सफ़ेद पक्षी-६
हमने बताया था कि ईश्वर ने एक राजा को बेटा दिया जिसके यहां संतान नहीं होती थी।
इसी दौरान राजा के मंत्री ने राजा और उसकी पत्नी की हत्या कर दी। इस घटना में उसका बच्चा बच गया जिसका नाम शीरज़ाद था। बाद में बच्चे के चाचा ने उसे सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया और बाद में उसने अपने पिता की राजगद्दी संभाली। शीरज़ाद के चचा ने अपने पुत्रों की ईर्ष्या को दूर करने और उसकी दिलेरी को सिद्ध करने के लिए अपने दो पुत्रों और शीरज़ाद से कहा कि वे अपनी वीरता को सिद्ध करने के लिए एसी चीज़ लाएं जिसे उसने अभी तक नहीं देखा है। इस कार्य में उसके दो पुत्र विफल हो गए किंतु शीरज़ाद ने एक एसा चेराग़ हासिल किया जो बिना तेल के जलता था। इसी के जैसा एक अन्य चेराग़ उस व्यक्ति के हाथ में था जिससे शीरज़ाद एक धर्मशाला में मिला था। उसने शीरज़ाद से कहा था कि वह इस चेराग़ को इस शर्त पर शीरज़ाद को देगा कि वह जिनों के क़िले से उसके लिए कबूतरों का एक जोड़ा ले आए। शीरज़ाद, सफ़ेद परिंदे की मदद से कबूतरों तक पहुंचा किंतु वह लालच में पड़ गया और इस प्रकार वह देव के हांथ लग गया। शीरज़ाद की आप बीती को सुनकर वह देव, इस बात के लिए राज़ी हो गए कि देव के क़िले के एक टोकरी अंगूरों के बदले में उसको एक जोड़ा कबूतर मिल जाए। वहां पर भी शीरज़ाद, सफेद परिंदे के समझाने के बावजूद लालच में आ गया। देव ने उसको वचन दिया था कि यदि शीरज़ाद, देव की लड़की को उनके लिए ले आए तो वे उसको एक टोकरी अंगूर दे देंगे। सफ़ेद परिंदे के बताए रास्ते पर चलकर शीरज़ाद, देश के क़िले तक पहुंचा। वहां पर वह पहले अस्तबल गया और एक ख़ास घोड़े पर सवार होकर देव की लड़की तक पहुंचा। उसने बड़ी मुश्किल से लड़की को घोड़े पर सवार किया और अपने साथ ले आया। रास्तें में उसे बहुत सी कठिनाहयों का सामना करना पड़ा। अंततः देख के क़िले तक पहुंचा। सफ़ेद परिंदे ने अपना रूप बदलकर लड़की का रूप घारण कर लिया। शीरज़ाद ने उसे देव की लड़की के बदले दे दिया और अंगूरों की एक डलिया उनसे लेली।
मुसाफ़िरख़ाने में भी सफेद कबूतर ने अपन रूप बदला और उसके बदले में शीरज़ाद ने दो चराग़ लिए। यह सब करने के बाद शीरज़ाद हंसी-खुशी अपने चचा के पास वापस आया। उसने जो कुछ प्राप्त किया था उसे अपने चचा को दिखाया।
राजा के आदेश पर शीरज़ाद के साथ राजकुमारी का विवाह हो गया। इस शादी के उपलक्ष्य में 40 दिन और 40 रातों तक खुशियां मनाई गईं। रात के समय जब शीरज़ाद अपने कमरे में गया तो सफ़ेद परिंदा भी उसके साथ कमरे में चला गया। इससे शीरज़ाद बहुत नाराज़ हुआ। राजा ने कहा कि परिंदे को उसकी सेवा में उपस्थित किया जाए। उसने परिंदे से इस बारे में पूछताछ की। परिंदे ने कहा कि आप शीरज़ाद से पूछिए कि क्या मैंने उनके साथ कोई बुराई की है?
शीरज़ाद ने क्रोधित होते हुए कहा कि इस परिंदे ने मुझको तूफ़ान और बारिश में कहीं ठहरने का मौक़ा नहीं दिया और इसी प्रकार उसने मुझको सुनहरे घोड़े का मालिक भी नहीं बनने दिया। कल रात भी उसने मुझको परेशान किया। यह सुनकर सफ़ेद परिंदे ने एक आह भरी और कहा कि उस तूफ़ान में मैंने शीरज़ाद को इसलिए पनाह नहीं लेने दी क्योंकि यह तूफ़ान इस लड़की के पिता की ओर से था। जबतक तुम घोड़े पर सवार रहे वह कुछ नहीं कर सका। वह तुमको ज़मीन पर पटककर तुम्हारा विनाश करना चाहता था। परिंदे ने लड़की की ओर देखते हुए कहा कि क्या एसा नहीं है? लड़की ने कहा कि हां सही है।
परिंदे ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यदि मैं तुमको सुनहरा घोड़ा इसलिए नहीं लेने दिया क्योंकि वह इसके चचा का था। अगर वह घोड़ा तुमको मिल जाता तो तुम उसको गिरा देते और वह तुम्हारा विनाश कर देता। इसके बाद परिंदे ने फिर लड़की की ओर देखते हुए कहा कि क्या मेरी बात सही नहीं है? लड़की ने कहा कि तुम सही कह रहे हो। इसके बाद उस परिंदे ने फिर कहा कि कल रात मैं इसलिए कमरे में चला गया क्योंकि इस लड़की का भाई काले सांप के रूप में कमरे में छिप गया था और वह तुमको मारना चाहता था। रात के समय जब तुम सो रहे थे तो मैंने उसको मार दिया। देखो यह उसका शव है। अंत में सफ़ेद परिंदे ने लबी आह भरते हुए कहा कि मेरे भाग्य में यह लिखा है कि मैं अपने जीवन में किसी एक की सहायता करूंगा। अब अगर वह वास्तव में मर्द होगा तो उसका जीवन साथी बन जाऊं अन्यथा मर जाऊंगा। अब मेरे जीवन का अन्तिम समय निकट आ गया है और मैं मरने वाला हूं। इतना कहने के बाद परिंदा मर गया और कुत्ते के रूप में बदल गया। वहां पर मौजूद सभी लोग उसकी मौत पर रोने लगे।
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