Apr २४, २०१६ १४:५८ Asia/Kolkata
  • दुख्तरे नारंज व तुरन्ज-4

हमने कहा था कि राजा के लड़के ने बड़ी ही कठिनाइ से नारंज व तुरंज लड़की को प्राप्त किया था और नारंज व तुरंज के जिस पत्ते को वह खोलता था उसमें से बहुत ही सुन्दर लड़की निकलती थी और निकलने के बाद वह रोटी और पानी मांगती थी परंतु राजा का लड़का जैसे ही लड़की की इच्छा पूरी करता था वह मर जाती थी।

अंततः लड़के की उस बूढ़ी महिला से भेंट हो जाती है जिसकी बात से लड़का नारंज व तुरंज को प्राप्त करने के प्रयास में पड़ गया था।

 

उस बूढी महिला ने राजा के लड़के से कहा था कि अगर लड़की रोटी मांगे तो उसे पानी देना और अगर पानी मांगे तो रोटी देना तभी वह जीवित बच पायेगी। लड़के ने वही कार्य किया जो बूढि महिला ने उससे कहा था और लड़की जीवित बच गयी परंतु जब राजा का लड़का महल में गया ताकि नारंज व तुरंज लड़की के लिए कपड़ा और दूसरी चीज़ें ले आये तो एक काली दासी ने नारंज व तुरंज लड़की की हत्या कर दी और स्वयं को नारंज व तुरंज बताया। जहां पर लड़की का खून गिरा था वहां पर नारंजी का पेड़ उग आया था जिसे लड़के ने अपने महल के बागीचे में लगाया परंतु लड़के को यह समझ में नहीं आ रहा था कि उस काली दासी के साथ क्या करे जिसने स्वयं को लड़की बताया था और यह बात उसको पता भी नहीं थी। वह अंदर से बहुत क्रोधित था कि इतने सारे परिश्रम के बाद मुझे एक काली लड़की मिली है। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि अपने माता- पिता और दूसरों से क्या कहे जो उसे समझा रहे थे कि लड़की को प्राप्त करने के प्रयास में अपनी जान खतरे में न डालें।

 

 

लड़का सोच रहा था कि वे लोग मेरी भर्त्सना अवश्य करेंगे परंतु वह स्वयं को दिलासा देता था कि अगर लड़की कुछ दिन छाये में रहेगी तो दोबारा उसका रंग वापस लौट आयेगा और यह वही लड़की बन जायेगी जो नारंज से बाहर आई थी। कई दिन बीत गये, लड़के और काली दासी ने देखा कि नारंजी का पेड़ बड़ी तेज़ी से बढ़ रहा है और जब हवा चलती एवं उससे टकराती है तो उस पेड़ से रोने की आवाज़ आती थी। काली दासी समझ गयी कि यह पेड़ उसी लड़की के खून से हरा हुआ है और जितनी जल्दी हो सके इसका काम समाप्त होना चाहिये। उसने राजा के लड़के को संबोधित करके उससे कहा बढ़ई को खबर करो ताकि वह मेरे लिए एक तख्ते का निर्माण करे। राजा के लड़के को पता नहीं था कि काली दासी के मन में क्या है? उसने महल के बढई नज्जारबाशी को भेज दिया ताकि वह देखे कि लड़की क्या बनवाना चाहती है?

 

 

जब बढई “नज्जारबाशी” लड़की के पास गया तो उसने नज्जारबाशी से कहा कि नारंजी का जो पेड़ राजा के लड़के के कमरे के सामने है उसे वह जड़ से उखाड़ कर ले आये और उसकी लकड़ी से उसके लिए तख्ते का निर्माण करे। बढ़ई जल्दी से पेड़ को उखाड़ कर अपनी दुकान पर ले गया परंतु जैसे ही उसने पेड़ को बीच से दो टुकड़े करना चाहा उसमें से रोने की आवाज़ आने लगी। बढ़ई यह देखकर हतप्रभ रह गया। इसी मध्य वह बूढ़ी महिला भी वहां आ गयी जिसने पहले दिन लड़के के दिमाग में नारंज व तुरंज लड़की की सोच डाली थी। उसने पेड़ के तने को बढ़ई के हाथ से ले लिया और उससे धागे का एक गोल बंडल बनाया और उसे आलमारी में रख दिया। कई दिन गुज़र गये। बूढि महिला बाज़ार गयी ताकि ऊन खरीद कर ले आये। सुबह से लेकर दोपहर तक वह बाज़ार में रही।

 

 

जब लौट कर घर आई तो देखा कि पूरे घर में बहुत क़ायदे से झाड़ू लगा है और बर्तन धूले हैं तथा घर के प्रांगण में भी अच्छी तरह से पानी छिड़का गया एवं झाड़ू लगा है। बूढि महिला ने यह देखकर दांतों तले उंगली दबा ली कि कौन आया और उसके घर में झाड़ू लगाकर चला गया? उसने बहुत सोचा लेकिन उसकी समझ में कुछ भी नहीं आया। दो दिन और वह बाज़ार गयी जब बाज़ार से लौट कर आयी तो देखा कि फिर पूरे घर में झाड़ू लगा है बर्तना धुला है। उसने स्वयं से कहा कौन जिन या परी उसके न रहने पर उसके घर में आती है और घर का सारा काम- काज करके चली जाती है? उसने इस रहस्य को जानने का फैसला किया। कई दिन बीत गये। उसने घर से बाहर जाने का इरादा किया। घर के दरवाज़े को ज़ोर से बंद करके बाहर चली गयी। जब वह घर से बाहर गयी तो उसके प्रांगण के पीछे जो पेड़ थे उनके पीछे छिप गयी।

 

 

उसने जब सुना कि उसके कमरे से आवाज़ आ रही है तो धीरे धीरे वह अपने कमरे की ओर बढ़ी और जब वह दरवाज़े के पीछे आ गयी तो उसने अचानक दरवाज़ा खोला और अपने कमरे की ओर दौड़ी। उसने देखा कि चांद जैसी सुन्दर लड़की उसके कमरे में झाड़ू दे रही है। बूढि महिला की समझ में नहीं आ रहा था कि यह कौन है और लड़की की भी समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो गया है? वह भी हतप्रभ थी। बूढि महिला आगे बढ़ी और उसने प्यार से लड़की के सिर एवं चेहरे पर हाथ फिराया और कहा तुम कौन हो मेरे घर का काम क्यों कर रही हो? उस सुन्दर लड़की ने बूढि महिला से पूरी कहानी बतायी कि उसके साथ क्या क्या हुआ है।

 

 

जब उसकी बात पूरी हो गयी तो आलमारी के ऊपर रखा धागे का बंडल फट गया। बूढि ने कहा वह मुझे बहुत अच्छी लगी थी उसे मेरी बेटी बननी चाहिये था। वह बड़ी तेज़ी से अपने कार्यों को अंजाम देती थी। उस दिन से बूढिया इतना खुश रहती थी मानो उसे पूरी दुनिया मिल गयी हो। वह लड़की के पास से हटती नहीं थी। दोनों रात को चेराग़ जलाकर एक दूसरे के साथ बैठते थे और एक दूसरे से अपने मन की बात करते थे।

 

 

राजा के लड़के के दिमाग से नारंज व तुरंज लड़की निकल नहीं रही थी। वह अकेले बैठता था और स्वयं से बात करता था यहां तक कि वह बीमार हो गया। राजा और रानी भी नहीं जानते थे कि उनके बेटे की पीड़ा व समस्या क्या है और उन्हें क्या करना चाहिये। तो उन्होंने उसे हकीम बाशी के पास भेज दिया।

 

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