Apr २४, २०१६ १६:१८ Asia/Kolkata
  • सफ़ेद पक्षी-२

हमने कहा था कि ईश्वर ने उस राजा को कि जिसके संतान नहीं हो रही थी एक बेटा दिया।

 बेटे की सुरक्षा के दृष्टिगत राजा ने आदेश दिया कि वह अपनी मां के साथ महल से बाहर जीवन व्यतीत करे। राजा का वज़ीर कि जो एक बुरा इंसान था उसने राजा की हत्या कर दी और ख़ुद गद्दी पर बैठ गया और उसने रानी एवं राजकुमार की हत्या का भी आदेश जारी कर दिया। सिपाहियों ने रानी को मार डाला और बच्चे को कि जिसे उसकी मां ने एक गढ़े में डाल दिया था मरा हुआ समझकर छोड़ दिया। बच्चा ज़िंदा रहा और बड़ा हो गया। यहां तक कि एक दिन उसके चाचा ने कि जो अवैध राजा से लड़ाई के लिए लड़ाकों की एक टुकड़ी के साथ पहाड़ में छिपा हुआ था उसे देख लिया और उसका नाम शीरज़ाद रख दिया। वज़ीर ने शीरज़ाद और उसके चाचा की हत्या के लिए साज़िश रची।

 

 

वज़ीर ने कि जो राजा बन गया था कुछ समय बाद एक बहुत ही सुन्दर स्थान पर अपनी बेटी के लिए एक सुन्दर घर बनवाया और उसे वहां भेज दिया। यह लड़की भी अपने पिता की भांति धोखा धड़ी में शैतान की ख़ाला थी। एक दिन जब शीरज़ाद इधर उधर घूम रहा था, उस घर के पास कि जिसके चारो ओर क़िले की दीवारें थीं पहुंचा। वह बहुत भूखा था। उसने आसमान में एक परिंदा देखा तीर से उसका निशाना लिया और तीर चला दिया। परिंदा राजा की लड़की के घर के आंगन में गिरा। शीरज़ाद आगे गया उसने क़िले की दीवार पर कमंद डाली और ऊपर चढ़ गया, उसने देखा कि प्रांगण में एक बहुत ही सुन्दर लड़की बैठी हुई है। लड़की ने जैसे ही शीरज़ाद को देखा दरवाज़ा खोल दिया और उसे घर के अंदर ले गई। दूसरी ओर लड़की ने अपने बाप के पास एक संदेशवाहक भेजा और कहा कि तुरंत उसके पास पहुंच जाए। शीरज़ाद खाना ही खा रहा था कि उसने कमरे की खिड़की से बाहर देखा कि सैनिकों का एक बहुत बड़ा दल चला आ रहा है। वह तुरंत समझ गया कि लड़की ने उसके साथ धोखा किया है।

 

लड़की की ओर पलटा और एक ही वार में उसे मार डाला। उसके बाद दीवार फलांग कर घोड़े पर सवार हुआ क़िले की ओर पीठ की हाथ में तलवार उठाई और सैनिकों पर हमला कर दिया। शीरज़ाद अकेला था और दूसरी ओर सैनिकों का ठाठे मारता हुआ समुद्र कि जितने भी मारे जाते थे लेकिन कम नहीं होते थे। उन्होंने शीरज़ाद को चारो ओर से घेर लिया। लड़के ने जितना संभव हो सकता था तलवार चलाई यहां तक कि उसमें ताक़त नहीं बची। उसकी जान जाने ही वाली थी कि उसने अचानक एक आवाज़ सुनी, भतीजे डरना नहीं मैं आ गया हूं। शीरज़ाद ने जैसे ही अपने चाचा की आवाज़ सुनी उसकी आँखों में रोशनी आ गई और बाज़ूओं में ऊर्जा भर गई, वह सैनिकों के समुद्र से जा टकराया। ऐसा घमासान का युद्ध छिड़ा कि उससे पहले दुनिया वालों ने नहीं देखा था। बड़ी संख्या में राजा के सैनिक मारे गए और क़ैदी बना लिए गए। शीरज़ाद और उसके चाचा ने अपने सैनिकों के साथ शहर पर धावा बोल दिया और अत्याचारी राजा को मार डाला और शहर पर निंयत्रण कर लिया। शीरज़ाद ने राज्य अपने चाचा को सौंपा औऱ ख़ुद महल में शांति से जीवन बिताने चला गया।

 

दूसरी ओर राजा यानी शीरज़ाद के चाचा के दो बेटे थे। लेकिन वह शीरज़ाद को अपने दोनों बेटों से अधिक प्यार करता था। राजा के बेटों ने जब यह देखा तो शीरज़ाद से ईर्ष्या करने लगे। राजा ने जब देखा कि उसके बेटों के मन में क्या चल रहा है तो उसने उन्हें और शीरज़ाद को बुलाकर कहा कि तुम तीनों मेरे बेटे हो। लेकिन मैं उसे अधिक प्यार करता हूं जो सबसे बहादुर होगा, तुम में से कौन सबसे बहादुर है?

उनमें से हर एक ने अपनी ओर इशारा किया। राजा ने जब यह देखा तो कहा कि ऐसा लगता है कि तुम में से हर कोई ख़ुद को वीर और पहलवान समझता है? अगर ऐसा है तो मेरी बस एक शर्त है। अगर कोई ऐसे स्थान पर जाए कि वहां अभी तक मेरे घोड़े की टापे नहीं पड़ी हैं और कोई ऐसी चीज़ मेरे लिए लाए कि मैंने अभी तक नहीं देखी हो वही वीर होगा।

 

 

राजा का बड़ा बेटा सबसे पहले आगे बढ़ा और उसने झुक कर आदाब किया और तैयार खड़ा हो गया। राजा ने जब यह देखा तो उसे यात्रा का ख़र्च दिया और विदा कर दिया। राजा के बेटा घोड़े पर बैठा और चल पड़ा। वह चलता रहा चलता रहा, दिन रातों में बदलते रहे और रातें दिनों में। दो महीने चलते हुए हो गए थे कि एक दिन एक स्थान पर उसका घोड़ा हिनहिनाया। घोड़े को रोका तो उसने देखा कि एक पेड़ के निकट एक बड़ा सा माणिक पड़ा हुआ है। घोड़े से उतरा और सोचा कि अगर मेरा बाप यहां से गुज़रता तो निश्चित रूप से इस माणिक को उठा लेता और अपने साथ ले जाता। माणिक को उठाया और अपने घोड़े का रुख़ मोड़ दिया और शहर की ओर दौड़ पड़ा। कुछ समय बाद लोगों ने सूचना दी कि राजा का बेटा वापस लौट रहा है। राजा ने आदेश दिया कि वरिष्ठ अधिकारी उसके स्वागत के लिए जाएं। राजा का लड़का आ गया। दूसरे दिन दरबार को सजाया गया और हर कोई आधिकारिक वर्दी में अपने स्थान पर विराजमान हो गया। राजा के लड़के उस माणिक को कि जो वह लाया था एक सीनी में रखा और राजा की सेवा में पेश किया। राजा ने बेटे के माथे को चूमा और उसे एक चाबी देकर कहा, शहर के बाहर पहाड़ में एक ग़ुफ़ा है। उस ग़ुफा में चालीस कमरे हैं। इस माणिक को ले जाकर 11वें कमरे में रख दो। राजा का लड़का गुफ़ा में पहुंचा और जैसे ही उसने कमरे का दरवाज़ा खोला तो देखा कि वह कमरा इस तरह के माणिकों से भरा हुआ है। वह समझ गया कि बाप ने उसे अच्छा पाठ पढ़ाया है।

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