तुम्हारी ओर आएगा। वह बरछी तुम्हारी ओर फेंकेगा। डरना नहीं और अपना सीना बढ़ा देना। बरछी तुम्हारे सीने से टकराएगी किन्तु तुम्हें कोई नुक़सान नहीं पहुंचेगा। किन्तु वह व्यक्ति ज़मीन पर गिरेगा और मर जाएगा। उस समय तुम आगे बढ़ना और तीसरा द्वारा मिलेगा। उसे भी खटखटाना। एक व्यक्ति तीर और धनुष लिए प्रकट होगा।
वह तुम्हें तीर मारेगा। पीछे मत हटना वरना मारे जाओगे। कुल मिलाकर यह कि अब्दुस समद ने सातवें दरवाज़े तक घटने वाली सारी बातें जूज़र को बतायी और उनसे निपटने का हल बताया और कहा कि इसके बाद ख़ज़ाने का दरवाज़ा तुम्हारे लिए खुल जाएगा।