“दूस्ती बा मरदुमे दाना नीकू अस्त”
(बुद्धिमानों से मित्रता भली होती है)
एक बुद्विमान व्यक्ति अपने घोड़े पर सवार कहीं जा रहा था। रास्ते में उसने एक हराभरा क्षेत्र देखा।
वहां पर थोड़ी देर विश्राम करने के की सोच कर उसने अपने घोड़े को हरेभरे क्षेत्र की ओर मोड़ दिया। उस स्थान पर पहुंचकर जब वह अपने घोड़े से उतर रहा था तो उसने देखा की बाग़ का बाग़बान थकामांदा सेब के एक वृक्ष के नीचे मुंह खोले हुए सो रहा है। यह देखकर उसे हंसी आ गई उसने बागबान को उठाना ठीक नहीं समझा। वह सोते हुए बाग़बान को देख ही रहा था तो एकदम से पेड़ के ऊपर से एक बिच्छु उस बाग़बान में मुंह में जा गिरा जो मुंह खोले पेड़ के नीचे सो रहा था। बाग़बान इतना थका हुआ था कि उसे इस बात आभास ही नहीं हो सका। उसने सोते हुए अपना मुंह बंद किया और मुंह में गिरी वस्तु को निगल गया।
बुद्विमान व्यक्ति, जिसने इस घटना को देखा और जो बाग़बान की बिगड़ने वाली स्थिति से भलिभांति अवगत था, चिल्ला-चिल्लाकर बाग़बान को उठा दिया और न आगे देखा न पिछे उसे कोड़े से मारना आरंभ कर दिया। बेचारा बाग़बान जो बुद्विमान की आवाज़ से बौखलाया हूआ उठा, कोड़े की मार सहते हुये उसने चीख़ते हुए कहा कि तुम कौन हो, मेरे बाग़ में क्या कर रहे हो, क्यों चिल्ला रहे हो, और तुम क्यों मुझे मार रहे हो? बुद्विमान ने बाग़बान की एक न सुनी और उसको कोड़े मारते हुए कहा जल्दी करो, खड़े हो जाओ, और धरती पर जो सड़े हुए फल पड़े हैं उनको खाना आरंभ कर दो। बाग़बान, जिसे यह पता नहीं था कि उसपर क्या विपत्ती आन पड़ी है, स्वयं से कहा कि जब यहां पर अच्छे और सुन्दर फल मौजूद हैं तो क्यों मैं धरती पर पड़े सड़े हुए फल खाऊं। अभी वह यही सोच रहा था कि बुद्विमान व्यक्ति ने बाग़बान की पिटाई जारी रखते हुए कहा कि या पिटाई को सहन करो अन्यथा सड़े हुए फल खाओ। बुद्विमान व्यक्ति बाग़बान की एक नहीं सुन रहा था।
वह बाग़बान को इस बात के लिए निरंतर विवश कर रहा था कि वह सड़े-गले फल खाए। बाग़बान ने अनिच्छा से कुछ सड़े हुए फल खा लिए। उसने इतने अधिक सड़े फल खा लिए थे कि अब उसके पेट में बिल्कुल जगह नहीं रह गई थी। उसने बुद्धिमान व्यक्ति से विनंती करते हुए कहा कि मैंने एसा कौन सा पाप किया है जिसके कारण मार भी खाऊं और सड़े हुए फल भी? मेरी तबीयत बहुत ख़राब होती जा रही है। बुद्विमान व्यक्ति घोड़े पर सवार हुआ और बाग़बान से बोला कि मैं तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ूंगा। अब तुम उसी पेड़ के नीचे जाकर दौड़ लगाओ जिसके नीचे तुम सो रहे थे। बाग़बान ने वैसा ही किया जैसा उससे बुद्विमान व्यक्ति ने कहा था। अब बाग़बान दौड़ भी रहा था और कोड़े भी खा रहा था। बाग़बान की स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ती जा रही थी। दौड़ते-दौड़ते बाग़बान ज़मीन पर गिर पड़ा और उसे उल्टी आ गई।
वह बुद्विमान के भय से औंधे मुंह पड़ा हुआ था क़ै करने के बाद उसने बुद्विमान व्यक्ति की ओर गिड़गिड़ाते हुए देखा तो अब उस व्यक्ति के मुख पर क्रोध का कोई चिन्ह नहीं था बल्कि वह मुस्कुरा रहा था। बुद्विमान, बाग़बान के निकट आया, कोड़े को एक किनारे डाला और बहुत ही विनम्रता के साथ कहा कि मुझको क्षमा कर दो। मेरे पास इसके अतिरिक्त कोई अन्य मार्ग नहीं था फिर उसने बाग़बान के पेड़ के नीचे मुंह खोलकर सोने और फिर उसके मुंह में बिच्छू गिर जाने की पूरी बात बताई। बाग़बान ने बिच्छु को देखा और कांपते हुए चिल्ला कर कहा कि बिच्छु-बिच्छु। मेरे पेट में बिच्छु क्या कर रहा था?
बुद्विमान व्यक्ति ने फिर उसने कहा कि यदि मैं तुमको यह बताता कि तुम्हारे पेट में बिच्छु चला गया है तो तुम भय के कारण मर जाते। इसलिए मैंने सोचा कि तुम्हारे शरीर में बिच्छू का विष फैलने से पहले मैं कोई एसा काम करूं जिससे बिच्छू पेट से बाहर निकल आए। सड़े हुए फल खाना और फल खाकर दौड़ लगाने से ही यह ही संभव था अतः मेरे पास इस हिंसक या कठोर व्यवहार कि अतिरिक्त कोई अन्य मार्ग नहीं था। कृप्या मुझको क्षमा कर दो। यह सुनकर बाग़बान को यह बात समझ में आई कि घुड़सवार कोई निर्दयी व्यक्ति नहीं था बल्कि वह एक बहुत ही बुद्विमान व्यक्ति था और उसकी बुद्विमानी के ही कारण उसकी जान बच सकी। वह उसके पैरों पर गिर पड़ा। वह कोड़े से पड़ी मार के दर्द भूल गया और लागातार बुद्विमान का आभार व्यक्त करता जा रहा था।