राजकुमार और परियों की राजकुमारी-2
हमने कहा था कि एक नेत्रहीन राजा था और हाथ देखने वाले एक बूढे व्यक्ति ने कहा था कि परियों की रानी की घोड़ी का दूध इसकी आंख की दवा है।
राजा के तीन बेटे थे उनमें से एक बहुत कमज़ोर और दुबला था जबकि दो अन्य ठीक- ठाक और हष्ट- पुष्ट।
राजा के तीनों बेटे घोड़ी का दूध लाने के लिए यात्रा पर निकल पड़े। वे तीनों एक दो राहे पर पहुंचे। वहां एक पत्थर पर लिखा था कि एक रास्ता दूर लेकिन आसान है और दूसरा रास्ता निकट परंतु कठिन है। राजा के दो बेटों ने पहले रास्ते को चुना जबकि तीसरे व कमज़ोर बेटे ने नज़दीक के रास्ते को चुना जो कठिन था। उन सब ने दो राहे पर ज़मीन में तलवार गाड़ दी और उन लोगों में तय यह हुआ कि जो जल्दी पहुंच जायेगा वह उसे खोदकर निकाल लेगा। राजा के जिस लड़के ने कठिन रास्ते का चयन किया था उसे रास्ते में एक गुफा मिली और उसकी भेंट वहां पर एक बूढी महिला से हो गयी और उस बूढी ने अपना परिचय परियों की रानी की दाई के रूप में किया और उससे कहा कि परियों की रानी काफ पहाड़ में है। बूढी महिला जब राजा के बेटे की नियत से अवगत हो गयी तो उसने राजा के बेटे की सहायता का निर्णय किया।
इसके बाद उसने राजा के बेटे से कहा। केवल एक रास्ता है वह इसी सोते के निकट है कि प्रतिदिन घोडियों का झुंड आता है और उनमें से एक एक करके पानी पीती हैं। उन घोडियों में से अंतिम घोड़ी कमज़ोर और दुबली है। तुम्हें चाहिये कि उस घोड़ी को पकड़ लो। कुछ दिनों के बाद वह बच्चा देगी और तुम उसके बच्चे पर सवार हो कर काफ पहाड़ जाओ और वरना इन घोड़ियों से तुम कभी भी काफ पहाड़ पर नहीं पहुंच सकते। राजा के बेटे ने देखा कि इसके अतिरिक्त कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है और उसे यह कार्य करना चाहिये। बूढ़ी महिला ने जब देखा कि वह उसके सुझाव से सहमत है तो उसने उसे एक लगाम दी और कहा यह उस घोड़ी की लगाम है। इसे किसी तरह उसकी गर्दन में डाल देना। इसके चालिस दिन के बाद वह बच्चा देगी और उसके बच्चे की खूब देखभाल करना। वह बच्चा प्रतिदिन एक साल के बराबर बढेगा। सातवें दिन तुम उस पर सवारी कर सकते हो। अगर उस घोड़े के बायें कान को घुमाओगे तो तुम हवा में जा सकते हो और अगर उसके दाहिने कान को घुमाओगे को ज़मीन पर वापस आ जाओगे।
परियों की रानी चालिस दिन सोती और चालिस रात जागती है और इस समय वह जाग रही है। तुम उस समय जाओ जब वह सोयी हो। उस समय तुम उसकी मादा घोड़ी को ले जा सकते और उसका दूध दूहकर अपने बाप की आंख पर लगा सकते हो परंतु जब परियों की रानी जागेगी तो वह तुम्हारे पास आयेगी और फिर मैं नहीं जानती कि क्या होगा।
बूढी महिला ने काफ पहाड़ की निशानी को राजा के बेटे को दिया और तीन अनार तथा एक आइना भी बाहर निकाला और कहा कि इसे ले लो यह तुम्हारे काम आयेंगे। राजा के बेटे ने रात बूढी महिला की गुफा में गुजारी और सुबह वह सोते के किनारे गया और घोड़ी को पकड़ कर उसे गुफा ले गया और चालिस दिन तक उसकी देखभाल की यहां तक कि उसने अपने बच्चे का जन्म दिया। सात दिन भी गुज़र गये और घोड़ी का बच्चा बड़ा हो गया। सातवें दिन राजा का लड़का घोड़ी के बच्चे पर सवार हुआ और उसने उसके बायें कान को घुमाया तो घोड़ा हवा में चला गया, घोड़ा चलता चला गया यहां तक कि वह काफ पहाड़ तक पहुंच गया।
उस समय लड़के ने घोड़े के दाहिने कान को घुमाया तो वह एक दुर्ग के निकट पहाड़ पर उतरा गया। राजा का लड़का बिल्कुल भी नहीं डरा और वह दुर्ग के भीतर चला गया। लड़के ने वहां पर एक दुर्ग देखा जिसे देखकर इंसान हतप्रभ रह जाता है। वह दुर्ग को देख रहा था कि सोते के किनारे पहुंच गया। वहां पर वह प्रतीक्षा करने लगा यहां तक कि परियों की रानी की घोड़ी आ गयी। जैसाकि बूढी महिला ने कहा था कि आइना उसने मादा घोड़ी के सामने कर दिया। मादा घोड़ी ने जैसे ही आइना में अपनी सूरत देखी उसने स्वयं से कहा बाह- बाह मैं कितनी सुन्दर हूं अगर ज़ीन और लगाम होती तो मैं और सुन्दर हो जाती। लड़के ने जल्दी से घोड़ी की पीठ पर ज़ीन डाल दी और लगाम भी उसकी गर्दन में डाल दिया। घोड़ी ने अपने आपको हिलाया और कहा काश कोई सवार मिल जाता और वह ज़ीन पर बैठता। लड़का जल्दी से कूद कर घोड़ी की पीठ पर बैठ कर चल पड़ा। घोड़ी ने जल्दी ही उद्दंडा दिखाई और ज्ञात हो गया कि वह बड़ी बिगड़ैल घोड़ी है।
लड़के ने एक अनार को घोड़ी के सिर पर मारा और कहा मैं इंसान की संतान हूं अगर तुमने दोबारा शरारत की तो तुम्हारे दिमाग को इसी अनार की तरह बाहर निकाल दूंगा। दोनों रास्ता चले जा रहे थे कि रास्ते में घोड़ी ने दोबारा उद्दंडा करना शुरू कर दी। लड़के ने दूसरे अनार को घोड़ी के सिर पर मारा तो घोड़ी शांत हो गयी। थोड़ी देर के बाद उसने तीसरा अनार भी घोड़ी के सिर पर मारा तो घोड़ी सीधी हो कर रास्ता चलने लगी। दोनों चलते चले गये यहां तक कि वे परियों की रानी के दुर्ग तक पहुंच गये। लड़के ने स्वयं से कहा अब जब काफ पहाड़ तक आ गया हूं तो बेहतर है कि इसमें जाकर परियों की रानी को भी देख लूं हर रोज़ तो यहां नहीं आ सकता? यह उसके बाप का महल तो नहीं है? वह गया देखा कि परियों की रानी सोई हुई है। जैसे ही उसकी नज़र परियों की रानी पर पड़ी वह हतप्रभ रह गया और स्वयं से कहा इतना सुन्दर भी कोई हो सकता है? उसके बाद वह घोड़ी पर सवार हुआ और वैसे ही वह लौट आया जैसे कि बूढी महिला ने
उसे बताया था। वह दोबारा उसी दो राहे पर पहुंचा जहां से उसके भाई अलग हुए थे। उसने ज़मीन खोदी और देखा कि तलवार अपने स्थान पर है। वह समझ गया कि उसके भाई अभी तक नहीं लौटे हैं। वह अकेले घर नहीं लौटना चाहता था इसलिए वह पैदल चलने लगा और वह उसी रास्ते से लौटा जिस रास्ते से उसके भाई गये थे।
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