Apr २४, २०१६ १४:३१ Asia/Kolkata
  •  “गौहरे शबे चेराग़”

प्राचीन समय की बात है।

एक गांव में एक मां अपने बेटे के साथ रहती थी। एक दिन मां ने अपने बेटे से कहा मेरे बेटे यह पैसा लो और बाज़ार जाकर रोटी खरीद लाओ। लड़के ने पैसा लिया और रास्ता चल दिया। रास्ते में उसने देखा कि कुछ शरारती व नटखट बच्चों ने एक बिल्ली को रस्सी से बांध रखा है और उसे वे इधर उधर खींच रहे हैं। लड़के ने जब बिल्ली की यह हालत देखी तो उसे बड़ा तरस आया है। उसने नटखट बच्चों से कहा हे बच्चो क्या बिल्ली को बेचोगे? अगर बेचोगे तो कितने में बेचेगो? नटखट बच्चों ने कहा हां हम बिल्ली को बेचेंगे। इसका मूल्य बहुत कम है एक रोटी की आधी कीमत से भी कम। इसके बाद लड़के ने अपना सारा पैसा नटखट बच्चों को देकर बिल्ली को स्वतंत्र कर दिया और वहीं से घर लौट आया। जब उसने रास्ते की सारी घटना अपनी मां को बताई तो उसकी मां चीखी- चिल्लाई और कहा कि यह कौन सा काम था जो तुमने किया। लड़के ने अपनी मां से कहा अगर एक दिन हम रोटी नहीं खायेंगे तो क्या हो जायेगा?

 

 

दूसरा दिन आया। मां ने अपने बेटे को कुछ और पैसा दिया और उससे कहा कि कसाई की दुकान पर जाकर मांस लाओ। लड़का पैसा लेकर रास्ता चल पड़ा। इस बार भी उसने रास्ते में उन्हीं शरारती बच्चों को देखा इस बार वे एक कुत्ते को परेशान कर रहे थे और उसे पैर से मार रहे थे। लड़के ने जब यह दृश्य देखा तो उसे बड़ा तरस आया, उसने शरारती बच्चों से कहा बच्चो क्या इस कुत्ते को बेचोगे? अगर बेचोगे तो कितने में बेचोगे? शरारती बच्चों ने कहा हां हम कुत्ते को बेचेगें। आधी रोटी से भी कम कीमत में। लड़के ने अपना सारा पैसा शरारती बच्चों को दे दिया और कुत्ते को खरीद कर उसे अपने घर ले आया। उसकी मां ने जैसे ही यह दृश्य देखा चीखना- चिल्लाना आरंभ कर दिया। उसने अपने बेटे से कहा बताओ मैं क्या करूं इतना पैसा कहां से लाऊं मेरा घर मुद्राकोष तो नहीं है। बेटे ने अपनी मां से सारी बात बताई और कहा अगर एक दिन हम मांस नहीं खायेंगे तो क्या हो जायेगा?

अगले दिन महिला ने अपने बेटे को कुछ और पैसा दिया और उससे कहा कि बाज़ार जाकर तेल ले आओ परंतु इस बार उसकी मां ने उसे बहुत समझा- बुझाकर भेजा था। लड़का दोबारा घर से निकला और उसने रास्ते में उन्हीं शरारती बच्चों को देखा, वे इस बार एक चूहे को पकड़े हुए थे वे उसे आग में डालना चाह रहे थे। यह दृश्य देखकर लड़के का दिल तड़प गया। उसने शरारती बच्चों से पूछा हे बच्चों क्या चूहे को बेचोगे? अगर बेचोगे तो कितने में?

 

 

शरारती बच्चों ने कहा हां हम चूहे को बेचेंगे। कसाई की दुकान में मौजूद एक ओझड़ी से भी कम कीमत में। लड़के ने चूहे को खरीद लिया और उसे घर ले आया। इस बार उसकी मां ने कुछ कहा ही नहीं। मानो कुछ हुआ ही नहीं।

काफी दिन बीत गये। लड़का प्रतिदिन नदी के किनारे जाता और मछली पकड़ता था। मछलियों को साफ करके उन्हें घर ले आता और उसके अंदर की चीज़ों को कुत्ते और बिल्ली के सामने डालता था। एक दिन जब सब घर पर थे कुत्ते ने पत्थर की बनी एक मछली को अपने मुंह में दबाकर लड़के को दिया। वह मछली सूरज की तरह चमक रही थी। वह गौहरे शबे चेराग अर्थात रात के मोती की भांति थी। इस प्रकार की मछली देखकर लड़के को बड़ा आश्चर्य हुआ। परीक्षा करने के लिए लड़के ने पत्थर की मछली को दांत तले दबाया और नीयत की कि हे रात के मोती मेरी आकांक्षा है कि मेरा दस्तरखान नाना प्रकार के खानों से भर जाये” पलक झपकते ही उसका दस्तरखान भांति भांति के स्वादिष्ट खानों से भर गया। हर कोई भी खुशी से फूले नहीं समा रहा था जिससे जितना हो सका उसने भेट भर कर खाना खाया। उन्हीं दिनों लड़का मरुस्थल गया था। वहां पर उसने क्षेत्र के प्रधान की लड़की देखी और वह उसका प्रेमी हो गया। उसने अपनी मां से कहा कि वह लड़की की मंगनी के लिए जाये। उसकी मां ने कहा बेटा तुम्हें क्या हो गया है। तुम किस तरह क्षेत्र के प्रधान की लड़की से विवाह करना चाहते हो हमारे पास तो फूटी कौड़ी भी नहीं है परंतु लड़के पर इन बातों का कोई प्रभाव नहीं हुआ। उसने अपनी मां से आग्रह किया कि जैसे भी हो वह प्रधान की लड़की की मंगनी के लिए जाये। मां ने जब देखा कि उसका लड़का कुछ मानने व सुनने वाला नहीं है तो वह प्रधानमंत्री की लड़की की मंगनी के लिए चल पड़ी। जब प्रधान ने महिला को अपने यहां देखा तो उसने कहा क्या काम है?

 

 

महिला ने कहा मैं आपकी लड़की की मंगनी के लिए आई हूं। प्रधान ने महिला को चुप करने के लिए कहा मुझे कोई आपत्ति नहीं है परंतु विवाह की शर्त यह है कि सोने से लदे चालिस ऊंट मेरी लड़की का मेहर है। यह सुनते की निर्धन महिला रोहांसी शक्ल बनाकर लौट आयी और उसने सारी बात अपने बेटे को बताई। उसके बेटे ने कहा कि मेरी मां दुःखी न हो सब ठीक हो जायेगा। अगले दिन सुबह सवेरे सोने से लदे चालिस ऊंट प्रधान के घर के सामने खड़े थे। यह देखकर प्रधान की आंखे खुली की खुली रह गयीं। उसने महिला को संबोधित करके कहा अब मुझे तुमसे एक महल चाहिये जिसमें मौजूद हर चीज़ सोने की होनी चाहिये। महिला क्षुब्ध व दुःखी मन के साथ घर लौट आयी और उसने सारी बात अपने बेटे को बताई। उसके लड़के ने मां को ढारस बधाते हुए कहा कि मां परेशान न हो सब ठीक हो जायेगा। अगली सुबह नदी के किनारे सोने का बड़ा और आलीशान महल तैयार था। प्रधान ने जब महल देखा तो वह हतप्रभ रह गया। अब उसके पास कोई बहाना नहीं था उसने अपनी लड़की का विवाह निर्धन महिला के बेटे से कर दिया। कुछ ही दिन गुजरे थे कि लड़की ने अपने पिता से कहा कि कोई एसी युक्ति सोचे जिससे उसे लड़के से मुक्ति मिल जाये।

 

क्योंकि लड़की को आरंभ से ही ग्रामीण लड़का पसंद नहीं था। प्रधान की समझ में नहीं आ रहा था कि लड़के से छुटकारा पाने के लिए क्या करे। उसने एक बूढ़ी महिला से कहा कि वह इस समस्या का समाधान करे। वह बूढ़ी महिला जादूगरनी थी उसने वचन दिया कि वह यथाशीघ्र इस समस्या का समाधान कर देगी। उस बूढ़ी जादूगरनी ने सुन रखा था कि लड़का प्रतिदिन गरीब, निर्धन व दरिद्र लोगों को एकत्रित करके उन्हें भोजन और वस्त्र देता है इसलिए उसने निर्धनों का वस्त्र धारण किया और लड़के के घर पहुंच गयी……