Apr २४, २०१६ १६:४१ Asia/Kolkata
  • कचल मम सियाह-४

हमने कहा था कि मम सियाह नामक एक गंजा व्यक्ति अपनी मां के साथ रहता था।

 एक दिन उसने अपने बाप से विरासत में मिलने वाली बंदूक़ उठाई और शिकार के लिए चल दिया और उसने एक अजीबो ग़रीब जानवर को कि जिसके एक ओर से प्रकाश निकल रहा था और दूसरी ओर से संगीत की आवाज़ आ रही थी शिकार किया। राजा को इसकी सूचना हो गई, राजा ने उसे तलब किया और उससे शिकार ले लिया और उसे वज़ीर का पद देने का वादा किया।

 

वज़ीर ने अपना पद बचाने के लिए बहाना खोजा और बाबा कुलाह से सलाह ली। उसने कहा कि गंजे से कहो कि राजा के लिए चालीस शेरिनियों का दूध लेकर आए। मम सियाह गंजे ने अपनी मां की सलाह से इस कठिन काम को अंजाम दे दिया। उसके बाद भी उसे वज़ीर का पद देने का वादा दिया गया। इस बार फिर वज़ीर ने बाबा कुलाह से सहायता मांगी। इस बार उसने कहा कि उससे कहो कि अजगर को मार डाले। इस बार भी मम सियाह ने अपनी मां की सलाह से गुफा में गया और जिस समय अजगर सोया हुआ था उसके माथे पर तीर मारा दिया। अजगर तड़पने लगा और मरने से पहले इस प्रकार से चीख़ा कि पहाड़ हिल गया। लोकिन यह कोई नहीं जानता था कि मम सियाह इतने भारी भरकम अजगर को किस प्रकार से शहर में लाया। उसने अजगर को राजा के महल के सामने डाल दिया और कहा, हे राजा इसे उठा लो, तुम्हारे दुश्मन की सी ही दशा हो गयी। राजा ने अजगर पर एक नज़र डाली और वज़ीर से कहा कि इस बार कोई बहाना नहीं चलेगा। मम सियाह को ख़ाली हाथ नहीं लौटाया जा सकता। जल्दी ही अपना पद उसके हवाले कर दो।

 

 

वज़ीर ने जब देखा कि इस बार भी उसकी चाल ख़ाली चली गई तो चिंतित हो उठा और कहा, महाराज सलामत कल वह आए और मंत्रालय का पदभार संभाल ले। रात जब हुई तो वज़ीर ने फिर बाबा कुलाह को उठाया और उससे कहा, हे बाबा कुलाह मैं तुम्हारे सदक़े जाऊं, इस धोखेबाज़ गंजे ने मुझे परेशानी में डाल दिया है, और सबके सामने मुझे लज्जित कर दिया है। अभी तक तूने मुझे जो भी सलाह दी है उसका कोई लाभ नहीं हुआ। इस बार कोई ऐसा चमत्कार दिखा कि यह गंजा मेरा पद ग्रहण न कर सके। आख़िर यह गंजा कहां और मंत्री का पद कहां? जल्दी बता मैं क्या करूं मैं ग़ुस्से से पागल हुआ जा रहा हूं। बाबा कुलाह ने कहा, हे प्रधान मंत्री चिंता न करें इस काम का हल पानी पीने से भी आसान है। कल राजा से कहना कि गंजे को आदेश दें कि पड़ोसी देश के राजा की लड़की को लेकर आए। प्रधान मंत्री आप यह जान लें कि यह काम हर किसी के बस की बात नहीं है। अगर एक गंजे के बजाए हज़ार गंजे भी जाएंगे तो वे पड़ोसी देश के राजा की लड़की को नहीं ला सकते, बल्कि सब के सब मारे जाएंगे।

 

 

वज़ीर ख़ुश हो गया और उसने बाबा कुलाह को चूमा, चैन की सांस ली और सुबह सवेरे उठकर महल पहुंच गया और राजा से कहा, महाराज मैंने रात को एक सपना देखा, राजा ने कहा अब तुमने कौनसा सपना देख लिया। वज़ीर ने कहा, मैंने सपने में देखा कि मम सियाह गया और पड़ोसी देश के राजा की लड़की को आप के लिए ले आया। महाराज उसे भेजिए ताकि मेरा सपना सच हो जाए। इससे अच्छा और कोई मौक़ा हाथ नहीं आएगा। राजा हंसा और उसने कहा, हे वज़ीर यह क्या बकवास है, क्या तुम मूर्ख हो गए हो। तुम तो जानते ही हो कि हमारी सेना पड़ोसी राजा की सेना का मुक़ाबला नहीं कर सकती। तो फिर किस तरह से यह अकेला व्यक्ति राजा से टक्कर ले सकता है। वज़ीर ने कहा, हे राजा आप मम सियाह को कम समझ रहे हैं। जो व्यक्ति पहली बार में ही ऐसे जानवर का शिकार करे कि जिसके एक ओर से प्रकाश निकलता हो और दूसरी ओर से संगीत का सुर निकलता हो और चालीस शेरनियों का दूध लाने के बजाए चालीस शेरनियों को ले आए, अजगर को मार सकता हो और अकेले ही उसे उठा कर ले आए तो वह पड़ोसी देश के राजा से निपट सकता है। मौक़े को मत गंवाओ, क्योंकि मम सियाह के लिए फ़िरंगी राजा की लड़की को लाना पानी पीने से भी ज़यादा आसान है। राजा ने कहा, वज़ीर क्या तुम गंभीरता से यह कह रहे हो, वज़ीर ने कहा, महाराजा इससे गंभीर बात मैंने कोई नहीं कही।

 

 

मम सियाह अभी सोकर ही उठा था कि उसका द्वार खटखटाया गया। उसकी मां ने कहा, बेटे ज़रा जाकर तो देखो इस बार तुम से क्या चाहते हैं। मम सियाह ने कहा, लगता है फिर से राजा ने मुझे तलब किया है। वह महल की ओर चल दिया और राजा के पास गया फिर लौट आया। उसने अपनी मां से कहा, मां मेरे लिए कुछ रोटी रख दो और मेरा रूमान मुझे दे दो फिर से मुझे जाना पड़ रहा है। इस बार राजा ने मुझे आदेश दिया है कि पड़ोसी राज्य के राजा की लड़की को उठा लाऊं। बूढ़ी महिला ने कहा, मेरे बेटे उसे भूल जाओ, वज़ीर तुझे नष्ट करना चाहता है, तुझ से अधिक बलवान पहलवान और चतुर व्यक्ति पड़ोसी राज्य के राजा की लड़की को लाने में सफल नहीं हो सके। तू अकेला राजा से युद्ध करेगा और उसकी लड़की को ले आएगा। मम सियाह ने कहा, अब इन बातों का समय नहीं बचा है। अगर मुझे अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ेगा तो मुझे जाना ही है। इस प्रकार की बातों के बजाए अगर कोई रास्ता हो तो बताओ। बूढ़ी महिला ने कहा, मेरे बेटे मैं पड़ोसी राज्य और उसके राजा के बारे में कुछ नहीं जानती हूं, अब तुझे ही देखना है कि क्या कर सकता है। मम सियाह ने रोटी को एक कपड़े में रखकर कमर से बांधा और चल दिया।

 

हवा की तरह दर्रों से गुज़रा और तूफ़ान की तरह चोटियों को सर किया यहां तक कि समुद्र के निकट पहुंचा। उसने देखा कि एक व्यक्ति कि जिसकी कोई भी चीज़ मनुष्य की भांति नहीं थी अपना सिर पानी में डुबोए हुए है और पानी पी रहा है। उसके पानी पीने आम लोगों की तरह नहीं या बल्कि उसके हर घूंट से समुद्र का पानी डेढ़ बालिश्त नीचे चला जाता था। मम सियाह दंग रह गया और उसने कहा, पानी पीने का यह कौन सा तरीक़ा है? उस व्यक्ति ने कि जिसका नाम समुद्र को सुखा देने वाला था कहा कि क्या तेरे आंखें नहीं हैं कि जो मुझे पानी पीते हुए देख सके, लेकिन तेरी आंखों ने देखा होगा कि मम सियाह ने अपने पहले ही शिकार में एक ऐसे जानवर का शिकार किया कि जिसके एक ओर से प्रकाश चमकता है और दूसरी ओर से संगीत और सुर की आवाज़ आती है। अफ़सोस है कि मुझे नहीं पता वह मम सियाह गंजा कहां है, वरना मैं उसके पास जाता और अंतिम सांस तक उसकी ग़ुलामी करता। मम सियाह हंसा और उसने कहा कि मम सियाह तेरे सामने खड़ा हुआ है। समुद्र का पानी सुखा देने वाले व्यक्ति ने कहा, क्या तू सच बोल रहा है? मम सियाह ने कहा, इसमें झूठा क्या है। समुद्र का पानी सुखा देने वाला मम सियाह का ग़ुलाम बन गया और उसके पीछे चल दिया।

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