Apr २४, २०१६ १६:३६ Asia/Kolkata
  • कचल मम सियाह-२

हमने कहा था कि एक गंजा व्यक्ति था उसका नाम “कचल मम सियाह” था।

वह अपनी मां के साथ रहता था। मां के अलावा उसका कोई नहीं था। “कचल मम सियाह” एक रात को अपने बाप की बंदूक लेकर शिकार करने गया। उसने एक एसे जानवर का शिकार किया जिसके एक ओर से प्रकाश निकलता था और दूसरी ओर से सूर निकलती थी। राजा ने “कचल मम सियाह” को महल में बुलाया और उससे शिकार ले लिया।

 

उसे प्रतिदान देने के लिए उसने अपने मंत्री से कहा कि वह अपना पद छोड़कर मंत्री पद “कचल मम सियाह” को सौंप दे। मंत्री अपना पद छोड़ना नहीं चाहता था इसलिए उसने जादू की टोपी से सहायता मांगी और उससे विचार- विमर्श किया तो जादू की टोपी ने मंत्री से कहा कि तुम परेशान न हो। तुम राजा से कहो कि वह “कचल मम सियाह” से कहे कि वह चालिस शेरनी का मेरे लिए दूध लाये। जब यह बात उसने राजा से कही तो राजा हंसा और बोला मंत्री तुमने स्वप्न देखा है तुम्हें पता है कि चालिस शेरनी का दूध लाने के लिए हमारी आधी से अधिक सेना समाप्त हो गयी और हमें कुछ मिला भी नहीं अब तुम्हीं बताओ कि एक अकेला आदमी चालिस शेरनी का दूध कैसे ला सकता है? इस पर मंत्री ने कहा महाराज जो अपने शिकार के पहले दिन ही एसे जानवर का शिकार कर ले जिसके एक ओर से प्रकाश निकलता हो और दूसरी ओर से आवाज़ तो यह कार्य उसके लिए कठिन नहीं है। राजा ने देखा कि मंत्री कोई अधिक अतार्किक बात नहीं कर रहा है। उसने आदेश दिया कि “कचल मम सियाह” को लाया जाये। राजा के कारिन्दे गये और उसे ले आये। “कचल मम सियाह” ने राजा से कहा महाराज मैं खुद ही आपकी सेवा में आ रहा था आप इनाम देने में इतनी जल्दी क्यों कर रहे हैं? राजा ने कहा तुम्हारा इनाम अपनी जगह पर परंतु उससे पहले तुम जाओ और मेरे लिए चालिस शेरनी का दूध लाओ।

 

 

“कचल मम सियाह” ने अपने मन में कहा चालिस शेरनी का दूध लाने का अर्थ क्या है? राजा क्यों मुझसे चालिस शेरनी का दूध लाने के लिए कह रहा है? यह बात उसके मन में आई लेकिन उसने कुछ ज़ाहिर नहीं किया और राजा से कहा। मैं अभी जाता हूं। जल्दी से वह अपने घर आया और अपनी मां से कहा मां जल्दी से उठो और मेरे रुमाल में एक रोटी बांध दो मैं जा रहा हूं उसकी बूढ़ी मां ने उससे कहा कहां? उसके बेटे ने जवाब दिया कि राजा ने कहा है कि मेरी लिए चालिस शेरनी का दूध लाओ। उसकी बूढ़ी मां ने कहा बेटा वह तुम्हें मारना चाहते हैं अब तब बहुत से पहलवानों ने यह कार्य करना चाहा परंतु सब को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा अब तुम चालिस शेरनी का दूध लाने चले हो? अब तुम्हीं बताओ कि यह काम कैसे करोगे? “कचल मम सियाह” ने कहा कि मां मेरे पास कोई विकल्प नहीं है मैं मजबूर हूं। उसकी बूढ़ी मां ने कहा ठीक है बेटा जाने से पहले राजा के पास जाओ और उससे कहो कि वह तुम्हें चालिस घड़ा तुम्हें शराब के और चालिस खेप चूना तथा चालिस खेप रूई की।

 

 

वे उसके बाद तुम मेरे पास आना फिर मैं तुम्हें रास्ता बताऊंगी कि क्या करो। “कचल मम सियाह” राजा के पास गया और उसने राजा से उन चीज़ों को मांगा जो उसकी मां ने कहा था। राजा ने उसे वह चीज़ें दी और वह अपनी मां के पास लौट आया। जब वह अपनी मां के पास आ गया तो उसकी मां ने उससे कहा बेटा शराब, चूना और रूई उठाओ और इतना चलो कि समुद्र तक पहुंच जाओ। जब समुद्र के किनारे पहुंच जाना तो चूने और रूई से एक बड़ा हौज़ बनाना और शराब को उसमें डाल देना। उसके बाद थोड़ी दूरी पर एक गढ्ढा खोदना और उसमें छिप जाना। बहुत देर नहीं लगेगी कि तुम देखोगे कि आसमान काला हो जायेगा और उससे गरज की आवाज़ आयेगी। समुद्र के पानी में उथल पुथल मच जायेगी और उसके अंदर से बहुत सारी मादा शेरनियां निकलेंगी और उनके पीछे उनके 39 बच्चे निकलेंगे। उनमें से हरएक, पहाड़ के बराबर होगा। सब के सब समुद्र के पास हर भरे मैदान में चरने के लिए चले जायेंगे। चरते चरते जब उन्हें प्यास लगेगी तो पानी पीने के लिए वे दोबारा समुद्र की ओर पलटेंगी। सावधान रहना कि वह तुम्हें न देखने पायें अन्यथा तुम्हारा काम समाप्त हो जायेगा।

 

चालिस शेरनियां पानी पीने के लिए हौज़ पर पहुंचेंगी और वे उसे सूघेंगी और दोबारा लौट जायेंगी। दोबारा जब वे प्यासी होंगी तो फिर हौज़ पर आयेंगी। इस बार भी वे सूघेंगी और दोबारा चरने के लिए लौट जायेंगी पंरतु जब वे तीसरी बार हौज़ के पास आयेंगी तो प्यास से उनसे नहीं रहा जायेगा और प्यास बहुत तेज़ लगी होगी इस बार वे पानी पी लेंगी। वे इतना अधिक शराब पींयेगी कि उनकी प्यास बुझ जायेगी उस वक्त तुम फुर्तीले घोड़े की भांति सबसे बड़ी शेरनी की पीठ पर सवार हो जाना और अपनी मुट्ठी को कड़ाई से बांध लेना और उसके माथे के बीच में ज़ोर से मारना। उसके बाद तुम आराम से उस पर बैठे रहना और वह हवा की भांति तीव्र गति से चलेगी और उसके बच्चे भी उसके पीछे पीछे हिरन की भांति दौड़ेंगे। इसके बाद “कचल मम सियाह” ने अपनी रोटी को अपनी कमर में बांधा और रास्ता चल पड़ा। वह हवा की भांति तेज़ी से चला उसने पहाड़ और जंगल सबको पार किया यहां तक कि वह समुद्र के किनारे पहुंच गया। जो कुछ उसकी मां ने कहा था उसने उसे अंजाम दिया और चालिस शेरनियों के आने की प्रतीक्षा में बैठ गया। अधिक समय नहीं बीता था कि आसमान काला हो गया और शेरनी और उसके बच्चे चरने के लिए समुद्र से बाहर आये और वे चरने में व्यस्त हो गये। चरते- चरते जब उन्हें प्यास लगी तो उन्होंने शरीब पी ली। “कचल मम सियाह” ने देखा कि बहुत अचित अवसर है। वह अपनी जगह से बाहर आया और कूद कर सबसे बड़ी शेरनी की पीठ पर बैठ गया। अपनी मुट्ठी को कसकर बांधकर उसके माथे पर मारा। शेरनी शराब के नशे में धुत थी। वह ज़ोर से चिल्लाई और मुर्गे की भांति हवा में कूदी। उसके ३९ बच्चे भी उसके पीछे पीछे दौड़ने लगे। वे सब पूरी शक्ति से दौड़े यहां तक कि वे नगर पहुंच गये। “कचल मम सियाह” शेरनी को दौड़ाते हुए उसे अपने घर ले आया और उसने अपने आंगन में उसका दूध दुहा तथा राजा के लिए भेज दिया।

 

 

 

जब बूढ़ी महिला ने चालिस शेरनी को “कचल मम सियाह” के पास देखा तो वह जल्दी से राजा के पास गयी और कहने लगी हे महाराज आप क्या बैठें हैं। “कचल मम सियाह” केवल चालिस शेरनी का दूध नहीं लाया है बल्कि खुद चालिस शेरनी के साथ उनके बच्चों को भी लाया है और उन्हें उसने अपने मिट्टी के घर में छोड़ दिया है। राजा ने आदेश दिया कि “कचल मम सियाह” को लाया जाये। जब “कचल मम सियाह” राजा के पास पहुंच गया तो उसने “कचल मम सियाह” से पूछा कि यह सही है कि तुम चालिस शेरनी और उनके बच्चों को भी लाये हो? “कचल मम सियाह” ने जवाब दिया हे महाराज फिर आप से चुगली कर दी गयी। राजा ने कहा जल्दी जाओ और उसे मेरे पास ले आओ। चालिस शेरनी तो केवल राजा के अस्तबल के योग्य हैं। कचल मम सियाह गया और वह चालिस शेरनियों को ले आया और उसने उन सबको राजा के अस्तबल में छोड़ दिया। उस समय राजा ने मंत्री से कहा अब तुम अपना पद छोड़ दो और उसे “कचल मम सियाह” के हवाले कर दो।

 

 

इस पर मंत्री ने कहा महाराज आज नहीं कल। मंत्री ने धैर्य से काम लिया जब रात हो गयी तो वह दोबारा बाबा कोलाह जादूई टोपी को ले आया और उसे अपने सामने रखकर बोला हे बाबा कोलाह तुम अच्छी तरह जानती हो कि मैं मंत्री पद को नहीं छोड़ सकता और किसी मेहनत के बिना इस पद को “कचल मम सियाह” के हवाले कर दूं! वह कहीं से इंसान लगता है पता नहीं कहां से आ गया वह मेरा स्थान लेना चाहता है। मुझे बताओ क्या करूं? बाबा कोलाह नामक की जादूई टोपी ने देखा कि मंत्री बुरी तरह फंस गया है। उसने कहा हे मंत्री तू दुःखी मत हो इसका समाधान बहुत सरल है। कल तुम राजा के पास जाना और उससे कहना कि केवल “कचल मम सियाह” ही उस अजगर का मुकाबला कर सकता है जो दिन दहाड़े राजा के आधे सैनिकों को निगल गया था। यह सुनना था कि मंत्री को बहुत खुशी है और अगले दिन सुबह होते ही वह राजा के महल में गया और उससे कहा कि हे महाराज आप अच्छी तरह जानते हैं कि कोई भी पहलवान “कचल मम सियाह” के अतिरिक्त उस अजगर का मुकाबला नहीं कर सकता।

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