Apr २४, २०१६ १६:२३ Asia/Kolkata
  • सफ़ेद पक्षी-५

हमने कहा था कि महान ईश्वर ने उस राजा को एक बेटा प्रदान किया जिसके कोई संतान नहीं हो रही थी परंतु उस राजा का एक मंत्री बड़ा दुष्ट था।

 उसने राजा की हत्या कर दी और स्वयं राजा बन बैठा और उसने आदेश दिया कि उसके बेटे की भी हत्या कर दी जाये। उसके कारिन्दों ने रानी की हत्या कर दी परंतु उसके बच्चे को यह समझकर छोड़ दिया था कि वह पत्थर से टकरा कर कहीं मर गया होगा जबकि रानी ने बच्चे को पहाड़ी के एक दर्रे में डाल दिया था। बच्चा एक शेर के पास बड़ा हुआ यहां तक कि एक दिन उसका चाचा एक गुट के साथ दुष्ट मंत्री से मुकाबले के लिए जा रहा था कि रास्ते में उसे राजा अर्थात अपने भाई का बेटा मिल गया और उसने उसका नाम शेरज़ाद रखा। अंततः शेरज़ाद और उसके चाचा को दुष्ट मंत्री से लड़ाई में सफलता मिली और शेरज़ाद ने राजसिंहासन अपने चाचा के हवाले कर दिया। हमने पिछले कार्यक्रम में यह बताया था कि उसके चाचा के दो बेटे थे और दोनों शेरज़ाद से ईर्ष्या करते थे। राजा ने यह निर्धारित करने के लिए कि इन सबमें सबसे साहसी व बहादुर कौन है, कहा कि तीनों में से हर एक उसके लिए वह चीज़ लाये जिसे उसने कभी नहीं देखा है। तीनों अलग अलग और अनूठी चीजों को ढूढने के लिए चले।

 

 

पिछले कार्यक्रम में हमने कहा था कि शेरज़ाद अपनी यात्रा को जारी रखते हुए जब दैत्य की लड़की तक पहुंचता है तो उसे देखकर हतप्रभ रह जाता है क्योंकि दैत्य की लड़की बहुत ही सुन्दर थी। शेरज़ाद नीचे झुका और लड़की की कमर में हाथ डाल कर उसे उठाने का प्रयास किया परंतु वह उसे नहीं उठा सका और जैसा कि सफेद पक्षी ने कहा था वह घुटने तक पत्थर हो गया। दूसरी बार उसने लड़की के कमर में हाथ डालकर उठाना चाहा तो वह थोड़ा हिली परंतु ऊपर तक न आ सकी शेरज़ाद इस बार कमर तक पत्थर हो गया। इसके बाद उसने घोड़े की लगाम कस कर खींची और कहा मैं कसम खाकर कहता हूं कि इस बार अगर तुम्हें नहीं उठा सका तो इस घोड़े की कमर तोड़ दूंगा। इस बार उसने पूरी ताक़त से लड़की की कमर में हाथ डाला और उसे ज़मीन से उठा कर घोड़े की पीठ पर रख लिया।

 

 

उसके शरीर का जो अंग पत्थर हो गया था वह दोबारा सही हो गये। जब वह तेज़ी से लौट रहा था तो उसने पीछे से हे पकड़ लो पकड़ लो भागने न पाये की आवाज़ सुनी परंतु शेरज़ाद ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह घोड़े को भगाता रहा यहां तक कि कुछ देर के बाद आवाज़ आना बंद हो गयी। शेरज़ाद घोड़े को चाबुक मारता आगे बढ़ता जा रहा था कि रास्ते में दोबारा सफेद पक्षी आकर कहने लगा। शेरज़ाद मेरी बात सुन। यह लड़की एक घंटे में जाग जायेगी जब यह उठ जायेगी तो वह एसी चीख मारेगी जिससे पहाड़ हिल जायेगा पूरे जंगल में उसकी आवाज़ गूंज उठेगी। उसकी आवाज़ से कान के पर्दे फट जायेंगे। बेहतर यही है कि तू घोड़े से नीचे उतर जा और लड़की को एक पेड़ से बांध दे और एक गढ्ढा खोदकर स्वयं को उसमें छिपा ले। याद रख कि जब तक वह अपनी मां के दूध की क़सम न खा ले तब तक गढ्ढे से बाहर मत आना। इसके बाद शेरज़ाद घोड़े से उतरा और उसने लड़की को पेड़ से बांध दिया और जिस तरह सफेद पक्षी ने कहा था उसने वैसा ही किया।

 

 

कुछ समय के बाद लड़की जाग गयी और जागने के बाद उसने एसी चीख मारी कि गढ्ढे के अंदर शेरज़ाद कांप उठा। उसने सोचा कितनी सुन्दर लड़की है काश यह मेरी पत्नी होती परंतु अगर यह हर सात घंटे की नींद के बाद इस तरह से चिल्लायेगी तो पूरे शहर में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं बचेगा जिसके कान के पर्दे सलामत हों। लड़की ने अपने चारों ओर देखा तो उसे कोई नज़र नहीं आया। उसने बहुत चिल्लाया और विनती कि हे तू कौन है जो गडढे में छिपा है? वहां से बाहर आ और मुझे पेड़ से खोल अब मैं तेरी हूं। तू जिस चीज़ की कहे मैं क़सम खाने के लिए तैयार हूं परंतु लड़की ने जब तक अपनी मां के दूध की कसम नहीं खा ली तब तक शेरज़ाद गढ़ढे से बाहर नहीं निकला। जब लड़की ने अपनी मां के दूध की कसम खा ली तब शेरज़ाद बाहर आया और लड़की को पेड़ से खोल दिया और उसे घोड़े पर बिठाया और चल पड़ा। रास्ते में तेज़ हवा चलने लगी। शेरज़ाद को एहसास हुआ कि अगर वह घोड़े से उतर कर कहीं आश्रय नहीं लेगा तो हवा उसे उड़ा ले जायेगी। उसने चारों ओर नज़र दौड़ाई तो देखा कि पास ही एक दुर्ग है उसने घोड़े को दुर्ग की ओर हांका और जब वह वहां पहुंच गया और घोड़े से नीचे उतरना चाहा तो सफेद पक्षी आ गया और उसने आते ही शेरज़ाद पर हमला कर दिया और अपनी चोंच से उसे मारने लगा ताकि शेरज़ाद वहां पर उतर न सके। अंततः घोड़ा तेज़ दौड़ने लगा और सफेद पक्षी ने उसका पीछा किया। बहर हाल कुछ समय के बाद वहां आया तूफान रुक गया और सफेद पक्षी चला गया। शेरज़ाद और लड़की आराम आराम से चलने लगे। रास्ते में एक खेत में उन्होंने देखा कि सफेद घोड़ा चर रहा है।

 

 

लड़की ने शेरज़ाद से कहा अगर तू इस घोड़े को पकड़ ले तो मैं इस पर बैठ जाऊं और तू उस घोड़े पर। हम दोनों को आराम हो जायेगा। तू अलग घोड़े पर और हम अलग घोड़े पर। अभी लड़की की बात पूरी नहीं हुई थी कि घोड़ा हिनहिनाया और उनकी ओर आ गया। शेरज़ाद ने जैसे ही उसकी लगाम को पकड़ना चाहा सफेद पक्षी बिजली की भांति नीचे आया और शेरज़ाद के हाथ में चोंच मारकर घोड़े को भड़का दिया। सफेद पक्षी के इस कार्य से शेरज़ाद नाराज़ हुआ परंतु उसने कुछ नहीं कहा। शेरज़ाद और लड़की दोनों चलते गये यहां तक कि वह पहले वाले दैत्य के दुर्ग पर पहुंच गये। वहां सफेद पक्षी भी आ गया और उसने कहा शेरज़ाद थोड़ा धैर्य कर मैं देख रहा हूं कि तुम और यह लड़की एक दूसरे को चाहते हो तो यह उचित नही है कि तुम इस लड़की को दैत्य के हवाले कर दे। पक्षी ने भेत्र पढ़ा और वह उस लड़की की भांति लड़की हो गया और शेरज़ाद से कहा एक लड़की को यहीं छोड़ दी और उसकी जगह मुझे ले चलो और मुझे दैत्यों के हवाले कर दे। शेरज़ाद ने लड़की को दुर्ग के बाहर छोड़ दिया और लड़की बने पक्षी को लेकर गया और उसे दैत्यों के हवाले कर दिया और उनसे एक टोकरी अंगूर ले लिया और वहां से लौट आया। शेरज़ाद ने लड़की को घोड़े पर बिठाया और रास्ता चल पड़ा। दोनों रास्ता चलते गये यहां तक कि वे दूसरे दैत्यों के दुर्ग तक पहुंच गये। जैसे ही शेरज़ाद और लड़की वहां पहुंचे सफेद पक्षी भी वहां पहुंच गया।

 

उसने कहा शेरज़ाद थोड़ा धैर्य करो और अंगूर के स्थान पर मुझे ले चल। शेरज़ाद सफेद पक्षी के कार्यों से हतप्रभ था सारांश यह कि इस बार भी शेरज़ाद अंगूर की टोकरी के स्थान पर सफेद पक्षी को ले गया और दैत्यों से कबूतरों का एक जोड़ा ले लिया। इसके बाद दोनों रास्ता चल दिये। चलते गये यहां तक कि वे चेराग़ के कारवां सराय तक पहुंच गये वहां पर उसने कबूतरों के बजाये सफेद पक्षी को दे दिया और चेराग़ के मालिक से चेराग़ लेकर रास्ता चल दिया। अब वह अपने चाचा के महल की ओर चल पड़ा चलता गया यहां तक कि वह अपने शहर तक पहुंच गया। राजा को उसके आने का समाचार मिला और वह उसकी आगवानी के लिए आया। उसने उन चीज़ों पर नज़र डाली जो शेरज़ाद लेकर आया था। उसने शेरज़ाद का माथा चूमा और कहा बेटे तुम बहादुर व साहसी हो।

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