Apr २४, २०१६ १६:४४ Asia/Kolkata
  • कचल मम सियाह-६

हमने कहा था कि एक गंजा था जिसका नाम कचल मम सियाह नाम अपनी विधवा मां के साथ रहता था।

उसके बाप के मरने पर वरासत में उसे एक बंदूक मिली थी। एक दिन वह बंदूक लेकर शिकार के लिए निकला तो उसने अपने शिकार के पहले दिन ही एक ऐसे जानवर का शिकार किया जिसके एक ओर से प्रकाश और दूसरी ओर से सुर निकलता था। राजा उससे जानवर ले लेता है और उससे वादा करता है कि उसके बदले में वह उसे अपना मंत्री पद देगा। मंत्री ने अपना पद बचाने के लिए अपनी जादूई टोपी से जिसका नाम बाबा कोलाही था, विचार विमर्श किया। हर बार वह मंत्री से कहती थी कि राजा से कहे कि कचल मम सियाह से कठिन से कठिन कार्य लिया जाए। राजा एक बार कचल मम सियाह से कहता है कि वह उसके लिए चालिस शेरनियों का दूध लाये, एक बार उससे अजगर मारने के लिए कहता है और इन कार्यों को वह अंजाम देता है।

 

अंत में वह कचल मम सियाह से कहता है कि वह उसके लिए समीप के राजा की लड़की ले आये। कचल मम सियाह जब समीप के राजा की लड़की को लेने के लिए निकला तो रास्ते में उसकी भेंट चार विचित्र व्यक्तियों से हो जाती है जिसमें एक का नाम समुद्र का पानी सुखा देने वाला, दूसरे का नाम चक्की चलाने वाला, तीसरे का नाम गोफ़न फेकने वाला और चौथे का नाम रज़ाई कान था उसके दोनों कान इतने बड़े बड़े थे कि वह एक कान को रज़ाई और दूसरे को गद्दा बना लेता था। ये विचित्र प्राणी रास्ते में उसके साथ रहते हैं। जब वे लोग समीप वाले राजा के नगर पहुंचते हैं और राजा को उनके आने की सूचना मिलती है तो वह अपने मंत्री की सहायता से इन लोगों के लिए एक षडयंत्र रचता है। तय यह होता है कि पूरे नगर के लोगों को भोज पर आमंत्रित किया जाये और चालिस बड़ी बड़ी डेग चढ़ाई जाये तथा चालिसवीं डेग में ज़हर डाल दी जाये तथा भोज पर इन पांच व्यक्तियों को भी आमंत्रित किया जाये और जिस डेग में ज़हर मिला है उसे खाने के लिए इन्हें दिया जाये। कचल मम सियाह और उसके उसके दोस्त एक दूसरे के साथ बैठे हुए थे और एक दूसरे से बात करते थे कि अचानक रज़ाई कान हंसने लगा उसके दूसरे दोस्तों ने कहा क्या बात है? तुम पागल हो गये हो, अकेले क्यों हंस रहे हो। उसने अपने दोस्तों से कहा राजा और उसके मंत्री हमारे लिए षडयंत्र रच रहे हैं। इस पर कचल मम सियाह ने कहा कौन सा षडयंत्र रच रहे हैं? बड़े कान वाले ने कहा वे हम सब की हत्या कर देना चाहते हैं। समुद्र का पानी सुखा देने वाले ने कहा छोड़ो यह सब इसी चक्कर में रहें। अगले दिन पूरे नगर से छोटे -बड़े बूढे- जवान सब राजा के महल में एकत्रित हुए। कचल मम सियाह और उसके दोस्त भी आये और वे सब एक कोने में बैठ गये। कुछ समय बीतने के बाद कचल मम सियाह ने राजा से कहा क्या अनमति है कि हमारा रसोइया आपके रसोईघर में जाये। राजा ने कहा कोई बात नहीं है। कचल मम सियाह ने समुद्र का पानी सुखा देने वाले से कहा हे रसोइया उठ और जा खाना लगाने की तैयारी कर।

 

समुद्र का पानी सुखा देने वाला रसोईघर में गया और राजा के रसोइया से कहा मैं कचल मम सियाह का रसोइया हूं क्या मुझे इस बात की अनुमति है कि मैं देखूं कि क्या पक रहा है। राजा के रसोइया ने कहा बिल्कुल शौक से। उसने देखा कि चालिस बड़ी बड़ी डेगें चढ़ी हैं जिसमें पोलाव पक रहा है। समुद्र का पानी सुखाने वाले ने पहले डेग का ढ़क्कन उठाया और देखते ही देखते उसे चट कर गया। इसी तरह उसने दूसरी, तीसरी यहां तक कि चालिसों डेगों को खा लिया और राजा के रसोइया को इसकी भनक भी नहीं लगी। राजा के रसोइया ने कचल मम सियाह के रसोइया यानी समुद्र का पानी सुखा देने वाले से पूछा क्या खाना तैयार हो गये हैं? जवाब में उसने कहा बस थोड़ी ही देर में तैयार हो जाएगा। समुद्र का पानी सुखाने वाला रसोईघर से बाहर चला गया और अपने दोस्तों के पास बैठ गया। राजा ने खाना लगाने का आदेश दिया। राजा का रसोइया गया और उसने खाना लाने से पहले देखा कि देख लें कि पोलाव ठीक से पक गया है या नहीं। यह सोच कर उसने पहले डेग का ढ़क्कन खोला तो देखा कि डेग में चावल का एक दाना भी नहीं है। उसने दूसरी फिर तीसरी यहां तक चालिस डेगों का ढ़क्कन खोला तो सब की सब खालीं थीं। यह देखकर वह हतप्रभ रह गया। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे? राजा से क्या कहे। अंत में यह बात राजा तक पहुंच ही गयी। वह समझ गया कि यह काम कचल मम सियाह के अलावा किसी और का नहीं हो सकता।

 

वह क्रोध से लाल- पीला हो रहा था उसने देखा कि इससे काम बनने वाला नहीं है। उसने कहा मेहमानों से कह दिया जाये कि किसी कारणवश भोज कल तक के लिए टाल दिया गया है। राजा ने क्रोध में अपने मंत्री से कहा अब क्या किया जाये? मंत्री ने कहा कि लोहे के हम्माम को गर्म करने का आदेश दिया जाये और कचल मम सियाह तथा उसके दोस्तों को नहाने के लिए आप आमंत्रित कीजिये जैसे ही वे हम्माम के अंदर जायेंगे लोहे के दरवाज़े को बंद कर दिया जायेगा और ऊपर से इतना पानी गिराया जायेगा कि उसी में उनका दम घुट जाये। राजा ने कहा यह सही रहेगा। बड़े कान वाले ने दोबारा यह बात सुन ली और ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा। कचल मम सियाह ने कहा अब क्या हुआ? उसने कचल मम सियाह से राजा और उसके मंत्री के षडयंत्र को बता दिया। चक्की चलाने वाले और समुद्र का पानी सुखाने वाले ने कहा छोड़ो इन्हें यह कार्य भी कर लेने दो। अगले दिन राजा ने एक व्यक्ति को भेजकर कचल मम सियाह और उसके दोस्तों को बुलवाया ताकि वे सब लोह के हम्माम में नहाने के लिए जायें। जब नहाने के लिए पांचों आदमी हम्माम में घुस गये तो लोहे का मोटा दरवाज़ा बंद कर दिया गया और ऊपर से खूब तेज़ पानी गिराया गया। समुद्र का पानी सुखाने वाले ने अपना मुंह खोला और सारा पानी पी गया यहां तक कि पानी का एक बूंद भी हम्माम में नहीं रहा फिर भी वह लोग ऊपर से पानी छोड़ते जा रहे थे और वह पीता जा रहा था पर अंत में उसने चक्की चलाने वाले से कहा कब तक मुझे देखोगे। देख नहीं रहे हो कि मैं थक गया हूं। चक्की चलाने वाले ने जैसे ही यह सुना उसने अपने गले में बंधी चक्की को घुमा दिया और लोहे की बनी हम्माम की दीवार पर उसे मार कर तोड़ दिया। समुद्र का पानी सुखाने वाला हम्माम से बाहर आया और उसने अपना मुंह खोला उससे मुंह से पानी उगलना शुरू कर दिया जिससे ऐसी बाढ़ आ गयी कि आधा नगर पानी से डूब गया। यह बात राजा तक पहुंची और उससे कहा गया कि राजा आप बैठें हैं? आधा नगर जलमग्न हो गया है।

 

 

आपकी लड़की की वजह से नगर के लोग क्यों डूबकर मरें? अपनी लड़की को दे दीजिये ये लोग ले जायें ताकि लोग मुसीबत से मुक्ति पा जायें। राजा ने जब देखा कि इसके बिना कोई दूसरा विकल्प नहीं है तो उसने अपनी लड़की को कचल मम सियाह के हवाले कर दिया। कचल मम सियाह ने लड़की को सवारी पर बिठाया। वह तथा उसके साथी पैदल ही चल पड़े। यहां तक कि वे अपने नगर पहुंच गये। कचल मम सियाह ने राजा के पास संदेश भिजवाया कि वह सही- सालिम लौट आया है और अपने साथ समीप के राजा की लड़की भी ले आया है। उसने कहा मेरी स्वागत के तैयारी करो। राजा ने सैनिकों को आदेश दिया कि वे कचल मम सियाह के स्वागत के लिए पैदल और सवार होकर जायें और उसे नगर लेकर आयें। कचल मम सियाह बड़ी शान से नगर आया। वह सीधे अपने घर गया। राजा को यह पता चला कि वह समीप के राजा की अत्यंत सुन्दर लड़की के साथ सीधे अपने घर चला गया और वह भी उसके साथ केवल चार आदमी हैं जो कहीं से आदमी नहीं लगते हैं और उसने राजा की कोई परवाह नहीं की। राजा ने कचल मम सियाह के लिए संदेश कहलाया कि जितनी जल्दी हो सके वह लड़की और चार व्यक्तियों को तुरंत राजा के महल पहुंचा दे और राजा की लड़की राजा के महल की ही योग्य है न कि मिट्टी के घर के। कचल मम सियाह ने राजा के लिए संदेश भेजवाया कि अब तक तुमने जो कुछ आदेश दिया मैंने उसे अंजाम दिया अब तुम्हें दो कार्यों में से एक कार्य अंजाम देना होगा। पहला कार्य यह है कि तुम मेरे पहले शिकार और चालिस शेरनियों को मुझे दे दो और सीदे नगर से चले जाओ और सारी चीज़ें मेरे हवाले कर दो या युद्ध के लिए तैयार हो जाओ लेकिन यह याद रखना कि तुम्हारी सेना जितनी भी बड़ी हो वह समीप के राजा से बड़ी नहीं है जिसे मेरे हाथों पराजय का स्वाद चख़ना पड़ा।

 

 

राजा और सोचने लगे कि सोचे कि अगर कचल मम सियाह के हाथ से जीवित बचकर ही चले गये तो बहुत बड़ा कार्य किया। अंततः राजा और मंत्री दोनों नगर से निकल गये। कचल मम सियाह अपने दोस्तों को महल ले गया और वह राजसिंहासन पर बैठा और अपनी मां को अपना मंत्री बनाया और नगर को सजाने तथा घरों में दीप जलाने का आदेश दिया। इस तरह लोगों ने सात दिनों तक जश्न मनाया। इसके बाद उसने समीप के राजा की लड़की से विवाह कर लिया और सुखमय जीवन व्यतीत करने लगा।

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