माह पीशानी-7
पिछले कार्यक्रम में हमने बताया था कि पुराने ज़माने में एक व्यक्ति अपनी पत्नी और बेटी शहरबानो के साथ रहता था।
एक दिन शहरबानो से उसकी शिक्षिका मुल्लाबाजी ने कहा कि वह अपनी मां को सिरके के मटके में डाल दे। उसके बाद से मुल्लाबाजी ने उसके जीवन में हस्तक्षेप शुरू कर दिया। वह शाहबानो को दासियों की तरह रखती थी। इस बीच शहरबानो की जान-पहचान एक देव से हो गई। उसके कामों में देव ने उसकी बहुत सहायता की। उसने शहरबानो से कहा कि वह अपने मुंह को नदी में जाकर धो ले। यह काम करने से लड़की के मुंह पर चांद और उसकी ठोड़ी पर एक तारा बन गया। उसने शाहबानों को अधिक सुन्दर बना दिया। मुल्लाबाजी को जब पूरी बात पता चली तो उसने अपनी लड़की को भी देव के पास भेजा। लड़की ने देव के साथ बुरा बरताव किया जिसकी वजह से उसके मुंह पर एक सांप और एक बिच्छु बन गया।
राजा के लड़के ने शहरबानो को जंगल में देखा और वह उसके प्रेम में बीमार पड़ गया। हज़ारों मुश्किलों के बाद शहज़ादे ने लड़की को हासिल कर लिया। हमने आपको यह भी बताया था कि मुल्लाबाजी ने यह भी शर्त लगाई थी कि वह उस हालत में ही राजकुमार के साथ शाहबानो की शादी की अनुमति देगी कि जब उसकी लड़की का विवाह वज़ीर के लड़के से कराया जाए। उसकी इस बात को मान लिया गया।
शहरबानो ने महल जाते समय अपनी मां से मिलने के बहाने देव से मुलाक़ात की। देव ने एक पोशाक और सुन्दर ताज शहरबानो को दिया और साथ ही उसे कुछ एसे सुझाव बताए जिससे वह मुल्लाबाजी की तरफ़ से पैदा की जाने वाली मुश्किलों से बच सके। इसके बाद वह राजकुमार की ओर से भेजी गई महिलाओं के साथ महल चली गई। वे लोग जैसे ही महल पहुंचे उसे देखकर सबलोग हतप्रभ रह गए। राजकुमार शहरबानो को अपनी मां के कमरे में ले गया। उसने शहरबानो के माथे पर चांद को देखकर कहा कि मैंने अभी तक कोई एसी लड़की नहीं देखी जिसके मुंह पर चाद और ढुड्डी पर तारा चकमता हो। तुरंत ही दोनो के विवाह की तैयारियां शुरू हो गईं। अंततः शादी की गई और उसमें सबने भाग लिया। इस शादी में राजा, वज़ीर और अन्य बहुत से लोगों ने भाग लिया।
आइए अब देखते हैं कि मुल्लाबाजी और उसकी बेटी का क्या हुआ? मुल्लाबाजी इस प्रतीक्षा में थी कि शादी के पहले ही दिन शहरबानो को महल से निकाल बाहर किया जाएगा। वह दोपहर तक इसी प्रतीक्षा में बैठी रही लेकिन कहीं कुछ नहीं हुआ। काफ़ी प्रतीक्षा करने के बाद वह महल गई कि देखे कि हक़ीक़त क्या है? लोगों से पूछती हुई वह शहरबानो तक पहुंची। उसने देखा कि शहरबानों गहनों से लदी मंहगे कपड़े पहने हुए बैठी है और उसके सिर पर मणि का ताज रखा हुआ है। उसके चारों और नौकर-चाकर मौजूद हैं। शहरबानो बड़ी ही शाना से बैठी है और उसका मुख चांद की तरह चमक रहा है। यह सब देखकर मुल्लाबाजी ने स्वयं से कहा कि मैं कितनी अभागी हूं। मैं शहरबानो को दूसरों की नज़रों में गिराने के लिए जितनी भी चालें चलती हूं सब बेकार हो जाती हैं। यह सब देखने के बाद वह तेज़ी से अपने घर गई।
जब वह अपने घर पहुंची तो देखा कि वज़ीर के घर से लोग यह मालूम करने आए हैं कि उसकी लड़की के साथ शादी के लिए क्या चीज़ें लाई जाएं। मुल्लाबाजी ने कहा कि मेरी बेटी के साथ शादी के लिए तुम्हें सोने के 100 सिक्के और आभूषण तथा उत्तम कपड़े लाने होगे। उसने कहा कि साथ ही हीरे की अंगूठी और भारी सोने का हार लाया जाए। लोगों ने कहा कि तुमने तो शहरबानो की शादी के लिए केवल दो जोड़े और एक मन प्याज़ और लहसुन की मांग की थी जबकि इस लड़की के लिए तुम सबकुछ मांग रही हो। मुल्लाबाजी ने कहा कि शहरबानो और मेरी लड़की में बहुत अंतर है इसलिए उनका आपस में कोई संबन्ध नहीं है। मेरी लड़की की आवाज़ आजतक किसी पुरूष ने नहीं सुनी। वह बहुत ही सुन्दर और शालीन है। वज़ीर के यहां से आने वालों ने कुछ नहीं कहा और वापस चले गए। शाम के समय वे हर चीज़ अपने साथ लाए जिसकी मांग मुल्लाबाजी ने उनसे की थी। उसके बाद उन्होंने कहा कि हम आपकी लड़की को वज़ीर के बेटे के लिए ले जाना चाहते हैं। विदा करने से पहले मुल्लाबाजी ने अपनी बेटी के चेहरे पर बने सांप और बिच्छू को खुरच दिया ताकि वे दिखाई न दे। उसके बाद मुल्लाबाजी ने अपनी बेटी को बैठकर ख़ूब सजाया और उसे सुन्दर कपड़े पहनाए। जब लड़की सज-संवरकर तैयार हो गई तो उसे वज़ीर के लड़के के घर ले जाया गया।
जैसे ही लड़की वज़ीर के दरवाज़े पहुंची उसके स्वागत के लिए वज़ीर का लड़का आगे बढ़ा किंतु जब उसकी नज़र लड़की पर पड़ी तो वह उसके मुख को देखकर कुछ देर के लिए भौचक्का रह गया। इतनी बदसूरत लड़की उसने नहीं देखी थी किंतु अपने पिता के भय से उसने कुछ नहीं कहा। कुछ ही देर के बाद दोनो का विवाह हो गया। मुल्लाबाजी की लड़की ने खाने में इतना अधिक लहसुन खा लिया था कि उसकी मुंह से आने वाली दुर्गंध से सब परेशान थे। स्थिति इतनी ख़राब थी कि वज़ीर का लड़का रुहांसा हो गया। शादी के बाद रात में सब सो गए। आधी रात में वज़ीर का लड़का उठा और उसने मोमबत्ती जलाई। लड़की के बदसूरत चेहरे को देखकर वह घबरा गया और कमरे से भाग खड़ा हुआ। वह सीधा अपनी मां के कमरे में गया और उसने पूरी बात अपनी मां को बताई। मां ने जाकर पूरी बात अपने पति अर्थात वज़ीर को बता दी। यह बात जब वज़ीर ने सुनी तो उसने जाकर राजा को सारी कहानी सुनाई। राजा ने सारी बात अपनी रानी को बताई। रानी ने जाकर अपने बेटे को पूरी बात बता दी। राजकुमार ने शहरबानो से पूछा कि सांप और बिच्छु वाली बात अस्ल में क्या है? शहरबानो ने शुरू से लेकर आख़िर तक की कहानी उसे सुना दी।
इसके बाद राजा ने वज़ीर को बुलाकार कहा कि चूंकि तुमने मेरे आदेश पर यह शादी की है और तुम इसीलिए मुश्किल में घिर गए हो तो अपनी बेटी का विवाह मैं तुम्हारे बेटे से करता हूं। वज़ीर ने राजा से पूछा कि एसे में इन मां और बेटियों का क्या होगा? राजा ने कहा कि मैं अपने नौकरों को आदेश दूंगा कि वे दोनो को ले जाकर नगर की दीवार से खाई में ढकेल दें। फिर राजा की बेटी और वज़ीर के लड़के की शादी बहुत ही धूमधाम से कर दी गई।
इस घटना के कुछ समय के बाद शहरबानो को अपनी मां की याद आई। अब वह अपनी मां की याद में परेशान रहा करती थी। एक दिन शहरबानो बहुत सुबह उठी और जंगल की ओर गई। फिर वह कुंए में उतरी और उसने देव को पुकारा। उसने कहा कि हे देव! तुमने सैदव ही मेरी मदद की है। मैं अब अपनी मां के बिना नहीं रह सकती। शहरबानो की बात सुनकर देव ने जादू से उसकी मां को उसी स्थान पर बुला लिया। उसकी मां ने अपनी बेटी के गले में हाथ डाल कर कहा कि क्या यह उचित है कि मां को सिरके के मटके में डाल दिया जाए? इस बात का शहरबानो के पास कोई जवाब नहीं था। उसकी बात सुनकर वह रोने लगी। उसको रोता देखकर देव ने कहा कि यह वक़्त रोने का नहीं है। जाओ और हंसी-खुशी ज़िंदगी बिताओ। देव की बात सुनने के बाद मां और बेटी दोनो महल की ओर चल दिये। राजकुमार ने जब अपनी सास को देखा तो वह बहुत खुश हुआ और उसने महल के ही भीतर उसके लिए एक घर बनवाया। इस प्रकार वे सब हंसी-ख़ुशी ज़िंगदी गुज़ारने लगे। (QR)
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