Apr २४, २०१६ १६:०२ Asia/Kolkata
  • माह पीशानी-6

पुराने समय की बात है कि एक व्यक्ति अपनी पत्नी और बेटी शहरबानो के साथ सुखद जीवन व्यतीत कर रहा था।

 एक दिन शहरबानो की अध्यापिका ने शहरबानो से कहा कि अपनी मां को सिरके के एक बड़े मटके में बंद कर दे और उसकी मां के मटके में बंद होने के बाद उनके जीवन में जादूगरनी अध्यापिका प्रविष्ट हो गयी और वह शहरबानों से एक नौकरानी की भांति काम लेने लगी।

 

 

शहरबानो एक दैत्य से परिचित हुई और दैत्य ने उसके कामों में उसकी बहुत सहायता की और उससे कहा कि वह अपना चेहरा नदी में धोए। इस काम से उस लड़की के माथे पर एक चांद और उसकी ठुड्डी पर एक तारा निकल आया जिसने उसकी सुन्दरता में चार चांद लगा दिए। जादूगरनी अध्यापिका को जब इस बारे में पता चला तो उसने अपनी लड़की को दैत्य के पास भेजा और चूंकि उस लड़की ने दैत्य से साथ बुरा व्यवहार किया इसीलिए उसके चेहरे पर सांप और बिच्छु बन गये। जादूगरनी और उसके बेटी एक विवाह समारोह में गयी और वह अपने साथ शहरबानो को नहीं ले गयी, घर का सारा काम उसके ज़िम्मे सौंप दिया। शहरबानों ने दैत्य से सहायता ली और उसके मार्गदर्शन से घर का सारा काम चुटकी बजाते कर लिया और एक सुन्दर वस्त्र धारण करके जो उसे दैत्य ने दिया था, विवाह समारोह में गयी। विवाह समारोह से लौटते समय राजाकुमार ने उसे देख लिया और उससे प्रेम करने लगा।

 

 

केवल उसकी जूती ही हाथ लगी, राजकुमार शहरबानो के प्रेम में बीमार हो गया। महारानी ने नगर के समस्त चिकित्सकों को एकत्रित किया और किसी भी प्रकार से राजकुमार का उपचार करने को कहा। नगर के चिकित्सक समझ गये कि राजकुमार किसी लड़की के प्रेम में गिरफ़्तार हो चुके हैं और उसके पास उस लड़की की जूती भी हैं। जब महारानी को इस बात की सूचना मिली तो उसने अपने बेटे से कहा कि परेशान होने के बात नहीं है यदि यह लड़की दूर पहाड़ियों में भी होगी तो मैं तुम्हारे लिए लेकर आऊंगी और उससे तुम्हारा विवाह करूंगी। महारानी के आदेश पर दूसरे दिन कुछ अनुभवी महिलाएं जूती का वह जोड़ा लेकर घर घर गयीं और जूती की मालिक को ढूढने लगीं किंतु उनके सारे प्रयास विफल रहे, वह जिस लड़की के पैर में वह जूती डालती थीं या तो वह बड़ी होती थी या फिर छोटी। जब वे महिलाएं शहरबानों के घर के निकट पहुंची तो जादूगरनी अध्यापिका ने शहरबानो को एक तन्दूर में डाल दिया और उस तन्दूर के मूंह को एक सेनी से ढक दिया और मुर्ग़ियों को दरबे से निकाल कर बाहर कर दिया ताकि मुर्ग़ेियां दाना चुगे और यदि उस दौरान शहरबानों कुछ बोलना चाहे तो उसकी आवाज़ सुनाई न दे।

 

 

राजमहल से भेजी गयीं महिलाएं शहरबानों के घर पहुंची और उन्होंने पूछा कि आपके घर में कोई लड़की नहीं है। जादूगरनी ने कहा कि क्यों नहीं है? जी हां है, वह भी बहुत सुन्दर, उसके बाद वह अन्दर गयी और अपनी बेटी को ले आई। महिलाओं ने वह जूती उसे पहनने के लिए दी, लड़की ने बहुत कोशिश की किन्तु वह जूती उसके पैर में नहीं आई। अब इसके बाद कोई घर नहीं बचा था, महिलाओं ने एक बार फिर पूछा कि क्या आपकी कोई दूसरी लड़की भी है, जादूगरनी ने कहा मेरे तो बस यही एक लड़की है किन्तु अचानक ही मुर्ग़े ने आवाज़ लगानी शुरु कर दी, कूकूड़ू कूं काकुन से भरी सीनी तन्दूर के ऊपर, कूकूड़ू कूं चांद सी पेशानी तन्दूर के भीतर, कूकूड़ू कूं सीनी उठाओ और चांद सी पेशानी को बाहर निकालो। महिलाएं मुर्ग़े की आवाज़ सुनकर आश्चर्य चकित रह गयीं और वे कहने लगी कि यह मुर्ग़ा क्या कह रहा है। जादूगरनी ने एक पत्थर उठाकर मुर्ग़े की ओर फेंका और कहा कि यह मुर्ग़ा ऐसे ही बकवास कर रहा है, कल ही इसका काम तमाम कर दूंगी और इससे छुटकारा मिल जाएगा।

 

 

मुर्ग़ा पत्थर के भय से उड़कर छत पर बैठ गया और फिर वही बात दोहराने लगा। उन महिलाओं ने एक दूसरे को देखा और आपस में कहने लगी आओ देखते हैं तन्दूर का क्या मामला है? वे गयीं और उन्होंने तन्दूर का ढक्कन हटाया तो वे देखती ही रह गयीं चौदहवीं के चांद की भांति चमकते माथे वाली एक लड़की अंदर बैठी हुई है। उनमें से एक महिला ने हाथ बढ़ाकर शहरबानों को तन्दूर से बाहर निकाला और प्रसन्नता से चिल्लाने लगी कि मैंने आज तक ऐसी लड़की नहीं देखी जिसके माथे पर चांद और ठुड्डी पर सितारा हो। तभी सभी महिलाएं आ गयीं और उन्होंने शहरबानों को जूती पहनने को दी, उसने जूती पहनी तो उसे एकदम ठीक आ गयी। महिलाओं ने जादूगरनी से कहा कि राजकुमार इस लड़की से प्रेम करता है, अब तुम बताओ तुम्हें क्या चाहिए ताकि हम तुम्हारी लड़की को यहां से ले जाएं।

 

 

जादूगरनी ने कहा कि मैं आप लोगों से कुछ ज़्यादा नहीं चाहती, दो मीटर नीला टाट का कपड़ा ले आओ और लड़की को ले जाओ किन्तु इस शर्त के साथ कि इसमें से एक को मंत्री के बेटे के लिए ले जाओ। महिलाओं ने कहा कि तुम्हारी इस शर्त को हम राजा को बता देंगे। राजा भी अवश्य आदेश देंगे कि यह लड़की मंत्री के पुत्र के लिए ले लो। उनकी समझ में यह नहीं आ रहा था कि इस महिला ने इतनी सुन्दर लड़की को इतने सस्ते में कैसे दे दिया। जादूगरनी ने शहरबानों को बुरा भला कहना आरंभ कर दिया। महिलाओं ने कहा कि इसमें उसकी क्या ग़लती है, राजकुमार उसे बहुत चाहता है। दूसरे दिन राजमहल की महिलाएं दो मीटर टाट का कपड़ा, आधा मन प्याज़ और लहसुन लेकर जादूगरनी के घर आईं ताकि लड़की को राजकुमार के पास ले जाएं । जादूगरनी ने कहा कि दूसरी वाली को कब ले जाओगी, उन्होंने कहा कि राजकुमार के विवाह के दूसरे दिन आएंगे और दूसरी वाली को मंत्री के पुत्र के लिए ले जाएंगे। जादूगरनी ने कहा कि अच्छा तो मामला यह है, शाम को आना और दुलहन को ले जाना, महिलाओं ने कहा कि शाम को क्यों? जादूगरनी ने कहा कि मैं दुलहन का कपड़ा सिलना चाहती हूं। महिलाओं ने भी मान लिया है और चली गयीं, जादूगरनी ने उस दो मीटर टाट से शहरबानों का कपड़ा सिला और उसे पहना दिया, सूर्यास्त के निकट महिलाएं आईं और शहरबानों को जादूगरनी से लेकर राजमहल की ओर चल दीं। जैसे ही वह घर से निकलीं शहरबानों ने कहा कि चलों नगर के बाहर ताकि अपने मां से विदा हो लूं, उन्होंने कहा कि क्या यह महिला तुम्हारी मां नहीं है, नहीं यह मेरी सौतेली मां है।

 

 

अब हमारी समझ में आ गया कि क्यों तुम्हें उसने तन्दूर में बंद कर रखा था। शहरबानो महिलाओं को लेकर जंगल की ओर चली और एक कुंए के निकट पहुंचते ही कहने लगी कि आप लोग यहीं रुकिए, मैं अपनी मां से विदा होकर आती हूं , लड़की कुएं में उतर गयी। दैत्य ने कहा यह टाट का कपड़ा पहन कर कहा जा रही हो, शहरबानो ने कहा कि मुझे मेरे पति के घर ले जाया जा रहा है। उसने दैत्य से सारी बातें बता दीं। जिन्न ने बहुत तेज़ी से रेशम का एक वस्त्र, एक याक़ूत का बना मुकुट, एक हीरे की अंगूठी, एक ज़मुर्रद का हार और एक जोड़ी सोने की जूती दी, शहरबानो ने जल्दी से वह सब पहन लिया। दैत्य ने कहा कि राजकुमार तुम्हें जो कुछ भी पीने को दे ले लेना किन्तु उसकी नज़र से छिपा कर फेंक देना, शहरबानों ने दैत्य से विदा ली और कुएं से बाहर निकली और राजमहल की महिलाओं के साथ चल पड़ी।

 

महिलाओं की नज़र जब शहरबानो पर पड़ी तो वे भौचक्की रह गयीं और उनके मुंह खुले के खुले रह गये।

 

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