माह पीशानी-3
हमने कहा था कि प्राचीन समय में एक व्यक्ति अपनी पत्नी और बेटी शहरबानों के साथ बहुत आराम से रह रहा था।
यहां तक कि एक दिन उसकी लड़की शहरबानो अपने स्कूल की बुरी शिक्षिका मुल्लाबाजी के षडयंत्र का शिकार हो गयी और अपनी मां को उसने सिरके के मटके में डाल दिया और मुल्लाबाजी उसकी सौतेली मां बनकर उसके घर आ गयी। उसके बाद वह शहरबानो से एक नौकरानी की भांति काम कराने लगी।
एक दिन वह अपनी सौतेली मां के आदेश से बहुत सारी रूई का धागा बुन रही थी कि उसकी भेंट एक देव से हो गयी और देव ने उसकी सहायता की और अंत में देव ने लड़की से विशेष जल से मुंह धोने के लिए कहा। लड़की ने जब विशेष जल से मुंह धो लिया तो उसके माथे से एक चांद और ठुड्डी से एक तारा निकला जिससे वह बहुत ही सुन्दर हो गयी। एक दिन उसकी सौतेली मां ने अपनी सगी लड़की को शहरबानो के साथ मरुस्थल भेजने का फैसला किया। उसने अपनी लड़की को मरुस्थल इसलिए भेजने का निर्णय किया कि वह भी कुएं के पानी से अपने चेहरे को धोए और उसके भी माथे से चांद तथा तारा निकल आये। शहरबानो की सौतेली मां थोड़ा शहरबानो से अच्छी तरह पेश आई, मुस्कुराई और उससे कहा बेटी शहरबानो कल मेरी लड़की को मरुस्थल ले जाना और अपनी बहन को भी कुएं के पानी से चेहरा धोने के लिए कहो और जो कुछ तुमने किया है वह सब इसे भी सिखाओ ताकि इसके भी चेहरे पर चांद और ठुड्डी से तारा निकल आये और वह भी तुम्हारी तरह सुन्दर हो जाये। शहरबानो ने उसकी बात स्वीकार कर ली और कहा कि वह उसकी सहायता करेगी ताकि वह भी सुन्दर हो जाये। अगले दिन सुबह उसकी सौतेली मां ने तीन गठरी रुई का धागा बुनने के बजाये आधी ही गठरी रुई दी और चूंकि उसकी लड़की भी शहरबानों के साथ गयी थी इसलिए वह सूखी रोटी के बजाये दोपहर के लिए भुना हुआ मुर्गा, शीरमाल और कुछ दूसरी चीज़ें रख दीं और उन दोनों को एक साथ मरुस्थल रवाना किया। शहरबानो, उसकी सौतेली बहन और गाय जो वास्तव में शहरबानों की मां थी, तीनों मरुस्थल चल दिये यहां तक कि कुछ समय के बाद वे मरुस्थल पहुंच गये। शहरबानो की सौतेली बहन ने उससे कहा कि जल्दी से उसे कुआं दिखाये। शहरबानो ने उसे कुआं दिखा दिया।
शहरबानों की सौतेली बहन ने रुई को कुएं में डाल दिया और स्वयं भी कुएं में नीचे उतर गयी और देखा कि कुएं की तह में एक बगीचे में एक देव सो रहा है। जब लड़की के पैर की आहट देव के कानों में पड़ी तो वह जाग गया और देखा कि एक कुरुप लड़की किसी प्रकार की उपेक्षा व भय के बिना उसके सामने खड़ी है और देव को सलाम किये बिना टकटकी लगाये उसकी आंखों में देख रही है। देव ने लड़की से कहा तुम कहां और यहां कहा? लड़की ने कहा कि मेरी रुई को हवा कुएं में उड़ा ले आई और मैं आई हूं ताकि उसे ले जाऊं। देव ने कहा जल्दी न करो आओ मेरे सिर को साफ करो उसके बाद अपनी रुई लो और यहां से चली आना। लड़की थोड़ा घबराई और बड़बड़ाई तथा आगे गई और देव के बाल को साफ करने लगी। देव ने लड़की से कहा मुझे बताओ कि मेरा बाल अधिक साफ है या तुम्हारी मां का? लड़की ने कहा कि मेरी मां के बाल अधिक साफ और अच्छे हैं तुम्हारे बाल गन्दे हैं उसमें जूं, सांप और बिच्छू हैं। देव ने कहा कि ठीक है अब तुम उठो और प्रांगण में झाड़ू लगाओ। लड़की ने मुंह बनाया लेकिन उठकर पूरे प्रांगण में झाडू लगाया और फिर देव के पास चली गयी। देव ने लड़की से कहा तुम्हारा प्रांगण अच्छा है या मेरा। लड़की ने कहा मेरा प्रागंण खुला खुला है और तुम्हारा प्रांगण बंद बंद है इसमें इंसान घुटन महसूस करता है। इस पर देव ने कहा कि ठीक है अब जाओ और बर्तन धुलो। शहरबानों की सौतेली बहन ने कहा कि हे ईश्वर यह कौन सी मुसीबत है जिसमें मैं फंस गयी हूं? लड़की बुदबुदाते हुए गयी और बर्तनों को बिना दिल लगाये धुल दिया और ठीक करके उन्हें रसोईघर में रख दिया। देव ने लड़की से कहा कि मेरे बर्तन अच्छे हैं या तुम्हारे? लड़की ने कहा पता है कि मेरे बर्तन अच्छे हैं। इंसान जब तुम्हारे बर्तनों के अंदर देखता है तो घिन्न आ जाती है उनमें पानी पीने का मन नहीं करता है। देव ने कहा कि चुप रहो अपना मुंह बंद कर लो प्रांगण से अपनी रुई उठाओ और चली जा। शहरबानो की सौतेली बहन जल्दी से प्रांगण में गयी और देखा कि रूई के किनारे कुछ उच्च कोटि के सोने पड़े हैं। चूंकि सोने के टुकड़े बहुत बड़े बड़े थे इसलिए वह दो तीन टुकड़ा उठाई और उसे अपनी बग़ल में छिपा लिया और सिर को नीचे झुकाई तथा विदा लिये बिना रास्ता चल पड़ी। वह क़ुएं से बाहर जाना चाह रही थी कि देव ने उसे आवाज़ दी और कहा कि कहां इतनी जल्दी जा रही हो?
यहां आओ अभी तुमसे काम है। लड़की देव के पास पलट आई तो देव ने उससे कहा। इस प्रांगण से बाहर जाने से पहले इससे दूसरे प्रांगण में जाओ और दूसरे प्रांगण से तीसरे प्रांगण में जाओ और उस पानी के किनारे बैठ जाओ जो प्रांगण के बीच से गुजर रहा है। जब तुम देखना कि काला और सफेद पानी आ गया है तो उसे हाथ नहीं लगाना। जब देखना कि पीला पानी आ गया है तो उससे अपना हाथ मुंह धो लेना। उसके बाद जहां से आई हो वहीं चली जाना। लड़की तीसरे प्रांगण में जाकर पानी के किनारे बैठ गयी। जैसे ही पीला पानी आया लड़की ने अपना हाथ मुंह धो लिया और रुई ली तथा कुंए से बाहर आ गयी। शहरबानो ने, जो अपनी सौतेली बहन की प्रतीक्षा में थी, जैसी ही उसे देखा वह भय से मूर्छित होकर गिर गयी। क्योंकि उसके माथे के बीच से एक काला सांप निकल आया था और उसकी ठुड्डी के बीच से एक पीला बिच्छू निकल आया था किन्तु भय से कुछ बोली नहीं और दोनों घर की ओर चल पड़ीं। जब दोनों घर पहुंच गयीं तो शहरबानो की सौतेली मां ने दरवाज़ा खोला और जैसे ही उसकी नज़र अपनी लड़की पर पड़ी वह ज़ोर से चिल्लाई और अपना सिर पीट लिया। जल्दी से वह अपनी लड़की को घर में ले गयी ताकि कहीं कोई पड़ोसी न देख ले। वह अपनी लड़की को डांटने लगी कि तूने क्या किया कि तुम्हारा यह हाल हो गया है? जो कुछ हुआ था लड़की ने उसे अपनी मां से बता दिया। उसकी मां बहुत क्रोधित हुई और कहा सोना और धागा कहां रखा है? लड़की ने गठरी ज़मीन पर रख दी। उसकी मां ने देखा कि गठरी में कोई धागा ही नहीं है और उसमें वही रूई है जो सुबह ले गयी थी।
वह बड़बड़ाने लगी। कहने लगी कि रूई से धागा बुनने का तो यह परिणाम हुआ अब सोना लाओ देखें। लड़की ने अपनी जेब में हाथ डाला तो सोने के बजाये पत्थर के दो टुकड़े निकले और उन्हें उसे अपनी मां के सामने रख दिया। मुल्लाजी ने अपने दोनों हाथ से अपनी लड़की के सिर पर मारा और कहा हे नालायक़ तेरे लिए इतना सारा कष्ट उठाया और तूने यह क्या किया। लड़की ने रोना आरंभ किया और कहा मैं खुद से देव के पास तो नहीं जाना चाह रही थी आपने खुद ही मुझे भेजा था। मेरे साथ जो कुछ हुआ है उसके लिए स्वयं आप ज़िम्मेदार हैं और अब उल्टे मुझे को ही डांट रही हैं? लड़की ने यह कह कर जोर जोर से रोने लगी। मुल्लाबाजी को अपनी लड़की पर तरस आ गया और उसने कहा कि इन सब का ज़िम्मेदार शहरबानो है। यह कह कर वह गयी और शहरबानो की खूब धूलाई की। इसके बाद वह अपनी लड़की को हकीम बाशी के पास ले गयी ताकि उसके माथे और ठुड्डी का उपचार करवा सके। हकीम बाशी ने लड़की का मोआइना किया और कहा कि इस सांप और बिच्छू की जड़ दिल में है और इसकी जड़ को उखाड़ा नहीं जा सकता।
केवल एक दिन के अंतर के बाद दोनों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है और उसके स्थान पर नमक डाला जा सकता है। उस दिन से प्रतिदिन मुल्लाबाजी का कार्य यह था कि वह एक दिन के फासले के बाद तेज़ चाकू लेती थी और सांप तथा बिच्छू को काटती थी और उसके स्थान पर नमक डाल देती थी परंतु जैसाकि हकीमबाशी ने कहा था कि वे जड़ से समाप्त नहीं हो रहे थे। मुल्लाबाजी एक ओर से काटती थी तो दूसरी ओर से जानवर निकल आते थे। एक दिन मुल्लाजी की एक पड़ोसन ने उसे और उसकी लड़की को विवाह में आमंत्रित किया और उनसे वचन लिया कि उसकी लड़की के विवाह में अवश्य आयें।
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