राजकुमार और परियों की राजकुमारी-3
हमने कहा था कि एक राजा था उसके तीन बेटे थे और तीनों/ परियों की रानी की घोड़ी का दूध लेने के लिए निकले थे ताकि वे अपने पिता की आंख की बीमारी का उपचार कर सकें।
वे तीनों एक दोराहे पर पहुंचे। उनमें से दो ने लंबा और सरल रास्ता चुना जबकि तीसरे ने निकट का और खतरनाक व कठिन रास्ते का चयन किया और एक बूढी महिला के मार्गदर्शन से वह मादा घोड़ी तक पहुंच कर लौटने में सफल हो जाता है। जब वह उस स्थान पर पहुंचा जहां से तीनों भाई अलग हुए थे तो वह समझ गया कि अभी उसके भाई नहीं लौटे हैं। चूंकि वह नहीं चाहता था कि महल अकेले जाये इसलिए वह पैदल जाने लगा। वह उसी रास्ते से जा रहा था जिस रास्ते से उसके भाई गये थे थोड़ी दूर चला था कि उसने देखा कि एक जवान बहुत ही खराब देशा में उसकी ओर चला आ रहा है। जब उसने ध्यान से देखा तो पता चला कि उसी का एक भाई चला आ रहा है।
उसने देखा कि उसके भाई की बहुत दुर्शा हो गयी तो उसके पास गया और पूछा कि क्या हुआ? उसके भाई ने कहा, हम दो भाई एक दूसरे से अलग हो गये और हमारे पास जो कुछ भी था उसे चोर ले गया। मैं ऋणी भी बहुत हो गया हूं। अब मैं कांटा तोड़ता और बेचता हूं इस तरह से अपनी ज़िन्दगी का खर्च पूरा करता हूं। दोनों भाई एक साथ रास्ता चल पड़े। चलते चले गये यहां तक कि वे खूब नगर और आबादी में घूमे अंततः उन्होंने अपने भाई को ढूंढ ही लिया। यह भाई भी चक्की चलाने वाले का शिष्य बन गया था। उसके सिर के बाल लंबे होकर कमर तक आ गये थे और नाखून भी बहुत बढ़ गये थे। तीनों भाईयो में से जो मादा घोड़ी लाया था उसने उस पर अपने दोनों भाइयों को सवार किया और उसके बाल और नाखून को छोटा किया।
संक्षेप में यह कि दोनों ने अपना चेहरा सही किया परंतु छोटे किये हुए बाल और नाखून को एक थैले में रख लिया। तीनों नगर की ओर चल पड़े। जब वह नगर की ओर आ रहे थे तो पहले भाई ने दूसरे से कहा हम किस मुंह से नगर जायें? हम लोग इसे आदमी ही नहीं समझते थे यह गया और मादा घोड़ी को लेकर आया और हम दोनों को शर्मिन्दगी से बाहर निकाला। अगर लोग समझ जायेंगे तो हमारी इज़्ज़त चली जायेगी।
इसके अतिरिक्त बाप की नज़र में यह और प्रिय हो जायेगा और बाप भी राज सिंहासन इसके हवाले कर देगा। इस पर दूसरे भाई ने कहा बेहतर यही है कि इसका काम समाप्त कर दें सारी चीज़ हम लोगों की हो जायेगी। पहले भाई ने कहा नहीं उसकी हत्या नहीं करूंगा अगर हम एसा करते हैं तो उसकी हत्या की ज़िम्मेदारी हमारी गर्दन में डाल दी जायेगी। जब हम मादा घोड़ी को उससे ले लेंगे तो वह स्वयं अपना रास्ता पकड़ कर कहीं चला जायेगा। जब रात हो गयी तो वे सब एक स्थान पर सो गये। जब आधी रात हो गयी तो दो भाइयों ने चोर चोर कह कर चिल्लाना आरंभ किया। तीसरा भाइ जैसे ही उठा और वह मादा घोड़ी के पास जाना चाह रहा था कि इतने में एक भाई ने तलवार निकाली और उसके पैर में मार दी। दोनों भाई मादा घोड़ी को लेकर चल दिये और घायल भाइ को वहीं पर छोड़ दिये। कई दिन तक वे अपने नगर के रास्ते में थे जब पहुंच गये तो मादा घोड़ी को बाप के पास ले गये और उसका दूध निकाल कर अपने बाप की आंख पर लगा दिया। राजा ने आंख खोली तो उसने अपने दो बेटों को देखा वह बहुत प्रसन्न हो गया। पूरे नगर में चेराग़ जलवाया और खुशी मनाई जाने लगी। दूसरी ओर उनका घायल भाइ वहीं सुबह तक ज़मीन पर पड़ा कराहता रहा। जब सूरज निकला तो चारों ओर प्रकाश फैल गया। उसने देखा कि दो चूहे आपस में लड़ रहे हैं ।
उसमें से एक चूहे का पैर घायल हो गया। घायल चूहे ने स्वयं को पास की सफेद मिट्टी में पहुंचाया और अपने घायल पैर को सफेद मिट्टी से मल लिया। तुरंत उसका घाव ठीक हो गया। लड़के ने जैसे ही यह दृश्य देखा स्वयं को किसी तरह उस सफेद मिट्टी तक पहुंचाया और उसने भी वही काम किया जो चूहे ने किया था। उसका भी घाव ठीक हो गया। उसने देखा कि अब पीड़ा नहीं है। वह तुरंत नगर की ओर रवाना हो गया। जब वह नगर पहुंचा तो देखा कि नगर सजाया जा चुका है और जश्न मनाया जा रहा है। वह समझ गया कि उसके भाइयों ने क्या किया है। उसने स्वयं से कहा कि अगर मैं कहूंगा कि सब काम मैंने किया है तो कोई विश्वास नहीं करेगा। यह सोचकर वह भी दूसरे लोगों की भांति एक कोने में जाकर बैठ गया और उसने लोगों को जश्न मनाते देखा और कुछ नहीं कहा।
अब परियों की रानी की बात सुनें। जब चालिस दिन बीत गये तो परियों की रानी नींद से जाग गयी। वह समझ गयी कि कोई इंसान यहां आया था। उसने कहा जैसे भी हो उसे ढूंढा जाना चाहिये। क्योंकि अब मैं परियों के मध्य नहीं रह सकती। वह अपनी मादा घोड़ी की खोज में निकली। उसने बहुत नज़र दौड़ाया परंतु उसे कहीं भी अपनी घोड़ी नज़र नहीं आई। उसने स्वयं से कहा यह आदमी हमारी घोड़ी भी ले गया जल्दी से उसने अपनी सेना एकत्रित की और चल पड़ी। आखिर में वह उस नगर में पहुंच गयी जहां मादा घोड़ी को ले जाया गया था। उसने अपने एक सैनिक को राजा के पास भेजा और कहा कि उसकी घोड़ी दे दी जाये और साथ ही उस व्यक्ति को उसके हवाले कर दिया जाये जो घोड़ी को लेकर आया है अन्यथा युद्ध के लिए तैयार हो जायें। जब नगर के प्रतिष्ठित व गणमान्य लोगों को पता चला तो वे राजा के पास गये और कहने लगे कि वे परियों की रानी की सेना से नहीं लड़ सकते। बेहतर यही है कि उसकी मादा घोड़ी को और जो उसे लाया है उन दोनों को उसके पास भेज दिया जाये। राजा भी डरा हुआ था उसने अपने संदेश में स्पष्ट किया कि उसके दोनों बेटे घोड़ी को क्यों लाये हैं और वह युद्ध नहीं करना चाहता। वह अपने दोनों बेटों को मादा घोड़ी के साथ भेज रहा है। उसके लड़कों को जब यह खबर मिली तो वे कांप उठे और उन सब ने सोचा कि कितनी बड़ी ग़लती कर डाली।
अब यह भी नहीं कह सकते कि यह काम उन्होंने नहीं किया है और मादा घोड़ी को उनका कमज़ोर व दुर्बल भाई ले आया है। दोनों को पकड़ लिया गया और उन्हें परियों की रानी के पास भेज दिया गया। परियों की रानी ने जैसे ही इन दोनों को देखा समझ गयी कि उसे मूर्ख बनाया गया है और जो मादा घोड़ी को लाया है वह यह नहीं हैं। उसने संदेश भेजवाया कि इन्हें न भेजा जाये। जिसने यह कार्य किया है उसे भेजा जाये। उस आदमी को भेजने के लिए सात दिन का समय है वरना पूरे नगर को तहस नहस कर दिया जायेगा। राजा की समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करे। उसने स्वयं से कहा काश कि मैं अभी अंधा होता है और इस दृश्य को अपनी आंख से न देखता। जब ६ठा दिन आ गया तो पूरे नगर में बहुत भय व्याप्त हो गया। राजा का बेटा अपने बाप के पास गया और कहा कि यह कार्य उसने किया है और उसने अपने बाप से सारी बात बताई।
राजा ने शीघ्र ही उसे परियों की रानी के पास भेज दिया। परियों की रानी ने जैसे की लड़के को देखा समझ गया कि मादा घोड़ी को ले जाने का काम इसी ने किया है। उसने राजा के लड़के की ओर देखा और कहा तुम मेरी घोड़ी को ले गये थे। अब मैं परियों के मध्य नहीं जा सकती। इसके बदले में अब तुम्हें मेरे साथ विवाह करना होगा और मैं तुम्हारे साथ जिन्दगी करूंगी। लड़का तो पहले से ही यही चाह रहा था वह खुशी से फूले नहीं समाया। राजा के लड़के ने स्वीकार कर लिया। उसने लौट कर यह बात अपने बाप को बताई तो वह बहुत खुश हुआ। उसने आदेश दिया कि सात रात और सात दिन जश्न मनाया जाये और सातंवी रात को उसने परियों की रानी से अपने बेटे का विवाह कर दिया। परियों की रानी ने अपनी सेना काफ पहाड़ भेज दी और उसने राजा के लड़के को साथ लिया और राजा के महल से दूर एक दुर्ग में चली गयी। राजा ने अपने उन बेटों को दंडित करना चाहा जिन्होंने उसके निर्बल व कमज़ोर बेटे को मार कर घायल कर दिया था और झूठ बोला था परंतु छोटे बेटे ने कहा कि इन लोगों की इज़्ज़त चली गयी यही इनके लिए काफी है अब इन्हें सज़ा देने की कोई ज़रूरत नहीं है।
फेसबुक पर हमें लाइक करें, क्लिक करें