राजकुमार और परियों की राजकुमारी
पुराने ज़मान की बात है। एक राजा के तीन बीवियां थीं किंतु किसी से भी उसके संतान नहीं थी।
संतान प्राप्त करने के लिए उसने बहुत प्रयास किये किंतु उनका कोई लाभ नहीं निकला। एक दिन महल के बाहर एक साधु आया। राजा की दो बीवियां, जो चतुर और तेज़ थीं, यह सोचकर साधु के पास गईं कि उससे कोई मंत्र या दुआ मिल जाए जिससे हमारे यहां बच्चा हो जाए। दोनों साथ-साथ साधु के पास गईं और उन्होंने अपनी मुश्किल उसे बताई। राजा की बीवियों की बात सुनकर साधु ने एक अनार पर कुछ दुआ पढ़ी और उनको देते हुए कहा कि आप इस अनार को खाएं और ईश्वर पर भरोसा करें। ईश्वर जो भी चाहेगा वही होगा। दोनों ने बड़ी उम्मीद से अनार लिया। फिर वे महल में गईं और अनार काटकर खुशी-खुशी अनार के दाने निकाले। अभी उन्होंने अनार के दाने खाने ही शुरू किये थे कि राजा की तीसरी बीवी आ गई जो बहुत आलसी थी। उसने उन लोगों से पूछा कि तुम लोग क्या खा रही हो? राजा की दोनों बीवियों ने इस प्रकार का दिखावा किया जैसे उन्होंने कुछ सुना ही नहीं। इसी बीच राजा की तीसरी बीवी ने देखा कि ज़मीन पर अनार का एक दाना पड़ा हुआ है। उसने अनार का दाना उठाया और उसे अपने मुंह में रख लिया।
इस घटना के कुछ समय के बाद राजा की तीनों बीवियां गर्भवती हो गईं। 9 महीने और 9 दिन गुज़रने के बाद राजा की दो बीवियों के यहां सुन्दर और तंदरुस्त लड़के पैदा हुए जबकि तीसरी बीवी के यहां कमज़ोर लड़का पैदा हुआ। समय गुज़रता रहा। राजा के बच्चे बड़े होने लगे और राजा धीरे-धीरे बूढ़ा होने लगा। बाद में वह अंधा हो गया। राजा ने अपने अंधेपन को दूर करने के लिए बहुत से नामी गेरामी वैधों को बुलाया और उनका इलाज किया लेकिन वह ठीक नहीं हुआ। इसी बीच राजा को बताया गया कि पहाड़ में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता है जो बहुत अच्छा ज्योतिषि भी है। उस बूढ़े व्यक्ति को राजा के पास लाया गया। उसने राजा को देखा तो कहा कि राजा के आंख की दवा, परियों के राजा की घोड़ियों का दूध है। राजा ने जब यह सुना तो उसने अपने लड़को को बुलाया और उनसे कहा कि मेरी उम्मीदें तुमसे बंधी हुई हैं।
जाओ तुम मेरे आखों के लिए दवा ले आओ। पिता की बात सुनकर तीनों लड़के आगे बढ़े लेकिन राजा ने इस काम के लिए उन दो लड़को को चुना जो स्वस्थ और फुर्तीले थे। उसने उनको तेज़ गति से दौड़ने वाले घोड़ों के साथ रवाना किया किंतु अपने कमज़ोर लड़के को वहां जाने से रोक दिया। लड़के ने राजा से बहुत कहा कि वह उसे भी भेज दे किंतु राजा ने अपने कमज़ोर लड़के से कहा कि रास्ता लंबा है और उसमें तरह-तरह की परेशानियां हैं इसलिए तुम सफ़र पर मत जाओ क्योंकि तुम इसके योग्य नहीं हो। अपने बाप की बातें सुनकर राजा का तीसरे लड़का बहुत दुखी हुआ और अपनी मां के पास गया। उसने अपनी मां के पास जाकर सारी बातें उसे बताईं। लड़के ने अपनी मां से कहा कि वह पिता के पास जाकर उनसे कह कि मुझको भी भाइयों के साथ जाने की आज्ञा दी जाए। उसने कहा कि हो सकता है कि मैं अपने पिता के लिए कुछ कर सकूं। उसकी मां ने जाकर राजा से बहुत विनती की। अंततः राजा ने अपनी पत्नी की बात मान ली। पिता की ओर से आज्ञा मिलने के बाद राजा का तीसरा बेटा बहुत तेज़ी से घोड़े पर सवार होकर चल पड़ा ताकि वह अपने भाइयों के साथ हो ले जो उससे पहले निकल चुके हैं। तेज़ी से चलते हुए वह अपने भाइयों तक पहुंच गया। चलते-चलते तीनों भाई दो राहे पर पहुंचे। जब वे उस दो राहे पर पहुंचे तो देखा कि वहां पर पत्थर का एक बोर्ड लगा हुआ है जिसपर लिखा है कि जो भी इस दोराहे पर पहुंचे वह यदि सीधे हाथ की ओर से जाए तो कोई ख़तरा नहीं है किंतु वह देर में पहुंचेगा किंतु यदि वह उल्टे हाथ की ओर से जाएगा तो रास्ता तो निकट है लेकिन ख़तरे ज़्यादा हैं।
वह दो भाई जो तीसरे भाई से पहले निकले थे उन्होंने कहा कि हम तो सीधे हाथ वाले रास्ते पर जाएंगे। हमारी अक़ल पर कोई पत्थर नहीं पड़े हैं कि ख़तरनाक रास्ते से आगे बढ़ें। तीसरे भाई ने कहा कि जो भी हो मैं तो उल्टे हाथ वाले रास्ते से जाऊंगा ताकि दोनो भाइयों से जल्दी पहुचं सकूं। उन्होंने उस जगह पर एक तलवार मिट्टी में छिपा दी और कहा कि जो पहले वापस आए वह तलवार निकाले ताकि पता चले कि कौन पहले वापस आया है। इतना कहने के बाद तीनो भाइयों ने विदा ली और चल पड़े। राजा का कमज़ोर लड़का चलते-चलते शाम के वक़्त एक पहाड़ के पास पहुंचा। उसने देखा कि पहाड़ से धुंआ उठता दिखाई दे रहा है। उसने स्वयं से कहा कि मैं यहां पर रात में ठहरूंगा। जिस स्थान से धुआं निकल रहा था वह वास्तव में एक गुफा थी। वह गुफा के पास पहुंचा और उसके अंदर जाना चाहता था। उसने जैसे ही अपना पैर गुफा के अंदर रखा देखा कि वहां पर एक बुढ़िया बैठी हुई है। लड़के ने बुढ़िया को सलाम किया। बुढ़िया ने लड़के से पूछा कि तुम यहां पर क्या कर रहे हो और तुम कहां जाना चाहते हो? लड़के ने बुढ़िया को पूरी बात बता दी। लड़के की बात सुनकर बुढ़िया ने कहा कि मैं परियों के राजा की दाई हूं और मैंने ही उसे बड़ा किया है। वह पहाड़ के पीछे गया हुआ है। उसने कहा कि मैं यहां पर हूं और उसकी घोड़ियां भी पहाड़ के पीछे हैं। लड़का जो बहुत थक चुका था उसने बुढ़िया से कहा कि बताओ मैं क्या करूं? इसपर बुढ़िया ने कहा कि सिर्फ़ एक ही रास्ता बचा है।
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